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हरियाणा की महिला किसान पूनम चीमा ने की ड्रैगन फ्रूट की खेती, एक बार की लागत से 25 साल तक करें कमाई - ड्रैगन फ्रूट्स की खेती कैसे होती है

करनाल की महिला किसान पूनम चीमा दो एकड़ में ड्रैगन फ्रूट्स की खेती जैविक तरीके से कर रही हैं. पूनम चीमा के मुताबिक इसकी खेती से किसान सालाना लाखों रुपये कमा सकता है. जानें क्या होता है ड्रैगन फ्रूट और कैसे की जाती है इसकी खेती.

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Published : Mar 14, 2023, 4:11 PM IST

हरियाणा की महिला किसान पूनम चीमा से जानें ड्रैगन फ्रूट की खेती के फायदे

करनाल: हरियाणा के किसान इन दिनों परंपरागत खेती को छोड़कर जैविक खेती और बागवानी की तरफ तेजी से रुख कर रहे हैं. क्योंकि जैविक खेती में मुनाफा तो ज्यादा होता ही है और वक्त की भी बचत होती है. जिससे किसानों को दोगुना फायदा होता है. अच्छी बात ये है कि हरियाणा में महिला किसानों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. ऐसी ही एक महिला किसान हैं समाना बहू गांव करनाल की पूनम चीमा. पूनम चीमा ने 2 एकड़ खेत में ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की है. पूनम चीमा के पति कर्नल एसपीएस चीमा भी खेती में उनका पूरा सहयोग करते हैं. करनाल की महिला किसान पूनम चीमा ने ईटीवी भारत से बातचीत की.

dragon fruit farming in haryana
किसान पूनम चीमा के पति भी उनका इस काम में बखूबी साथ देते हैं.

ऐसे शुरू हुआ सफर: पूनम ने कहा कि उनके पति ने आर्मी में करीब 30 साल तक अपनी सेवाएं दी हैं. उनके रिटायरमेंट के बाद हम लोग कुरुक्षेत्र में रहने लगे. जहां पर पूनम अपने आप को व्यस्त रखने के लिए किचन गार्डन लगाती थी, क्योंकि वो किसान परिवार से हैं. इसलिए खेती में उनका खास लगाव है. लिहाजा उन्होंने सोचा कि कुरुक्षेत्र में रहने से ज्यादा अच्छा है कि वो गांव में शिफ्ट हो जाए. वहीं जो उनकी पुश्तैनी जमीन है. वहां पर ऑर्गेनिक खेती करेंगे. लिहाजा वो गांव में शिफ्ट हो गए और आर्गेनिक खेती पर रिसर्च शुरू कर दी. करीब दो से तीन साल रिसर्च करने के बाद उन्होंने ड्रैगन फ्रूट की खेती करने का मन बनाया.

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महिला किसान पूनम चीमा अकेले ही ये खेती संभालती हैं.

ड्रैगन फ्रूट की खेती करने से पहले उन्होंने देश के विभिन्न बड़े ड्रैगन फ्रूट के किसानों से मुलाकात की और ड्रैगन फ्रूट की खेती के बारे में जानकारियां जुटाई. पूनम खुद ही ड्रैगन फ्रूट की खेती का प्रबंधन संभालती हैं. पूनम ने बताया कि उन्होंने पिछले साल ही 2 एकड़ में ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की है. इससे पहले गांव में कर्नल चीमा के भाई ही उनकी खेती देख रहे थे. पूनम ने बताया कि हरियाणा में ड्रैगन फ्रूट की खेती बहुत ही कम स्केल पर की जाती है. उन्होंने दावा किया कि हरियाणा में वो एकमात्र किसान है जिन्होंने डायरेक्ट 2 एकड़ में ड्रैगन फ्रूट की खेती करनी शुरू की है.

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ऐसा दिखता है ड्रैगन फ्रूट

प्रति एकड़ करीब 8 लाख का खर्च: उन्होंने कहा कि जब उन्होंने ये 2 एकड़ में ड्रैगन फ्रूट लगाया. तब उनका प्रति एकड़ करीब 8 लाख रुपये खर्च आया. यहां पर ड्रैगन फ्रूट के पौधों की कटाई से लेकर छंटाई, निराई से गुड़ाई तक का सारा काम वो खुद ही करती हैं. हालांकि उसमें उनको पति का भी सहयोग मिलता है. पूनम के मुताबिक उन्होंने ऑर्गेनिक तरीके से ड्रैगन की खेती शुरू की है. क्योंकि हरियाणा में ड्रैगन फ्रूट की खेती रसायनिक तरीके से की जाती है. इसलिए उन्होंने ऑर्गेनिक खेती करने का फैसला किया. पूनम ने बताया कि दो एकड़ ड्रैगन फ्रूट की खेती में उन्होंने ड्रिप इरिगेशन से सिंचाई की व्यवस्था की है, ताकि पानी की भी बचत की जा सके.

