करनाल: बुधवार को किसान नेता गुरनाम चढूनी समेत 30 किसानों को करनाल कोर्ट में पेश किया गया. इसके बाद कोर्ट ने सभी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. बताया जा रहा है कि गुरनाम चढूनी समेत सभी किसानों ने जमानत लेने से मना कर दिया था. जिसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा गया. बता दें कि सूरजमुखी की एमएसपी पर खरीद की मांग को लेकर मंगलवार को किसानों ने कुरुक्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग को बंद कर दिया था. किसानों ने राष्ट्रीय राजमार्ग के बीच में बैठकर धरना प्रदर्शन किया.
शाम 7 बजे के करीब पुलिस ने राष्ट्रीय राजमार्ग 44 को सुचारू रूप से चलाने के लिए किसानों पर लाठीचार्ज किया. इस दौरान पुलिस ने गुरनाम चढूनी समेत करीब 30 किसानों को गिरफ्तार किया था. इसके अलावा करीब 700 किसानों के ऊपर एफआईआर दर्ज की थी. बुधवार को गुरनाम चढूनी समेत सभी 30 किसानों को पुलिस ने कोर्ट में पेश किया. जहां से कोर्ट ने सभी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. जब पुलिस किसानों को कोर्ट परिसर में लेकर आई तो उन्होंने वहां सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रोष जताया.
गुरनाम चढूनी के जमानत नहीं लेने की वजह ये भी मानी जा रही है कि अगर वो न्यायिक हिरासत में रहेंगे, तो उसके बाद किसानों में काफी रोष फैलेगा. जिससे की ये लड़ाई जल्द ही आंदोलन का रूप ले लेगी. जब से पुलिस ने कुरुक्षेत्र में किसानों पर लाठीचार्ज किया है. तब से प्रदेशभर में किसान पुलिस प्रशासन और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. बुधवार को हरियाणा भर में किसानों ने लगभग हर जिलों में प्रदर्शन किया. सिरसा, रोहतक, यमुनानगर में तो किसानों ने टोल फ्री करवाकर रोष जाहिर किया.
किसानों पर लाठीचार्ज के बाद किसान नेता राकेश टिकैत भी करनाल और कुरुक्षेत्र में पहुंचे थे. हालांकि राकेश टिकैत और गुरनाम चढूनी के बीच मतभेद की खबरें किसी से छिपी नहीं है. इन खबरों पर राकेश टिकैत ने कहा कि ये ना तो राकेश टिकैत की लड़ाई है और ना ही गुरनाम चढूनी की ये अब कौम की लड़ाई है. इसे हम सब मिलकर लड़ेंगे. इसी के साथ राकेश टिकैत ने सभी गिरफ्तार किसानों की रिहाई और उन पर दर्ज मुकदमों को वापस लेने की मांग भी की. राकेश टिकैत ने कहा कि इसे लेकर अधिकारियों से बातचीत की जाएगी. अगर बात नहीं बनती तो आगे के लिए रणनीति तैयार की जाएगी.