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किसानों को नहीं मिल पा रहा भावांतर भरपाई योजना का लाभ, अधिकारियों पर लगाया भ्रष्टाचार का आरोप

योजना से मिलने वाले लाभ के प्रति किसान उलझन में है. किसानों ने बताया कि मंडियों के रेट में समानता ना होने के कारण इस योजना से मिलने वाले लाभ से वंचित है. उन्होंने बताया के सरकार की इस योजना का लाभ कुछ किसानों को मिल पाता है और कुछ को नहीं.

Bhavantar Bharpai Scheme
Bhavantar Bharpai Scheme
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Published : Jan 5, 2020, 4:06 PM IST

Updated : Jan 5, 2020, 4:16 PM IST

करनालः 1 जनवरी 2018 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पूरे जोर शोर के साथ अपने गृह हल्के करनाल के पधाना गांव से भावांतर भरपाई योजना की शुरूआत की थी. योजना का मकसद कुछ चुनिंदा सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को खेती में उनकी लागत में होने वाले नुकसान के जोखिम से मुक्त करना था. लेकिन करनाल में ही योजना की हकीकत ये है कि योजना लालफीताशाही और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है और किसान योजना के क्रियान्वयन में सरकार को फेल बता रहे हैं.

क्या है भावांतर भरपाई योजना ?
इस योजना की शुरूआत 1 जनवरी 2018 को की गई. सरकार ने यह योजना उस अवधि के लिए चलाई है, जब किसानों की सब्जी की फसल का उत्पादन अपने चरम पर होता है और मार्केट में सब्जियों की आवक तेज होती है. इस दौरान सब्जी की कीमत कम हो जाती है. जिससे किसानों को कई बार अपनी लागत निकालना भी मुश्किल हो जाता है. इस जोखिम को कम करने के लिए सरकार ने भावांतर भरपाई योजना चलाई है और सरकार की ओर से निर्धारित अवधि के दौरान मंडी में फसल की ब्रिकी पर किसान को यदि नुकसान होता है. तो किसान को मिलने वाले दाम और किसान के लागत की बीच के अन्तर का जो नुकसान होता है. सरकार उसकी भरपाई करती है.

योजना में शामिल फसलें
शुरूआत में इस योजना में चार सब्जियों आलू, प्याज, फूल गोभी, टमाटर को शामिल किया गया था. लेकिन 2019 में हरियाणा में नई सरकार बनने के बाद पहले ही कैबिनेट बैठक के बाद योजना का विस्तार किया गया और इसमें 4 और सब्जियों बैंगन, मटर, गाजर, शिमला मिर्च और 2 फलों अमरूद और किन्नू को शामिल किया गया. अब सरकार इस योजना के तहत किसानों की 8 सब्जी और 2 फलों की कीमतों को संरक्षण देती है.

किसानों को नहीं मिल पा रहा भावांतर भरपाई योजना लाभ, अधिकारियों पर लगाया भ्रष्टाचार का आरोप.

ये भी पढ़ेंः- इमरान खान, सोनिया और राहुल गांधी ये सभी एक ही कंपनी के सदस्य: अनिल विज

भावांतर भरपाई योजना के लिए फसलों की तय कीमत और उत्पादन
फसल का नाम संरक्षित मूल्य(रुपये प्रति क्विंटल )

उत्पादन(क्विंटल प्रति एकड़)

आलू 500 120
प्याज 650 100
टमाटर 500 140
फूल गोभी 750 100
बैंगन 500 -
किन्नू 1100 104
गाजर 700 100
मटर 1100 50
शिमला मिर्च 650 -
अमरूद 1300 -

कैसे ले सकते हैं योजना का लाभ ?
इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान को बिजाई अवधि के दौरान मार्केटिंग बोर्ड की वेबसाईट पर बागवानी भावान्तर (BBY) ई-पोर्टल से रजिस्ट्रेशन कराना होता है. किसान अपनी फसल का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन मार्केटिंग विभाग या मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर भी करा सकता है. किसान एक निर्धारित अवधि के दौरान ही रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं. इसके लिए सरल सेवा केंद्र/ई-दिशा केंद्र/मार्केटिंग बोर्ड/ बागवानी विभाग/कृषि विभाग और इन्टरनेट कियोस्क पर रजिस्ट्रेशन की सुविधा उपलब्ध रहती है. रजिस्ट्रेशन के लिए कोई फीस नहीं ली जाती है.

