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'ईवीएम फुलप्रूफ यानि अभेद्य है, इसे हैक नहीं किया जा सकता' - करनाल विधानसभा के रिटर्निंग अधिकारी

स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए ई.वी.एम. और वी.वी. पैट की विश्वसनीयता को जनता में कायम रखने के मकसद से करनाल के लघु सचिवालय में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया.

ईवीएम फुलप्रूफ यानि अभेद्य है, इसे हैक नही किया जा सकता: चुनाव अधिकारी
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Published : Sep 3, 2019, 11:05 PM IST

करनाल: करनाल विधानसभा के रिटर्निंग अधिकारी एवं एसडीएम नरेंन्द्र पाल मलिक ने सभी मीडियाकर्मियों के साथ ई.वी.एम. और वी.वी.पैट. की कार्य प्रणाली पर विस्तार से चर्चा की. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए ई.वी.एम. और वी.वी. पैट की विश्वसनीयता को जनता में कायम रखने के मकसद से करनाल के लघु सचिवालय में इन मशीनों की ट्रेनिंग को लेकर एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया. यहाँ खासकर ट्रेनिंग के लिए मीडियाकर्मियों को बुलाया गया, जिस में प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया से जुड़े पत्रकार शामिल हुए. उन्होंने बताया कि 1990 के आस-पास देश में ईवीएम यानि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का प्रचलन हुआ जिसका मकसद था चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से हो.

वीवीपैट प्रयोग में लाई गई

इसके बाद वर्ष 2014 के चुनाव में देश के कई हिस्सों में वीवीपैट प्रयोग में लाई गई. हरियाणा में भी कई बूथों पर सैंपल के लिए वीवीपैट लगाई गई थी. अधिकारियों ने बताया कि इसके बाद पिछले लोकसभा आम चुनाव में सभी बूथों पर वीवीपैट उपलब्ध करवाई गई, जो पूर्ण रूप से अपने मकसद में सफल रही. वीवीपैट के जरिये कोई भी मतदाता अपनी पसंद के उम्मीदवार को वोट करने के बाद उसे एक छोटी स्क्रीन पर 7 सेंकड के लिए एक स्लिप पर आसानी से देख सकता है.

'ईवीएम फुलप्रूफ यानि अभेद्य है, इसे हैक नहीं किया जा सकता'

ये भी पढ़ें: हुड्डा कमेटी पर तो कमेटी हुड्डा पर निर्भर, क्या होगा आखिरी फैसला ?

ईवीएम फुलप्रूफ यानि अभेद्य है

रिटर्निंग अधिकारी एवं एसडीएम नरेंन्द्र पाल मलिक ने बताया कि बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वीवीपैट यानि तीनों डिवाइस से मिलकर ही कम्पलीट ईवीएम बनती है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि ईवीएम फुलप्रूफ यानि अभेद्य है, इसे हैक नहीं किया जा सकता. टेंपरिंग या छेड़छाड़ के बाद इसमें लगी मैमोरी चिप काम ही नहीं करेगी.

एसडीएम ने ईवीएम और चुनाव में इनके प्रयोग को लेकर मीडिया को कुछ और जानकारियां भी दी. चुनाव आयोग की हिदायत के अनुसार मतदान की तिथि से पूर्व, निर्वाचन से जुड़े अधिकारियों को कई तरह की प्रक्रियाएं पूरी करनी होती है, इनमें त्रिस्तरीय रैंडमाईजेशन प्रमुख रूप से होता है.

करनाल: करनाल विधानसभा के रिटर्निंग अधिकारी एवं एसडीएम नरेंन्द्र पाल मलिक ने सभी मीडियाकर्मियों के साथ ई.वी.एम. और वी.वी.पैट. की कार्य प्रणाली पर विस्तार से चर्चा की. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए ई.वी.एम. और वी.वी. पैट की विश्वसनीयता को जनता में कायम रखने के मकसद से करनाल के लघु सचिवालय में इन मशीनों की ट्रेनिंग को लेकर एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया. यहाँ खासकर ट्रेनिंग के लिए मीडियाकर्मियों को बुलाया गया, जिस में प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया से जुड़े पत्रकार शामिल हुए. उन्होंने बताया कि 1990 के आस-पास देश में ईवीएम यानि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का प्रचलन हुआ जिसका मकसद था चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से हो.

वीवीपैट प्रयोग में लाई गई

इसके बाद वर्ष 2014 के चुनाव में देश के कई हिस्सों में वीवीपैट प्रयोग में लाई गई. हरियाणा में भी कई बूथों पर सैंपल के लिए वीवीपैट लगाई गई थी. अधिकारियों ने बताया कि इसके बाद पिछले लोकसभा आम चुनाव में सभी बूथों पर वीवीपैट उपलब्ध करवाई गई, जो पूर्ण रूप से अपने मकसद में सफल रही. वीवीपैट के जरिये कोई भी मतदाता अपनी पसंद के उम्मीदवार को वोट करने के बाद उसे एक छोटी स्क्रीन पर 7 सेंकड के लिए एक स्लिप पर आसानी से देख सकता है.

