करनाल: क्राइम स्टोरी में आज की कहानी है हरियाणा का बहुरुपिया गैंगस्टर सुरेंद्र ग्योंग की. हरियाणा के इस गैंगस्टर पर हत्या, हत्या का प्रयास, डकैती और वसूली जैसे करीब 37 मामले दर्ज थे. गैंगस्टर सुरेंद्र ग्योंग की दहशत इतनी थी कि वह जेल में रहते हुए सरपंच का चुनाव निर्विरोध जीता था. इतना ही नहीं इसके अंत होने से पहले तक हरियाणा में लोग शाम को निकलने से डरते थे. इस गैंगस्टर को बहुरुपिया गैंगस्टर भी कहा जाता था. क्योंकि यह भेष बदलने में माहिर था. बताया जाता है कि एक बार यह बिना वीजा के ही अफ्रीका पहुंच गया था. सुरेंद्र भेष बदलकर ही वारदात करता था. इसे पहचान पाना मुश्किल होता था. गैंगस्टर ने कई वारदातों को पुलिस की वर्दी में अंजाम दिया था.
क्रिकेटर बनना चाहता था सुरेंद्र: कैथल जिले के गांव ग्योंग का सुरेंद्र क्रिकेटर बनना चाहता था लेकिन उसकी किस्मत उसे अपराध की दुनिया में ले आई. अब उसकी पहचान हरियाणा के गैंगस्टर सुरेंद्र ग्योंग के रूप में होती है. 1994 में सुरेंद्र दसवीं कक्षा में पढ़ता था. वह पढ़ाई के साथ-साथ क्रिकेट भी काफी अच्छा खेलता था. लेकिन उसकी किस्मत में पढ़ाई या क्रिकेटर बनना नहीं लिखा था.
![Haryana Gangster SurinderGeong Haryana gangster crime story gangster encounter in Haryana](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/17691941_karnal2_aspera.jpg)
इसलिए उसकी क्राइम की दुनिया में एंट्री हो गई. 1994 में जब वह स्कूली पढ़ाई करके वापस लौट रहा था. उस दौरान सुरेंद्र का ड्राइवर और कंडक्टर के साथ झगड़ा हो गया. यह झगड़ा इतना बढ़ गया कि वह मारपीट में बदल गया. इसी मामले को लेकर उस पर केस दर्ज किया गया. सुरेंद्र की जिंदगी का यह पहला केस था, जो उस पर दर्ज किया गया था. इसके बाद ही सुरेंद्र की क्राइम की दुनिया में एंट्री हो गई.
कैथल में पत्रकार की हत्या: 1999 में सुरेंद्र पर बैंक में एक व्यक्ति से 1 लाख रुपए छीनने का आरोप लगा. इसके बाद पुलिस ने उस पर डकैती का केस दर्ज कर लिया. इस घटना ने उसे अपराध की दुनिया में सक्रिय कर दिया. इसके कुछ ही समय बाद कैथल के पत्रकार परम आनंद गोयल की हत्या हो गई. इस हत्याकांड में सुरेंद्र ग्योंग का नाम सुर्खियों में आ गया. पुलिस भी सुरेंद्र की धरपकड़ के लिए सक्रिय हो गई. आखिरकार इस मामले में सुरेंद्र को उम्र कैद की सजा सुनाई गई.
गैंगस्टर से दोस्ती और फिर हत्या: बताया जाता है कि इस वारदात के बाद सुरेंद्र ने गैंगस्टर कृष्ण पहलवान के साथ मिलकर क्राइम की वारदात को अंजाम देना शुरू कर दिया. कुछ सालों तक उसने कृष्ण पहलवान के साथ मिलकर कई बड़े अपराध किए. माना जाता है कि कुछ समय बाद कृष्ण पहलवान के साथ भी उसकी लड़ाई हो गई. यह लड़ाई इतनी बढ़ गई कि सुरेंद्र ने कैथल बस स्टैंड के पास कृष्ण पहलवान की गोली मारकर हत्या कर दी. बताया जाता है कृष्ण पहलवान की हत्या के बाद दोनों गुटों की आपस में गैंगवार हुई. इस गैंगवार में दोनों ही ग्रुपों के करीब 8 लोगों की मौत हुई थी.
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गैंगस्टर के परिवार को उठाना पड़ा नुकसान: हरियाणा के गैंगस्टर सुरेंद्र ग्योंग के परिवार को भी उसके अपराधों के कारण नुकसान उठाना पड़ा. उसके अपराधों से परिवार पहले ही परेशान था, इसी बीच कैथल के मशहूर प्लाईवुड व्यापारी नरेंद्र अरोड़ा की सुरेंद्र ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. उस समय इस हत्याकांड का विरोध पूरे जिले में हुआ. सुरेंद्र के पिता के पास 12 एकड़ पुश्तैनी जमीन थी. गैंगस्टर बनने के बाद परिवार की करीब 9 एकड़ जमीन बिक गई. वहीं, 3 एकड़ जमीन की सरकार ने कुर्की की हुई है. इसके बाद भी सुरेंद्र का हत्या, डकैती, अपहरण व फिरौती का धंधा चलता रहा.