फसलों के रजिस्ट्रेशन के बाद बागवानी विभाग रजिस्ट्रेशन करा चुके किसानों के खेत के एरिया सत्यापन करता है. बागवानी विभाग अगर खेत के एरिया के सत्यापन में कोई गलती करता है तो किसान इसके खिलाफ अपील भी दायर कर सकता है.

फसल के खेत के एरिया का सत्यापन और सत्यापन को लेकर अपील और फसल की बिक्री सभी का भी समय तय होता है. इसी के तहत योजना का लाभ किसान को मिल पाता है.

भावांतर भरपाई योजना से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
फसल का नाम
रजिस्ट्रेशन की अवधि सत्यापन की तारीख

सत्यापन के विरुद्ध

अपील की अवधि

बिक्री की तारीख
आलू 15 सितंबर - 31 अक्टूबर 30 नवंबर तक 15 दिसंबर तक 1 दिसम्बर - 31 मार्च
प्याज
15 दिसंबर - 15 फरवरी 15 मार्च तक 25 मार्च तक 1 अप्रैल - 31 मई
टमाटर 15 दिसंबर - 15 फरवरी 15 मार्च तक 25 मार्च तक 1 अप्रैल- 15 जून
फूल गोभी
15 सितंबर - 31 अक्टूबर 30 नवंबर तक
15 दिसंबर तक 1 दिसम्बर - 31 मार्च
किन्नू
1 सितंबर - 30 नवंबर
15 दिसंबर तक 31 दिसंबर तक 1 दिसम्बर - 28 फरवरी
गाजर
1 अक्टूबर - 30 नवंबर 15 दिसंबर तक 31 दिसंबर तक 1 दिसम्बर - 28 फरवरी
मटर
1 अक्टूबर - 30 नवंबर 15 दिसंबर तक 31 दिसंबर तक 1 दिसम्बर - 28 फरवरी
शिमला मिर्च
10 फरवरी-15 मार्च 31 मार्च तक - -
अमरूद 15 अप्रैल -15 मई
15 जून तक - -
बैंगन 10 फरवरी-15 मार्च 31 मार्च - -

रजिस्ट्रेशन में इस्तेमाल किए जाने वाले डॉक्यूमेंट्स
रजिस्ट्रेशन के दौरान किसान के पास आधार कार्ड, बैंक के पासबुक की प्रति और जिस जमीन में फसल की खेती की गई है, उससे संबंधित किला नंबर, खसरा नंबर, खेवट नंबर होना जरूरी है.

ये भी पढ़ेंः- ये है दुनिया का दूसरा पशुपतिनाथ मंदिर, जहां रखी है भीम की कढ़ाई

कैसे मिलता है योजना का लाभ ?

  • योजना का लाभ लेने के लिए प्रोत्साहन के लिए जे-फार्म पर बिक्री करनी होती है.
  • जे-फार्म पर बिक्री के बाद बिक्री विवरण भावांतर भरपाई योजना ई-पोर्टल पर अपलोड होता है, जिसके लिए प्रत्येक संबंधित मार्केट कमेटी के कार्यालय में सुविधा उपलब्ध रहती है.
  • बिक्री की अवधि के दौरान यदि फसल उत्पादन का थोक मूल्य संरक्षित मूल्य से कम मिलता है, तो किसान भाव के अंतर की भरपाई के लिए पात्र होगा.
  • जे-फार्म पर बिक्री और निर्धारित उत्पादन प्रति एकड़ (जो भी कम होगा) उसको भाव के अंतर से गुना करने पर प्रोत्साहन देय होगा.प्रोत्साहन राशि किसान के आधार लिंक्ड बैंक खाते में बिक्री के 15 दिन के अन्दर जारी कर दी जाएगी.
  • हरियाणा राज्य कृषि वितरण बोर्ड द्वारा किसानों के खाते में भरपाई की राशि दी जाती है.
  • औसत दैनिक थोक मूल्य मण्डी बोर्ड द्वारा चिन्हित मण्डियों के दैनिक भाव के आधार पर निर्धारित किया जाएगा.
  • किसान को इस योजना लाभ तभी मिलता है, जब वो तय की गई अवधि के अंतर्गत अपने फसल की बिक्री करता है.