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ड्रैगन फ्रूट के साथ कुछ महीनों के लिए सब्जियों की खेती भी की जा सकती है.

पूनम ने कहा कि पुरुषों की तरह अगर महिलाएं भी कृषि क्षेत्र में अगर काम करें, तो वो महारत हासिल कर सकती हैं. ड्रैगन फ्रूट की बात करें तो ड्रैगन फ्रूट को सुपरफूड कहा जाता है. इसकी कीमत ₹80 से लेकर ₹150 तक होती है. इसलिए आने वाले समय में हरियाणा के किसानों के लिए ड्रैगन फ्रूट की खेती में सुनहरा भविष्य दिखाई दे रहा है. करनाल की महिला किसान पूनम ने कहा कि मौजूदा समय में हमारे प्रदेश के युवा खेती छोड़ कर विदेशों की तरफ रुख कर रहे हैं. वो नई तकनीक से खेती करें, तो निश्चित ही यहां अच्छा भविष्य बना सकते हैं.

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ड्रैगन फ्रूट के साथ कुछ महीनों के लिए सब्जियों की खेती भी की जा सकती है.

कैसे होती है ड्रैगन फ्रूट्स की खेती? पूनम ने बताया कि उन्होंने दो एकड़ में 1060 सीमेंट के पिलर लगाए हैं. हर पिलर पर चार पौधे लगाए हैं. पिलर से पिलर की दूरी 7 फिट की है, जबकि लाइन से लाइन की दूरी 10 फीट की है. जबकि लाइन से लाइन की दूरी 10 फीट की है. पूनम ने कहा कि ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए शुरुआती समय में एक बार ही इन्वेस्टमेंट की जाती है. उसके बाद किसान 25 वर्षों तक उन्हीं पौधों से आमदनी लेता रहता है. अगर ड्रैगन फ्रूट का कोई पौधा खराब भी हो जाए, तो किसान दूसरे पौधों से कटिंग करके नया पौधा तैयार कर सकता है. पूनम ने ड्रैगन फ्रूट की तीन किस्में लगाई हैं. जिसमें इन किस्मों के चुनाव से पहले उन्होंने देश भर के कई ड्रैगन फ्रूट फार्म से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि एक किस्म आंध्रप्रदेश से मंगाई है, जबकि दूसरी करनाल से ली है और तीसरी वैरायटी उन्होंने अमेरिकन ब्यूटी लगाई है. इन सभी का वजन 300 से 400 ग्राम प्रति फल होता है. एक पिलर से इनको करीब 12 किलो फल मिलता है.

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महिला किसान ने दो एकड़ में 1060 सीमेंट के पिलर लगाए हैं.

ये भी पढ़ें- गर्मी के साथ ही बढ़े हरियाणा में सब्जियों के दाम, टिंडा और भिंडी 100 के पार, नींबू ने भी खाया 'भाव'

उन्होंने इस को और बेहतर बनाने के लिए कई ऐसे कृषि उपकरण खरीदे हैं, जिनसे आसानी से निराई गुड़ाई की जा सकती है. पूनम के पति कर्नल एसपीएस चीमा ने बताया रिटायरमेंट के बाद हम घर बैठ गए थे, तो मेरी पत्नी ने कहा कि हमें खेती में कुछ नया करना चाहिए. ऐसे में उनकी पत्नी ने उन को सलाह दी कि हमें ड्रैगन फ्रूट की खेती करनी चाहिए. उसके बाद से हमने ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की. जिसका पूरा प्रबंधन उसकी पत्नी कर रही हैं. उन्होंने कहा कि हमारा ड्रैगन फ्रूट बागवानी विभाग में रजिस्टर हो चुका है. हरियाणा सरकार भी हरियाणा में ड्रैगन फ्रूट की खेती को बढ़ावा देने के लिए अनुदान की बात कह रही है.

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एक बार लागत लगाने के बाद इससे 25 साल तक आमदनी होती है.

ड्रैगन फ्रूट की विशेषता: कर्नल एसपीएस चीमा ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट को सुपर फ्रूट भी कहा जाता है. ड्रैगन फ्रूट के पौधे में कीट और रोग बहुत ही कम लगते हैं. हमको करीब 1 वर्ष होने वाला है. अभी तक किसी भी प्रकार के कीट या रोग की समस्या ड्रैगन फ्रूट में देखने को नहीं मिली. उन्होंने कहा कि इसमें सिर्फ फंगस की बीमारी आती है. जिसको नियंत्रण करने के लिए ऑर्गेनिक तरीके का इस्तेमाल किया जाता है. उन्होंने कहा कि ड्रैगन फ्रूट को सुपरफ्रूट में इसलिए शामिल किया गया है, क्योंकि इस फ्रूट में कई रोगों से लड़ने की क्षमता होती है.

