करनाल: करनाल विधानसभा के रिटर्निंग अधिकारी एवं एसडीएम नरेंन्द्र पाल मलिक ने सभी मीडियाकर्मियों के साथ ई.वी.एम. और वी.वी.पैट. की कार्य प्रणाली पर विस्तार से चर्चा की. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए ई.वी.एम. और वी.वी. पैट की विश्वसनीयता को जनता में कायम रखने के मकसद से करनाल के लघु सचिवालय में इन मशीनों की ट्रेनिंग को लेकर एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया. यहाँ खासकर ट्रेनिंग के लिए मीडियाकर्मियों को बुलाया गया, जिस में प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया से जुड़े पत्रकार शामिल हुए. उन्होंने बताया कि 1990 के आस-पास देश में ईवीएम यानि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का प्रचलन हुआ जिसका मकसद था चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से हो.
वीवीपैट प्रयोग में लाई गई
इसके बाद वर्ष 2014 के चुनाव में देश के कई हिस्सों में वीवीपैट प्रयोग में लाई गई. हरियाणा में भी कई बूथों पर सैंपल के लिए वीवीपैट लगाई गई थी. अधिकारियों ने बताया कि इसके बाद पिछले लोकसभा आम चुनाव में सभी बूथों पर वीवीपैट उपलब्ध करवाई गई, जो पूर्ण रूप से अपने मकसद में सफल रही. वीवीपैट के जरिये कोई भी मतदाता अपनी पसंद के उम्मीदवार को वोट करने के बाद उसे एक छोटी स्क्रीन पर 7 सेंकड के लिए एक स्लिप पर आसानी से देख सकता है.
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ईवीएम फुलप्रूफ यानि अभेद्य है
रिटर्निंग अधिकारी एवं एसडीएम नरेंन्द्र पाल मलिक ने बताया कि बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वीवीपैट यानि तीनों डिवाइस से मिलकर ही कम्पलीट ईवीएम बनती है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि ईवीएम फुलप्रूफ यानि अभेद्य है, इसे हैक नहीं किया जा सकता. टेंपरिंग या छेड़छाड़ के बाद इसमें लगी मैमोरी चिप काम ही नहीं करेगी.
एसडीएम ने ईवीएम और चुनाव में इनके प्रयोग को लेकर मीडिया को कुछ और जानकारियां भी दी. चुनाव आयोग की हिदायत के अनुसार मतदान की तिथि से पूर्व, निर्वाचन से जुड़े अधिकारियों को कई तरह की प्रक्रियाएं पूरी करनी होती है, इनमें त्रिस्तरीय रैंडमाईजेशन प्रमुख रूप से होता है.