करनाल में किसानों की शिकायत
इस योजना को लेकर करनाल के किसानों की अपनी शिकायतें हैं. इस योजना से मिलने वाले लाभ के प्रति किसान उलझन में है और किसानों ने बताया कि मंडियों की रेट में समानता ना होने के कारण इस योजना से मिलने वाले लाभ से वंचित है. उन्होंने बताया के सरकार की इस योजना का लाभ कुछ किसानों को मिल पाता है और कुछ को नहीं.

किसानों ने अधिकारियों पर लगाया भ्रष्टाचार का आरोप
किसानों का कहना है कि सरकार की योजना तो अच्छी है, लेकिन किसान योजना को लागू करने के तरीके और योजना को लेकर अधिकारियों को रवैए से नाराज दिखे. किसानों का कहना कि योजना को क्रियान्वित करने की शैली और अधिकारियों के चलते किसानों तक योजना का लाभ ठीक ढंग से नहीं पहुंच पा रहा है. किसानों का कहना है कि सरकार को इस योजना पर दोबारा से सोच विचार कर फिर से काम करना चाहिए. कई किसानों ने यहां तक कहा कि इस योजना में अधिकारी भ्रष्टाचार कर रहे हैं, जिसके चलते किसानों को ठीक से योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. किसानों का कहना है कि जो अधिकारी और कर्मचारी इस योजना में भ्रष्टाचार कर रहे हैं, उन पर नकेल कसी जाए तभी यह योजना सुचारु रुप से चल पाएगी.

किसानों को नहीं मिला है मार्च 2019 का पैसा
जब इस बारे में हरियाणा बागवानी विभाग के महानिदेशक अर्जुन सैनी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि साल 2019 के मार्च के महीने में इस योजना के तहत किसानों को लगभग 9 करोड़ 45 लाख रुपये दिए गए. लेकिन मार्च 2019 में ही 29, 30 और 31 तारीख को कंप्यूटर सॉफ्टवेयर में प्रॉब्लम आ जाने के चलते लगभग 3 करोड़ रुपये किसानों को नहीं मिल पाए और जो कि अभी भी किसानों को देने बाकी हैं . यानि की 2020 का मार्च महीना आने वाला है और किसानों को अभी तक मार्च 2019 का ही बकाया नहीं मिल पाया है.

ये भी पढ़ेंः- फरीदाबाद में ज्यादातर किसानों को नहीं है भावांतर भरपाई योजना की जानकारी

करनालः 1 जनवरी 2018 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पूरे जोर शोर के साथ अपने गृह हल्के करनाल के पधाना गांव से भावांतर भरपाई योजना की शुरूआत की थी. योजना का मकसद कुछ चुनिंदा सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को खेती में उनकी लागत में होने वाले नुकसान के जोखिम से मुक्त करना था. लेकिन करनाल में ही योजना की हकीकत ये है कि योजना लालफीताशाही और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है और किसान योजना के क्रियान्वयन में सरकार को फेल बता रहे हैं.

क्या है भावांतर भरपाई योजना ?
इस योजना की शुरूआत 1 जनवरी 2018 को की गई. सरकार ने यह योजना उस अवधि के लिए चलाई है, जब किसानों की सब्जी की फसल का उत्पादन अपने चरम पर होता है और मार्केट में सब्जियों की आवक तेज होती है. इस दौरान सब्जी की कीमत कम हो जाती है. जिससे किसानों को कई बार अपनी लागत निकालना भी मुश्किल हो जाता है. इस जोखिम को कम करने के लिए सरकार ने भावांतर भरपाई योजना चलाई है और सरकार की ओर से निर्धारित अवधि के दौरान मंडी में फसल की ब्रिकी पर किसान को यदि नुकसान होता है. तो किसान को मिलने वाले दाम और किसान के लागत की बीच के अन्तर का जो नुकसान होता है. सरकार उसकी भरपाई करती है.

योजना में शामिल फसलें
शुरूआत में इस योजना में चार सब्जियों आलू, प्याज, फूल गोभी, टमाटर को शामिल किया गया था. लेकिन 2019 में हरियाणा में नई सरकार बनने के बाद पहले ही कैबिनेट बैठक के बाद योजना का विस्तार किया गया और इसमें 4 और सब्जियों बैंगन, मटर, गाजर, शिमला मिर्च और 2 फलों अमरूद और किन्नू को शामिल किया गया. अब सरकार इस योजना के तहत किसानों की 8 सब्जी और 2 फलों की कीमतों को संरक्षण देती है.

