करनाल: हरियाणा में इन दिनों पुरानी पेंशन योजना का मुद्दा गरमाया हुआ है. एक ओर जहां सरकारी कर्मचारी इसे लागू करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार में शामिल जेजेपी ने भी इसे लागू करने का समर्थन कर रखा है. हरियाणा में कांग्रेस भी इसकी मांग कर रही है. कांग्रेस शासित कई राज्यों में इसे लागू भी कर दिया गया है. ऐसे में हरियाणा में भी पुरानी पेंशन योजना को दोबारा लागू करने के लिए विपक्ष व सरकारी कर्मचारी दबाव बना रहे हैं.
ईटीवी भारत ने इस संबंध में सरकारी कर्मचारियों से बात की और उनसे पूछा कि पुरानी पेंशन योजना क्यों लागू होनी चाहिए. कर्मचारी सतीश ने बताया कि पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने से कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित होगा. जबकि नई पेंशन स्कीम लागू करने से कर्मचारियों को काफी नुकसान हो रहा है. नई पेंशन योजना शेयर मार्केट के आधार पर ही उन्हें दी जाती है. ऐसे में कर्मचारी को जो पैसा मिलता है, वह शेयर मार्केट के उतार-चढ़ाव के आधार पर ही दिया जाता है.
कर्मचारी को इसमें नफा-नुकसान होने की गारंटी नहीं होती है. वहीं जगबीर ने बताया कि पुरानी पेंशन लागू करने से सरकारी कर्मचारियों को फायदा होगा. उन्हें छोटे छोटे काम के लिए किसी दूसरे से आर्थिक मदद नहीं मांगनी होगी. अगर समय रहते हरियाणा सरकार ने इसे लागू नहीं किया, तो आगामी चुनाव में सरकार पर इसका काफी असर पड़ेगा. सेवानिवृत कर्मचारी भी इसका समर्थन कर रहे हैं.
हरियाणा में पुरानी पेंशन बहाली की मांग करते हुए सेवानिवृत कर्मचारी दलबीर ने कहा कि पुरानी पेंशन स्कीम लागू होनी चाहिए, क्योंकि पूरी उम्र नौकरी करने के बाद पेंशन ही कर्मचारी का एकमात्र सहारा होता है. उन्होंने बताया कि उन्हें पेंशन मिल रही है, इससे उनकी रोजी-रोटी चल रही है. वहीं सरकारी कर्मचारी विकास ने कहा कि सभी कर्मचारी नई पेंशन स्कीम के खिलाफ है. सरकार को चाहिए कि वह हरियाणा में भी इसे जल्द से जल्द लागू करें.
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नई पेंशन योजना: एनपीएस पारिभाषित योगदान स्कीम है, जिसे जनवरी 2004 में लागू किया गया. इसमें कर्मचारी का योगदान उसकी बेसिक सैलरी और डीए का 10 फीसदी कर्मचारियों को प्राप्त होता है. इतना ही योगदान राज्य सरकार भी देती है. 2019 में सरकार का योगदान इसमें 19 फीसदी कर दिया गया. 1 मई 2009 से एनपीएस स्कीम सभी के लिए लागू की गई. कर्मचारी अपनी कमाई की अवधि में रिटायरमेंट के लिए पैसे बचाते हैं.
इसमें सरकार का योगदान लोगों में बचत की आदत को प्रोत्साहित करने के लिए टैक्स में छूट देने पर सीमित होता है. बजट पर पेंशन का कोई खास बोझ नहीं पड़ता है. केंद्र में यह स्कीम जनवरी 2004 से लागू की गई, जबकि हरियाणा में जनवरी 2006 से लागू है. योजना के तहत कर्मचारियों को अंशदान के मुताबिक ही पेंशन मिलेगी. वेतन से प्रतिमाह 10 प्रतिशत राशि की कटौती के बाद इतनी ही राशि सरकार जमा कराएगी. सेवानिवृति पर इस राशि का 40 प्रतिशत ग्रेच्युटी के रूप में दे दी जाएगी. बाकी राशि को शेयर बाजार में लगाया जाएगा। बाजार के उतार-चढ़ाव के हिसाब से पेंशन का निर्धारण होगा. इसके लिए बकायदा पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (पीएफआरडीए) का गठन किया गया है.
नई और पुरानी पेंशन नीति में अंतर: पुरानी पेंशन योजना में रिटायरमेंट के समय कर्मचारी के अंतिम वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है. ये पेंशन कर्मचारी की आखिरी बेसिक सैलरी और महंगाई के आंकड़ों से तय की जाती है. इसमें कर्मचारियों के वेतन से पैसा नहीं काटा जाता. कर्मचारी को दी जाने वाली पेंशन का भुगतान सरकार की ट्रेजरी के माध्यम से होता है. इसके अतिरिक्त इस पेंशन स्कीम में 20 लाख रुपये तक ग्रेच्युटी की रकम मिलती है.
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रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु होने पर पेंशन का पैसा उसके परिजनों को मिलने लगता है. पुरानी पेंशन स्कीम में हर 6 महीने बाद कर्मचारियों को DA डीए दिए जाने का प्रावधान है. जब-जब सरकार वेतन आयोग का गठन करती है, पेंशन भी रिवाइज हो जाती हैनई पेंशन स्कीम में कर्मचारियों की सैलरी से 10% की कटौती की जाती है, जबकि पुरानी पेंशन योजना में सैलरी से कोई कटौती नहीं होती थी. जहां पुरानी पेंशन योजना में GPF की सुविधा होती थी, वहीं नई स्कीम में इसकी सुविधा नहीं है.
पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायर होने के समय सैलरी की आधी राशि पेंशन के रूप में मिलती थी, जबकि नई पेंशन योजना में आपको कितनी पेंशन मिलेगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है. दोनों में सबसे बड़ा अंतर ये है कि पुरानी पेंशन योजना एक सुरक्षित योजना है, जिसका भुगतान सरकारी खजाने से किया जाता है. नई पेंशन योजना शेयर बाजार पर आधारित है, जिसमें आपके द्वारा एनपीएस में लगाए गए पैसे को शेयर बाजार में लगाया जाता है.