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सीएम सिटी करनाल में मृत पशुओं का वैज्ञानित तरीके से होगा निस्तारण - Karnal dead animal disposal

केएससीएल अब करनाल में मरने वाले पशुओं को वैज्ञानिक तरीके से डिस्पोज ऑफ करेगा. इसके लिए केएससीएम की और से प्लान भी तैयार कर लिया गया है. करनाल में प्रतिदिन 4 से 5 पशुओं की मृत्यु हो जाती है.

Dead animals will be disposed of scientifically in Karnal
Dead animals will be disposed of scientifically in Karnal
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Published : Jul 19, 2020, 3:25 PM IST

करनाल: करनाल स्मार्ट सिटी लिमिटेड (केएससीएल) की ओर से अपने शहर के मृत पशुओं का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण करने के लिए प्लान तैयार किया गया है. इसकी प्रतिदिन की क्षमता 2 टन की रहेगी. केएससीएल के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर निशांत कुमार यादव ने इस बारे में अधिक जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि करनाल में प्रतिदिन अंदाजन बड़े और मध्यम स्तर के 4-5 पशुओं की मृत्यु हो जाती है, चाहे प्राकृतिक तरीके से हो या सड़क दुर्घटना में. ऐसे मृत पशुओं को नगर निगम की ओर से या तो दफनाया जाता है या उसकी स्क्रीनिंग की जाती है. दूसरी ओर न्यायालय की ओर से इस तरह के अवैज्ञानिक निस्तारण पर प्रतिबंध किया गया है. इसे देखते हुए नगर निगम सीमा में किसी जगह सेंट्रलाइज्ड कारकास वेस्ट मेनेजमेंट एंड डिस्पोजल फैसिलिटी पर कार्य किया जाएगा.

क्यों है जरूरी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की अनुपालना में जल कानून 1974 और वायु कानून 1981 व ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 के हवाले से कारकास और मृत पशुओं के निस्तारण को स्पष्ट किया है. जिसमें सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को मृत पशुओं और पक्षियों का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि पर्यावरण और मानव को किसी प्रकार का नुकसान ना हो.

क्या होगा फायदा

मृत पशुओं को वैज्ञानिक तरीके से निस्तारित करने के लिए प्रोपेन गैस, डीजल या नैचूरल गैस का इस्तेमाल किया जाता है. आधुनिक तरीके से भस्म की गई राख जैव सुरक्षित होती है. अनुसंधान सुविधाओं के लिए ऐसा करना अच्छा है. ताप भस्म के अंदर शव को जलाने से द्रव्यमान कम हो जाता है और रोगजनक नष्ट होते हैं. जबकि भस्म राख को पैक करके लैंडफिल में भेजा जा सकता है. जानवरों के आधुनिक तरीके से दाह संस्कार से मनुष्य का भावुक लगाव भी हो सकता है.

ये भी पढ़ें- मास्क न पहनने वालों से सख्ती से निपट रहा चंडीगढ़ प्रशासन

करनाल: करनाल स्मार्ट सिटी लिमिटेड (केएससीएल) की ओर से अपने शहर के मृत पशुओं का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण करने के लिए प्लान तैयार किया गया है. इसकी प्रतिदिन की क्षमता 2 टन की रहेगी. केएससीएल के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर निशांत कुमार यादव ने इस बारे में अधिक जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि करनाल में प्रतिदिन अंदाजन बड़े और मध्यम स्तर के 4-5 पशुओं की मृत्यु हो जाती है, चाहे प्राकृतिक तरीके से हो या सड़क दुर्घटना में. ऐसे मृत पशुओं को नगर निगम की ओर से या तो दफनाया जाता है या उसकी स्क्रीनिंग की जाती है. दूसरी ओर न्यायालय की ओर से इस तरह के अवैज्ञानिक निस्तारण पर प्रतिबंध किया गया है. इसे देखते हुए नगर निगम सीमा में किसी जगह सेंट्रलाइज्ड कारकास वेस्ट मेनेजमेंट एंड डिस्पोजल फैसिलिटी पर कार्य किया जाएगा.

क्यों है जरूरी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की अनुपालना में जल कानून 1974 और वायु कानून 1981 व ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 के हवाले से कारकास और मृत पशुओं के निस्तारण को स्पष्ट किया है. जिसमें सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को मृत पशुओं और पक्षियों का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि पर्यावरण और मानव को किसी प्रकार का नुकसान ना हो.

क्या होगा फायदा

मृत पशुओं को वैज्ञानिक तरीके से निस्तारित करने के लिए प्रोपेन गैस, डीजल या नैचूरल गैस का इस्तेमाल किया जाता है. आधुनिक तरीके से भस्म की गई राख जैव सुरक्षित होती है. अनुसंधान सुविधाओं के लिए ऐसा करना अच्छा है. ताप भस्म के अंदर शव को जलाने से द्रव्यमान कम हो जाता है और रोगजनक नष्ट होते हैं. जबकि भस्म राख को पैक करके लैंडफिल में भेजा जा सकता है. जानवरों के आधुनिक तरीके से दाह संस्कार से मनुष्य का भावुक लगाव भी हो सकता है.

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