'ईवीएम फुलप्रूफ यानि अभेद्य है, इसे हैक नहीं किया जा सकता'

ये भी पढ़ें: हुड्डा कमेटी पर तो कमेटी हुड्डा पर निर्भर, क्या होगा आखिरी फैसला ?

ईवीएम फुलप्रूफ यानि अभेद्य है

रिटर्निंग अधिकारी एवं एसडीएम नरेंन्द्र पाल मलिक ने बताया कि बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वीवीपैट यानि तीनों डिवाइस से मिलकर ही कम्पलीट ईवीएम बनती है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि ईवीएम फुलप्रूफ यानि अभेद्य है, इसे हैक नहीं किया जा सकता. टेंपरिंग या छेड़छाड़ के बाद इसमें लगी मैमोरी चिप काम ही नहीं करेगी.

एसडीएम ने ईवीएम और चुनाव में इनके प्रयोग को लेकर मीडिया को कुछ और जानकारियां भी दी. चुनाव आयोग की हिदायत के अनुसार मतदान की तिथि से पूर्व, निर्वाचन से जुड़े अधिकारियों को कई तरह की प्रक्रियाएं पूरी करनी होती है, इनमें त्रिस्तरीय रैंडमाईजेशन प्रमुख रूप से होता है.

Intro:ई.वी.एम. से नहीं हो सकती किसी प्रकार की छेडख़ानी , वी.वी.पैट. मशीन पर देख सकेगें वोट की वैरिफिकेशन , ई.वी.एम. और वी.वी. पैट की विश्वसनियता को जनता में कायम रखने के मकसद से करनाल में मीडियाकर्मियों को दिया प्रशिक्षण , दिखाई ई वी एम की कार्यप्रणाली।


Body:स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए ई.वी.एम. और वी.वी. पैट की विश्वसनियता को जनता में कायम रखने के मकसद से करनाल के लघु सचिवालय में इन मशीनों की ट्रेनिंग को लेकर एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। यहाँ खासकर ट्रेनिंग के लिए मीडियाकर्मियों को बुलाया गया, जिस में प्रिंट, इलैक्ट्रॉनिक व डिजिटल मीडिया से जुड़े पत्रकार शामिल हुए। ï
करनाल विधानसभा के रिटर्निंग अधिकारी एवं एसडीएम नरेंन्द्र पाल मलिक ने सभी मीडियाकर्मियों का स्वागत किया और ई.वी.एम. व वी.वी.पैट. की कार्य प्रणाली पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि 1990 के आस-पास देश में ईवीएम यानि इलैक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन का प्रचलन हुआ जिसका मकसद था चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से हों । इसके बाद वर्ष 2014 के चुनाव में देश के कई हिस्सों में वीवी पैट (वोटर वैरीफिएबल पेपर ऑडिट ट्रोल)प्रयोग में ली गई। हयिाणा में भी कई बूथों पर सैंपल के लिए वीवी पैट लगाई गई थी। इसके पश्चात विगत लोकसभा आम चुनाव में सभी बूथों पर वीवी पैट उपलब्ध करवाई गई, जो पूर्ण रूप से अपने मकसद में सफल रही। वीवी पैट के जरिये कोई भी मतदाता अपनी पंसद के उम्मीदवार को वोट करने के बाद उसे एक छोटी स्क्रीन पर 7 सेंकड के लिए एक स्लिप पर आसानी से देख सकता है जो स्वत: ही मशीन में गिर जाती है। उन्होंने बताया कि बैलेट युनिट, कंट्रोल यूनिट और वीवी पैट यानि तीनों डिवाईस से मिलकर ही कम्पलीट ईवीएम बनती है। ईवीएम फुलप्रूफ यानि अभेद्य है, इसे हैक नही किया जा सकता। टेंपरिंग या छेड़-छाड़ के बाद इसमें लगी मैमोरी चिप काम ही नहीं करेगी। इस प्रकार इनके प्रयोग को लेकर जनता या मतदाताओं में कदापि किसी प्रकार का भ्रम नहीं होना चाहिए।         
Conclusion:एसडीएम ने ईवीएम और चुनाव में इनके प्रयोग को लेकर मीडिया को कुछ और जानकारी दी और बताया कि चुनाव आयोग की हिदायत के अनुसार मतदान की तिथि से पूर्व, निर्वाचन से जुड़े अधिकारियों को कई तरह की प्रक्रियाएं पूरी करनी होती है, इनमें त्रिस्तरीय रैंडमाईजेशन प्रमुख रूप से होता है। प्रथम रैंडमाईजेशन में कौन सी मशीन किस निर्वाचन क्षेत्र में जाएगी, द्वितीय में किस मशीन के साथ कौन सी बीयू सीयू, वीवी पैट लगेगी, और तीसरे रैंडमाईजेशन में कौन सी ई वी एम किस बूथ पर जाएगी शामिल है। तीनों के समय राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाता है ताकि पारदर्शिता बनी रहे। इसके अलावा मतदान से पूर्व मॉक पोल करवाना भी अनिवार्य होता है। उन्होंने मीडियाकर्मियों का आहवान किया कि वे मतदाताओं को मतदान करने के लिए जागरूक करे ताकि लोकतत्र मजबूत रहे।

बाइट -- एसडीएम नरेंन्द्र पाल मलिक


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