हरियाणा की महिला किसान पूनम चीमा से जानें ड्रैगन फ्रूट की खेती के फायदे

करनाल: हरियाणा के किसान इन दिनों परंपरागत खेती को छोड़कर जैविक खेती और बागवानी की तरफ तेजी से रुख कर रहे हैं. क्योंकि जैविक खेती में मुनाफा तो ज्यादा होता ही है और वक्त की भी बचत होती है. जिससे किसानों को दोगुना फायदा होता है. अच्छी बात ये है कि हरियाणा में महिला किसानों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. ऐसी ही एक महिला किसान हैं समाना बहू गांव करनाल की पूनम चीमा. पूनम चीमा ने 2 एकड़ खेत में ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की है. पूनम चीमा के पति कर्नल एसपीएस चीमा भी खेती में उनका पूरा सहयोग करते हैं. करनाल की महिला किसान पूनम चीमा ने ईटीवी भारत से बातचीत की.

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किसान पूनम चीमा के पति भी उनका इस काम में बखूबी साथ देते हैं.

ऐसे शुरू हुआ सफर: पूनम ने कहा कि उनके पति ने आर्मी में करीब 30 साल तक अपनी सेवाएं दी हैं. उनके रिटायरमेंट के बाद हम लोग कुरुक्षेत्र में रहने लगे. जहां पर पूनम अपने आप को व्यस्त रखने के लिए किचन गार्डन लगाती थी, क्योंकि वो किसान परिवार से हैं. इसलिए खेती में उनका खास लगाव है. लिहाजा उन्होंने सोचा कि कुरुक्षेत्र में रहने से ज्यादा अच्छा है कि वो गांव में शिफ्ट हो जाए. वहीं जो उनकी पुश्तैनी जमीन है. वहां पर ऑर्गेनिक खेती करेंगे. लिहाजा वो गांव में शिफ्ट हो गए और आर्गेनिक खेती पर रिसर्च शुरू कर दी. करीब दो से तीन साल रिसर्च करने के बाद उन्होंने ड्रैगन फ्रूट की खेती करने का मन बनाया.

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महिला किसान पूनम चीमा अकेले ही ये खेती संभालती हैं.

ड्रैगन फ्रूट की खेती करने से पहले उन्होंने देश के विभिन्न बड़े ड्रैगन फ्रूट के किसानों से मुलाकात की और ड्रैगन फ्रूट की खेती के बारे में जानकारियां जुटाई. पूनम खुद ही ड्रैगन फ्रूट की खेती का प्रबंधन संभालती हैं. पूनम ने बताया कि उन्होंने पिछले साल ही 2 एकड़ में ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की है. इससे पहले गांव में कर्नल चीमा के भाई ही उनकी खेती देख रहे थे. पूनम ने बताया कि हरियाणा में ड्रैगन फ्रूट की खेती बहुत ही कम स्केल पर की जाती है. उन्होंने दावा किया कि हरियाणा में वो एकमात्र किसान है जिन्होंने डायरेक्ट 2 एकड़ में ड्रैगन फ्रूट की खेती करनी शुरू की है.

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ऐसा दिखता है ड्रैगन फ्रूट

प्रति एकड़ करीब 8 लाख का खर्च: उन्होंने कहा कि जब उन्होंने ये 2 एकड़ में ड्रैगन फ्रूट लगाया. तब उनका प्रति एकड़ करीब 8 लाख रुपये खर्च आया. यहां पर ड्रैगन फ्रूट के पौधों की कटाई से लेकर छंटाई, निराई से गुड़ाई तक का सारा काम वो खुद ही करती हैं. हालांकि उसमें उनको पति का भी सहयोग मिलता है. पूनम के मुताबिक उन्होंने ऑर्गेनिक तरीके से ड्रैगन की खेती शुरू की है. क्योंकि हरियाणा में ड्रैगन फ्रूट की खेती रसायनिक तरीके से की जाती है. इसलिए उन्होंने ऑर्गेनिक खेती करने का फैसला किया. पूनम ने बताया कि दो एकड़ ड्रैगन फ्रूट की खेती में उन्होंने ड्रिप इरिगेशन से सिंचाई की व्यवस्था की है, ताकि पानी की भी बचत की जा सके.

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ड्रैगन फ्रूट के साथ कुछ महीनों के लिए सब्जियों की खेती भी की जा सकती है.