किसानों को नहीं मिल पा रहा भावांतर भरपाई योजना लाभ, अधिकारियों पर लगाया भ्रष्टाचार का आरोप.

ये भी पढ़ेंः- इमरान खान, सोनिया और राहुल गांधी ये सभी एक ही कंपनी के सदस्य: अनिल विज

भावांतर भरपाई योजना के लिए फसलों की तय कीमत और उत्पादन
फसल का नाम संरक्षित मूल्य(रुपये प्रति क्विंटल )

उत्पादन(क्विंटल प्रति एकड़)

आलू 500 120
प्याज 650 100
टमाटर 500 140
फूल गोभी 750 100
बैंगन 500 -
किन्नू 1100 104
गाजर 700 100
मटर 1100 50
शिमला मिर्च 650 -
अमरूद 1300 -

कैसे ले सकते हैं योजना का लाभ ?
इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान को बिजाई अवधि के दौरान मार्केटिंग बोर्ड की वेबसाईट पर बागवानी भावान्तर (BBY) ई-पोर्टल से रजिस्ट्रेशन कराना होता है. किसान अपनी फसल का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन मार्केटिंग विभाग या मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर भी करा सकता है. किसान एक निर्धारित अवधि के दौरान ही रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं. इसके लिए सरल सेवा केंद्र/ई-दिशा केंद्र/मार्केटिंग बोर्ड/ बागवानी विभाग/कृषि विभाग और इन्टरनेट कियोस्क पर रजिस्ट्रेशन की सुविधा उपलब्ध रहती है. रजिस्ट्रेशन के लिए कोई फीस नहीं ली जाती है.

फसलों के रजिस्ट्रेशन के बाद बागवानी विभाग रजिस्ट्रेशन करा चुके किसानों के खेत के एरिया सत्यापन करता है. बागवानी विभाग अगर खेत के एरिया के सत्यापन में कोई गलती करता है तो किसान इसके खिलाफ अपील भी दायर कर सकता है.

फसल के खेत के एरिया का सत्यापन और सत्यापन को लेकर अपील और फसल की बिक्री सभी का भी समय तय होता है. इसी के तहत योजना का लाभ किसान को मिल पाता है.

भावांतर भरपाई योजना से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
फसल का नाम
रजिस्ट्रेशन की अवधि सत्यापन की तारीख

सत्यापन के विरुद्ध

अपील की अवधि

बिक्री की तारीख
आलू 15 सितंबर - 31 अक्टूबर 30 नवंबर तक 15 दिसंबर तक 1 दिसम्बर - 31 मार्च
प्याज
15 दिसंबर - 15 फरवरी 15 मार्च तक 25 मार्च तक 1 अप्रैल - 31 मई
टमाटर 15 दिसंबर - 15 फरवरी 15 मार्च तक 25 मार्च तक 1 अप्रैल- 15 जून
फूल गोभी
15 सितंबर - 31 अक्टूबर 30 नवंबर तक
15 दिसंबर तक 1 दिसम्बर - 31 मार्च
किन्नू
1 सितंबर - 30 नवंबर
15 दिसंबर तक 31 दिसंबर तक 1 दिसम्बर - 28 फरवरी
गाजर
1 अक्टूबर - 30 नवंबर 15 दिसंबर तक 31 दिसंबर तक 1 दिसम्बर - 28 फरवरी
मटर
1 अक्टूबर - 30 नवंबर 15 दिसंबर तक 31 दिसंबर तक 1 दिसम्बर - 28 फरवरी
शिमला मिर्च
10 फरवरी-15 मार्च 31 मार्च तक - -
अमरूद 15 अप्रैल -15 मई
15 जून तक - -
बैंगन 10 फरवरी-15 मार्च 31 मार्च - -

रजिस्ट्रेशन में इस्तेमाल किए जाने वाले डॉक्यूमेंट्स
रजिस्ट्रेशन के दौरान किसान के पास आधार कार्ड, बैंक के पासबुक की प्रति और जिस जमीन में फसल की खेती की गई है, उससे संबंधित किला नंबर, खसरा नंबर, खेवट नंबर होना जरूरी है.

ये भी पढ़ेंः- ये है दुनिया का दूसरा पशुपतिनाथ मंदिर, जहां रखी है भीम की कढ़ाई

कैसे मिलता है योजना का लाभ ?