पुलिस की वर्दी में घूमता था गैंगस्टर: सुरेंद्र एक ऐसा गैंगस्टर था, जो पुलिस की वर्दी पहनकर घूमता था, ताकि उसको पुलिस पकड़ न सके. जब एक बार सुरेंद्र को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. उस समय सुरेंद्र के पास से दिल्ली पुलिस की बैच लगी वर्दी, हरियाणा पुलिस का आई कार्ड, लाल रंग के जूते और खाकी पगड़ी तथा पुलिस की बेल्ट बरामद हुई थी. पुलिस को मिले आई कार्ड पर उसका नाम सुरेंद्र ग्योंग लिखा हुआ था. बताया जाता है कि सुरेंद्र भेष बदलने में माहिर था. वह बिना पासपोर्ट के साउथ अफ्रीका भाग गया था.
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19 साल की उम्र में की थी पहली हत्या: माना जाता है कि जब सुरेंद्र ने पहली हत्या की थी. उस समय उसकी उम्र करीब 19 वर्ष थी. सुरेंद्र देखते ही देखते एक बड़ा कुख्यात अपराधी बन गया था. जिस पर चार राज्यों में हत्या, लूट, अपहरण और फिरौती जैसे करीब 37 मामले दर्ज थे. कहा जाता है कि सुरेंद्र ने अकेले कैथल जिले में ही 50 से अधिक लोगों से पैसों की वसूली की थी.
यह सभी शहर के माने हुए डॉक्टर, व्यापारी और आढ़ती थे. इन सभी वारदातों के कारण उसका नाम हरियाणा ही नहीं, आसपास के राज्यों में भी कुख्यात अपराधी के रूप में जाना जाने लगा था. माना जाता है कि उसकी दहशत इतनी थी कि जब कैथल में सूरज ढलने लगता था, तो लोग सड़कों से गायब हो जाते थे. सुरेंद्र के खौफ से कोई भी व्यक्ति शाम होने के बाद घर से बाहर नहीं निकलता था.
गैंगस्टर सुरेंद्र ग्योंग का खौफ: सुरेंद्र 2005 में अंबाला जेल में बंद था. उस समय सुरेंद्र ने जेल में रहते हुए ही गांव के सरपंच का चुनाव लड़ा था और वह जीत गया. जब वह जेल से नहीं छूटा तो एक पंच को ही सरपंच का चार्ज दिया गया था. जिले में उसकी दहशत इतनी बढ़ गई थी कि कैथल के कांग्रेस के बड़े नेता रणदीप सुरजेवाला ने पुलिस में शिकायत दी थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें सुरेंद्र ग्योंग से जान का खतरा है.
पैरोल जंप करने पर घोषित हुआ इनाम: सुरेंद्र पर कई मामले दर्ज थे, जिसमें वह जेल में सजा भुगत रहा था. इसी बीच 2016 में सुरेंद्र को पैरोल मिल गई. इस दौरान उसने अपनी पैरोल जंप कर दी और कोर्ट ने सुरेंद्र को भगोड़ा घोषित कर दिया. हरियाणा पुलिस की कई टीमें सुरेंद्र की तलाश में जुट गई. काफी कोशिशों के बाद भी सुरेंद्र का कोई सुराग नहीं लग सका. इस पर पुलिस ने सुरेंद्र की जानकारी देने वाले को इनाम देने की घोषणा कर दी.
गैंगस्टर सुरेंद्र के आतंक का अंत: साल 2018 में करनाल व कैथल पुलिस को सुरेंद्र के बारे में एक गुप्त सूचना मिली. यह वही सूचना थी, जिसका पुलिस को लंबे समय से इंतजार था. दरअसल, पुलिस को गैंगस्टर सुरेंद्र के बारे में सूचना मिली कि वह करनाल-कैथल बॉर्डर के पास मौजूद है. दोनों जिलों की टीमों ने संयुक्त ऑपरेशन करके करनाल के रहाड़ा गांव में हुई मुठभेड़ में सुरेंद्र का एनकाउंटर कर दिया.
जिस समय यह एनकाउंटर किया गया, उस समय सुरेंद्र अपनी होंडा सिटी कार में जींद से करनाल की तरफ जा रहा था. सुरेंद्र के साथ उसकी गैंग के कई साथी भी मौजूद थे. उनको भी इस मुठभेड़ में गोली लगी थी, जबकि सुरेंद्र की गोली लगने के कारण मौके पर ही मौत हो गई. सुरेंद्र की मौत के साथ ही सुरेंद्र का आतंक भी खत्म हो गया.
गैंगस्टर सुरेंद्र का एनकाउंटर काफी चर्चा में रहा. सुरेंद्र के परिजनों ने आरोप लगाया था कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि 10 मीटर की दूरी से सुरेंद्र पर गोली चलाई गई है. जब सुरेंद्र पुलिस से महज 10 मीटर की दूरी पर था, तो पुलिस उसे बिना एनकाउंटर किए ही पकड़ सकती थी. लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते सुरेंद्र का एनकाउंटर किया गया.