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बैलगाड़ी से ड्रोन तक पहुंचा खेती का सफर, किसानों को भा रही ये तकनीक, पानी के साथ समय की भी बचत - ड्रोन से दवाईयों का छिड़काव आसान

किसानों के लिए ड्रोन तकनीक काफी कारगर साबित होने (Benefits to farmers in farming with drones) वाली है. ड्रोन की तकनीक से ना केवल किसानों के स्वास्थ्य में सुधार बना रहेगा. बल्कि इससे किसानों के समय में भी काफी बचत होगी साथ ही सब्जियों में छिड़काव करने वाली दवाईयों का (Drone Farming in karnaal haryana) भी सही इस्तेमाल हो सकेगा.

Drone Farming in karnaal haryana
हरियाणा में ड्रोन खेती
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Published : Jan 14, 2023, 10:41 PM IST

Updated : Jan 21, 2023, 6:16 PM IST

बैलगाड़ी से ड्रोन तक पहुंचा खेती का सफर, किसानों को भा रही ड्रोन तकनीक

करनाल: बैलगाड़ी से शुरू हुआ सफर अब ड्रोन तक पहुंच गया है. नए युग में बदल रहे खेती के स्वरूप को किसानों के खेतों में साफ देखा जा सकता है. यहां महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय द्वारा प्रतिदिन ड्रोन तकनीक से दवाई और नैनो यूरिया के छिड़काव का प्रदर्शन (Benefits to farmers in farming with drones) किया जा रहा है. केंद्र सरकार द्वारा ड्रोन तकनीक का प्रशिक्षण देने के लिए हरियाणा की पहली महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय (Maharana Pratap Horticulture University) को मान्यता दी गई है. जो प्रदेश के डेढ़ सौ किसानों के करीब 400 एकड़ क्षेत्र में ड्रोन तकनीक का प्रदर्शन कर चुकी है.

ड्रोन तकनीक को जानने और समझने के लिए प्रतिदिन 1 दर्जन से अधिक किसान विश्वविद्यालय के कृषि अधिकारियों से संपर्क कर रहे हैं. किसानों के अंदर ड्रोन तकनीक को लेकर किस तरह का उत्साह है. यह करनाल जिले के निसिंग क्षेत्र में आज दिखाई (Drone Farming in karnaal haryana) दिया. जहां इस तकनीक का प्रदर्शन देखने के लिए आसपास के काफी किसान इकट्ठा हुए थे. किसानों का कहना है कि इस तकनीक से समय की काफी बचत होती है और पानी का भी कम इस्तेमाल (Benefits to farmers in farming with drones) होता है.

easy to spray medicine on vegetables by drone
ड्रोन से सब्जियों में दवाईयों का छिड़काव आसान

एक किसान ने बताया कि इस तकनीक से ना केवल कम ऊंचाई वाली फसलों बल्कि ज्यादा ऊंचाई वाली फसलों जैसे गन्ने आदि पर भी आसानी से दवा का छिड़काव किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि खेती बाड़ी में यूरिया और दवाई के स्प्रे के (easy to spray medicine on vegetables by drone) लिए यह तकनीक काफी कारगर हैं. महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय के शिक्षा विस्तार विभाग के निदेशक डॉ. सत्येंद्र यादव ने कहा कि आमतौर पर 1 एकड़ में दवा के छिड़काव के लिए कम से कम 160 लीटर पानी की आवश्यकता होती है.

ये भी पढ़ें: फतेहाबाद में सुमन खिचड़ बनी जिला परिषद की चेयरपर्सन, कैलाश रानी वाइस चेयरपर्सन

जबकि ड्रोन तकनीक में केवल 10 लीटर पानी में 1 एकड़ में दवा का छिड़काव किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि मानवीय तरीके से 1 एकड़ में दवा और यूरिया का छिड़काव करने में एक घंटे लगता हैं. जबकि इस तकनीक से 6 से 8 मिनट में छिड़काव किया जा (Benefits to farmers in farming with drones) सकता है. डॉ सत्येंद्र यादव ने कहा कि यह तकनीक सब्जी, गेहूं और धान सहित सभी तरह की फसलों में कारगर है और आने वाले समय में खेती-बाड़ी का स्वरूप बदल देगी. उन्होंने कहा कि काफी संख्या में किसान इस तकनीक में रूचि ले रहे हैं और इसे देखने समझने के लिए आगे आ रहे हैं.