  • योजना का लाभ लेने के लिए प्रोत्साहन के लिए जे-फार्म पर बिक्री करनी होती है.
  • जे-फार्म पर बिक्री के बाद बिक्री विवरण भावांतर भरपाई योजना ई-पोर्टल पर अपलोड होता है, जिसके लिए प्रत्येक संबंधित मार्केट कमेटी के कार्यालय में सुविधा उपलब्ध रहती है.
  • बिक्री की अवधि के दौरान यदि फसल उत्पादन का थोक मूल्य संरक्षित मूल्य से कम मिलता है, तो किसान भाव के अंतर की भरपाई के लिए पात्र होगा.
  • जे-फार्म पर बिक्री और निर्धारित उत्पादन प्रति एकड़ (जो भी कम होगा) उसको भाव के अंतर से गुना करने पर प्रोत्साहन देय होगा.प्रोत्साहन राशि किसान के आधार लिंक्ड बैंक खाते में बिक्री के 15 दिन के अन्दर जारी कर दी जाएगी.
  • हरियाणा राज्य कृषि वितरण बोर्ड द्वारा किसानों के खाते में भरपाई की राशि दी जाती है.
  • औसत दैनिक थोक मूल्य मण्डी बोर्ड द्वारा चिन्हित मण्डियों के दैनिक भाव के आधार पर निर्धारित किया जाएगा.
  • किसान को इस योजना लाभ तभी मिलता है, जब वो तय की गई अवधि के अंतर्गत अपने फसल की बिक्री करता है.

करनाल में किसानों की शिकायत
इस योजना को लेकर करनाल के किसानों की अपनी शिकायतें हैं. इस योजना से मिलने वाले लाभ के प्रति किसान उलझन में है और किसानों ने बताया कि मंडियों की रेट में समानता ना होने के कारण इस योजना से मिलने वाले लाभ से वंचित है. उन्होंने बताया के सरकार की इस योजना का लाभ कुछ किसानों को मिल पाता है और कुछ को नहीं.

किसानों ने अधिकारियों पर लगाया भ्रष्टाचार का आरोप
किसानों का कहना है कि सरकार की योजना तो अच्छी है, लेकिन किसान योजना को लागू करने के तरीके और योजना को लेकर अधिकारियों को रवैए से नाराज दिखे. किसानों का कहना कि योजना को क्रियान्वित करने की शैली और अधिकारियों के चलते किसानों तक योजना का लाभ ठीक ढंग से नहीं पहुंच पा रहा है. किसानों का कहना है कि सरकार को इस योजना पर दोबारा से सोच विचार कर फिर से काम करना चाहिए. कई किसानों ने यहां तक कहा कि इस योजना में अधिकारी भ्रष्टाचार कर रहे हैं, जिसके चलते किसानों को ठीक से योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. किसानों का कहना है कि जो अधिकारी और कर्मचारी इस योजना में भ्रष्टाचार कर रहे हैं, उन पर नकेल कसी जाए तभी यह योजना सुचारु रुप से चल पाएगी.

किसानों को नहीं मिला है मार्च 2019 का पैसा
जब इस बारे में हरियाणा बागवानी विभाग के महानिदेशक अर्जुन सैनी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि साल 2019 के मार्च के महीने में इस योजना के तहत किसानों को लगभग 9 करोड़ 45 लाख रुपये दिए गए. लेकिन मार्च 2019 में ही 29, 30 और 31 तारीख को कंप्यूटर सॉफ्टवेयर में प्रॉब्लम आ जाने के चलते लगभग 3 करोड़ रुपये किसानों को नहीं मिल पाए और जो कि अभी भी किसानों को देने बाकी हैं . यानि की 2020 का मार्च महीना आने वाला है और किसानों को अभी तक मार्च 2019 का ही बकाया नहीं मिल पाया है.