पूनम ने कहा कि पुरुषों की तरह अगर महिलाएं भी कृषि क्षेत्र में अगर काम करें, तो वो महारत हासिल कर सकती हैं. ड्रैगन फ्रूट की बात करें तो ड्रैगन फ्रूट को सुपरफूड कहा जाता है. इसकी कीमत ₹80 से लेकर ₹150 तक होती है. इसलिए आने वाले समय में हरियाणा के किसानों के लिए ड्रैगन फ्रूट की खेती में सुनहरा भविष्य दिखाई दे रहा है. करनाल की महिला किसान पूनम ने कहा कि मौजूदा समय में हमारे प्रदेश के युवा खेती छोड़ कर विदेशों की तरफ रुख कर रहे हैं. वो नई तकनीक से खेती करें, तो निश्चित ही यहां अच्छा भविष्य बना सकते हैं.

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ड्रैगन फ्रूट के साथ कुछ महीनों के लिए सब्जियों की खेती भी की जा सकती है.

कैसे होती है ड्रैगन फ्रूट्स की खेती? पूनम ने बताया कि उन्होंने दो एकड़ में 1060 सीमेंट के पिलर लगाए हैं. हर पिलर पर चार पौधे लगाए हैं. पिलर से पिलर की दूरी 7 फिट की है, जबकि लाइन से लाइन की दूरी 10 फीट की है. जबकि लाइन से लाइन की दूरी 10 फीट की है. पूनम ने कहा कि ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए शुरुआती समय में एक बार ही इन्वेस्टमेंट की जाती है. उसके बाद किसान 25 वर्षों तक उन्हीं पौधों से आमदनी लेता रहता है. अगर ड्रैगन फ्रूट का कोई पौधा खराब भी हो जाए, तो किसान दूसरे पौधों से कटिंग करके नया पौधा तैयार कर सकता है. पूनम ने ड्रैगन फ्रूट की तीन किस्में लगाई हैं. जिसमें इन किस्मों के चुनाव से पहले उन्होंने देश भर के कई ड्रैगन फ्रूट फार्म से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि एक किस्म आंध्रप्रदेश से मंगाई है, जबकि दूसरी करनाल से ली है और तीसरी वैरायटी उन्होंने अमेरिकन ब्यूटी लगाई है. इन सभी का वजन 300 से 400 ग्राम प्रति फल होता है. एक पिलर से इनको करीब 12 किलो फल मिलता है.

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महिला किसान ने दो एकड़ में 1060 सीमेंट के पिलर लगाए हैं.

ये भी पढ़ें- गर्मी के साथ ही बढ़े हरियाणा में सब्जियों के दाम, टिंडा और भिंडी 100 के पार, नींबू ने भी खाया 'भाव'

उन्होंने इस को और बेहतर बनाने के लिए कई ऐसे कृषि उपकरण खरीदे हैं, जिनसे आसानी से निराई गुड़ाई की जा सकती है. पूनम के पति कर्नल एसपीएस चीमा ने बताया रिटायरमेंट के बाद हम घर बैठ गए थे, तो मेरी पत्नी ने कहा कि हमें खेती में कुछ नया करना चाहिए. ऐसे में उनकी पत्नी ने उन को सलाह दी कि हमें ड्रैगन फ्रूट की खेती करनी चाहिए. उसके बाद से हमने ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की. जिसका पूरा प्रबंधन उसकी पत्नी कर रही हैं. उन्होंने कहा कि हमारा ड्रैगन फ्रूट बागवानी विभाग में रजिस्टर हो चुका है. हरियाणा सरकार भी हरियाणा में ड्रैगन फ्रूट की खेती को बढ़ावा देने के लिए अनुदान की बात कह रही है.

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एक बार लागत लगाने के बाद इससे 25 साल तक आमदनी होती है.

ड्रैगन फ्रूट की विशेषता: कर्नल एसपीएस चीमा ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट को सुपर फ्रूट भी कहा जाता है. ड्रैगन फ्रूट के पौधे में कीट और रोग बहुत ही कम लगते हैं. हमको करीब 1 वर्ष होने वाला है. अभी तक किसी भी प्रकार के कीट या रोग की समस्या ड्रैगन फ्रूट में देखने को नहीं मिली. उन्होंने कहा कि इसमें सिर्फ फंगस की बीमारी आती है. जिसको नियंत्रण करने के लिए ऑर्गेनिक तरीके का इस्तेमाल किया जाता है. उन्होंने कहा कि ड्रैगन फ्रूट को सुपरफ्रूट में इसलिए शामिल किया गया है, क्योंकि इस फ्रूट में कई रोगों से लड़ने की क्षमता होती है.

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