करनाल: करनाल में आंगनवाड़ी वर्करों ने सर्व कर्मचारी संघ के बैनर तले सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. साथ ही मुख्यमंत्री के नाम जिला प्रशासन को अपनी लंबित मांगों को पूरा करने के लिए ज्ञापन सौंपा.
आंगनवाड़ी वर्करों का विशाल प्रदर्शन: करनाल में आज बड़ी संख्या में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और हेल्परों का जमावड़ा लगा. दरअसल आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगों को लेकर पहले भी आंदोलन किया था. पंचकूला में प्रदेश स्तरीय विशाल धरना दिया था. उस समय सरकार ने उनकी मांगों को मान लेने की बात कह कर धरना समाप्त करवा दिया था. लेकिन काफी समय बीत जाने के बाद भी उनकी मांगे लंबित पड़ी हुई है. अपनी इन्हीं मांगों को पूरा करने के लिए ही आज सर्व कर्मचारी संघ के बैनर तले आंगनवाड़ी वर्करों ने करनाल में प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री के नाम जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा.
क्या कहना है आंगनवाड़ी वर्करों का?: आंगनवाड़ी वर्कर यूनियन की प्रदेश उपाध्यक्ष रूपरानी ने बताया कि राज्य की आंगनवाड़ी वर्कर्स और हैल्पर्स लम्बे समय से आंदोलन कर रहे हैं लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ है. सरकार ने भले 18 नवंबर को राज्य की आंगनवाड़ी वर्कर्स और हैल्पर्स के लिए कुछ घोषणाएं की है लेकिन कुछ गंभीर मांगो और समस्याओं का हल नहीं किया गया है जिनका हल जरूरी है. इसलिए हम जिला की तमाम वर्कर्स और हैल्पर्स मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेज रहे हैं. रूपरानी ने कहा कि अगर सरकार इस मामले पर संज्ञान नहीं लेती है और जितनी देरी करेगी उनका आंदोलन उतना ही तेज होगा, और सबकी जिम्मेवारी सरकार की होगी.
क्या है मांग?: आंगनवाड़ी वर्करों का कहना है कि न्यूनतम वेतन 26000 रूपये लागू होना चाहिए. वर्कर और हेल्पर को तमाम सरकारी सुविधाएं दी जाए. आंदोलन के दौरान वर्करों के खिलाफ जो मुकदमे दर्ज किये गये हैं उसे रद्द किया जाए. सितंबर 2022 से महगाई भते की नई किस्त को मानदेय में जोड़कर जारी किया जाए. पोषण ट्रैकर एप पर जबरदस्ती काम बंद किया जाए और मोबाइल फोन तुरंत दिया जाए. आंगनवाड़ी केंद्रों का स्वीकृत किराया बिना शर्त जारी हो और बकाये किराए का तुरंत भुगतान किया जाए. वर्कर एवं हैल्परों के खाली पड़े पदों पर तुरंत भर्ती की जाए. साथ ही सुपरवाईजरों और सीडीपीओ के खाली पड़े पदों को भी भरा जाए. आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने राज्य के दूसरे जिलों में भी धरना दिया. नूंह में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगों को लेकर धरना दिया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. आंगनवाड़ी वर्कर उपायुक्त धीरेंद्र खड़गटा से मिलना चाहती थी, लेकिन उनकी अनुपस्थिति में जिला योजना अधिकारी दीवान सिंह के साथ उनकी मुलाकात हो सकी.