ये भी पढ़ेंः- फरीदाबाद में ज्यादातर किसानों को नहीं है भावांतर भरपाई योजना की जानकारी

Intro:हरियाणा सरकार 1 जनबरी 2018 को शुरू की गई भावांतर भरपाई योजना के लाभ से अभी भी कई किसान वंचित, ईटीवी भारत की टीम ने ग्राउंड लेवल पर किसानों से बात कर जाना इस योजना से मिल रहे किसानों को लाभ के बारे में ,इस योजना के प्रति कई किसान उलझन में ,कहा सरकार की योजना तो अच्छी पर योजना की कार्यशैली अच्छी नहीं ,योजना से किसानों के लिए मिलने वाली फसलों के भाव के अंतर में भरपाई की रकम नहीं पहुंच रही किसानों तक, जो पहुंच रही वह पर्याप्त नहीं मंडियों के रेट में नहीं है समानता, सरकार को इस योजना पर द्वारा से सोच विचार कर करना होगा काम ।


Body:हरियाणा सरकार द्वारा किसानों के लिए भावांतर भरपाई योजना 1 जनवरी 2018 को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा करनाल के पधाना गांव से शुरू की गई थी जिसमें सरकार ने सब्जी की फसल का एक लागत मूल्य तय किया है उसी लागत मूल्य के हिसाब से किसान की सब्जी की फसल बिकेगी अगर किसान को इस मूल्य के हिसाब से सब्जी का रेट नहीं मिलता तो उसकी भरपाई सरकार करेगी ।किसानों को फसलों की कीमत में हुई घाटे की भरपाई करने के लिए यह जो योजना शुरू की गई थी इस योजना में पहले सरकार ने चार सब्जियां जिसमें आलू प्याज टमाटर और गोपी को शामिल किया था उसके बाद 6 अन्य सब्जियों के साथ फलो को भी शामिल किया गया है ।

ईटीवी भारत की टीम ने जब ग्राउंड लेवल पर इस योजना व इस योजना से मिलने वाले लाभ के बारे में किसानों से बातचीत की तो जाना कि कई किसान इस योजना के प्रति उलझन में है और किसानों ने बताया के मंडियों के रेट में एक समानता ना होने के कारण इस योजना से मिलने वाले लाभ से वंचित है । उन्होंने बताया के सरकार द्वारा कुछ किसानों को इस योजना का लाभ मिल रहा है तो कुछ को नहीं । सरकार द्वारा शुरू की गई योजना तो बहुत अच्छी है लेकिन योजना की कार्यशैली अच्छी नहीं है । जिस कारण से किसानों को सही प्रकार से इसका लाभ नहीं पहुंच रहा है । उन्होंने कहा सरकार को इस योजना पर दोबारा से सोच विचार कर फिर से काम करना चाहिए । कई किसानों ने यह भी तक कहा कि इस योजना में अधिकारी भ्रष्टाचार कर रहे हैं जिस कारण से कुछ ही किसान इस योजना से लाभ ले रहे हैं तो बहुत से किसान वंचित हैं ।



Conclusion:
वहीं जब इस बारे में हरियाणा बागवानी महानिदेशक अर्जुन सैनी से बात की गई तो उन्होंने यह माना कि वर्ष 2000 19 मार्च के महीने में इस योजना के तहत किसानों को लगभग 9 करोड 45 लाख रुपए दिए गए परंतु मार्च 29 30 31 को कंप्यूटर सॉफ्टवेयर में प्रॉब्लम आ जाने के कारण लगभग 3 करोड रुपए किसानों को नहीं मिल पाए और जो कि अभी भी किसानों को देने बाकी हैं अगले 10 दिन में किसानों को मिल जाएंगे ।

अब देखने वाली बात यह है कि इस योजना के तहत वर्ष 2019 मार्च का बकाया 3 करोड रुपया अभी भी किसानों को देना बाकी है जबकि 2020 मार्च आने वाला है । मंडियों में सब्जियों के रेट की समानता ना होने के कारण सरकार द्वारा इस योजना के तहत भरपाई का मिलने वाला लाभ पूरा नहीं पड़ता इसलिए किसानों में रोष है ।

किसानों का कहना है कि सरकार द्वारा बनाई गई योजना के ऊपर सरकार दोबारा से काम करें और किसानों की इस उलझन को समझें और बकाया राशि को जल्द किसानों तक पहुंचाए। जो अधिकारी कर्मचारी इस योजना में भ्रष्टाचार कर रहे हैं उन पर भी नकेल कसी जाए तभी यह योजना सुचारु रुप से चल पाएगी।

बाईट - किसान,समय सिंह
बाईट - किसान महिंदर
वन टू वन विद फार्मर्स
बाईट - अर्जुन सैनी - हरियाणा बागवानी महानिदेशक
Last Updated : Jan 5, 2020, 4:16 PM IST
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