ये भी पढ़ें: अभय चौटाला ने ई टेंडरिंग का किया विरोध, बोले- पंचायतों को कमजोर कर रही सरकार

उन्होंने कहा कि कोई भी किसान अथवा छात्र इस तकनीक का प्रशिक्षण लेकर आधिकारिक रूप से ड्रोन पायलट बन (Benefits to farmers in farming with drones) सकता है. जिसका उसे विश्वविद्यालय की ओर से प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा. दवा कंपनी के एरिया प्रबंधक दिनेश कुमार ने बताया कि आज निसिंग में करीब 20 एकड़ खेतों में ड्रोन से दवा स्प्रे का प्रदर्शन किया गया है. इस तकनीक के द्वारा इंसान पर दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता. इसके अलावा फसलों पर एक समान छिड़काव होता है. उन्होंने इस तकनीक को भविष्य के लिए काफी आशाजनक बताया और किसानों से इस तकनीक को अपनाने की बात कही.

बैलगाड़ी से ड्रोन तक पहुंचा खेती का सफर, किसानों को भा रही ड्रोन तकनीक

करनाल: बैलगाड़ी से शुरू हुआ सफर अब ड्रोन तक पहुंच गया है. नए युग में बदल रहे खेती के स्वरूप को किसानों के खेतों में साफ देखा जा सकता है. यहां महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय द्वारा प्रतिदिन ड्रोन तकनीक से दवाई और नैनो यूरिया के छिड़काव का प्रदर्शन (Benefits to farmers in farming with drones) किया जा रहा है. केंद्र सरकार द्वारा ड्रोन तकनीक का प्रशिक्षण देने के लिए हरियाणा की पहली महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय (Maharana Pratap Horticulture University) को मान्यता दी गई है. जो प्रदेश के डेढ़ सौ किसानों के करीब 400 एकड़ क्षेत्र में ड्रोन तकनीक का प्रदर्शन कर चुकी है.

ड्रोन तकनीक को जानने और समझने के लिए प्रतिदिन 1 दर्जन से अधिक किसान विश्वविद्यालय के कृषि अधिकारियों से संपर्क कर रहे हैं. किसानों के अंदर ड्रोन तकनीक को लेकर किस तरह का उत्साह है. यह करनाल जिले के निसिंग क्षेत्र में आज दिखाई (Drone Farming in karnaal haryana) दिया. जहां इस तकनीक का प्रदर्शन देखने के लिए आसपास के काफी किसान इकट्ठा हुए थे. किसानों का कहना है कि इस तकनीक से समय की काफी बचत होती है और पानी का भी कम इस्तेमाल (Benefits to farmers in farming with drones) होता है.

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ड्रोन से सब्जियों में दवाईयों का छिड़काव आसान

एक किसान ने बताया कि इस तकनीक से ना केवल कम ऊंचाई वाली फसलों बल्कि ज्यादा ऊंचाई वाली फसलों जैसे गन्ने आदि पर भी आसानी से दवा का छिड़काव किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि खेती बाड़ी में यूरिया और दवाई के स्प्रे के (easy to spray medicine on vegetables by drone) लिए यह तकनीक काफी कारगर हैं. महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय के शिक्षा विस्तार विभाग के निदेशक डॉ. सत्येंद्र यादव ने कहा कि आमतौर पर 1 एकड़ में दवा के छिड़काव के लिए कम से कम 160 लीटर पानी की आवश्यकता होती है.

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जबकि ड्रोन तकनीक में केवल 10 लीटर पानी में 1 एकड़ में दवा का छिड़काव किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि मानवीय तरीके से 1 एकड़ में दवा और यूरिया का छिड़काव करने में एक घंटे लगता हैं. जबकि इस तकनीक से 6 से 8 मिनट में छिड़काव किया जा (Benefits to farmers in farming with drones) सकता है. डॉ सत्येंद्र यादव ने कहा कि यह तकनीक सब्जी, गेहूं और धान सहित सभी तरह की फसलों में कारगर है और आने वाले समय में खेती-बाड़ी का स्वरूप बदल देगी. उन्होंने कहा कि काफी संख्या में किसान इस तकनीक में रूचि ले रहे हैं और इसे देखने समझने के लिए आगे आ रहे हैं.

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उन्होंने कहा कि कोई भी किसान अथवा छात्र इस तकनीक का प्रशिक्षण लेकर आधिकारिक रूप से ड्रोन पायलट बन (Benefits to farmers in farming with drones) सकता है. जिसका उसे विश्वविद्यालय की ओर से प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा. दवा कंपनी के एरिया प्रबंधक दिनेश कुमार ने बताया कि आज निसिंग में करीब 20 एकड़ खेतों में ड्रोन से दवा स्प्रे का प्रदर्शन किया गया है. इस तकनीक के द्वारा इंसान पर दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता. इसके अलावा फसलों पर एक समान छिड़काव होता है. उन्होंने इस तकनीक को भविष्य के लिए काफी आशाजनक बताया और किसानों से इस तकनीक को अपनाने की बात कही.

Last Updated : Jan 21, 2023, 6:16 PM IST
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