करनाल: हरियाणा रोडवेज के बेड़े में नई बसें शामिल करने की योजना कागजों तक ही सिमट कर रह गई है. नई बसों के इंतजार में एक वर्ष बीत चुका है. नए साल का पहला महीना भी समाप्त होने को है लेकिन करनाल डिपो में नई बसें अभी तक नहीं पहुंची हैं. दूसरी तरफ समय पूरा करने के बाद कंडम होने वाली बसों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है. करनाल रोडवेज डिपो के बेड़े से छह बसें और कंडम होने के कारण ऑफ रोड हो गई हैं.
कंडम बसों के हटने से दिल्ली समेत 17 ग्रामीण मार्गों पर परिवहन सेवा प्रभावित हुई है. यानि बसें कम होने से इन मार्गों पर अब रोडवेज बसों के फेरे घटेंगे. इससे लोगों को आवागमन में परेशानी का सामना करना पड़ेगा. ऐसे में प्रति बस यात्रियों का लोड भी बढ़ेगा. जानकारी के अनुसार रोडवेज की ओर से करनाल डिपो को नवंबर से अब तक चेसिस और बॉडी समेत कुल 65 बसें दी जानी थी. इनमें से केवल पांच बसें ही रोडवेज के बेड़े में शामिल हो पाई हैं. जबकि 60 बसों के चेसिस व बॉडी तैयार होने के बावजूद डिपो तक पहुंची. ऐसे में बसों की कमी के कारण परिवहन सुविधाएं बढ़ने की बजाय घटती जा रही हैं. अब तक 90 बसों वाले बेड़े में अब 84 बसें ही विभिन्न मार्गों पर चलेंगी. क्योंकि 6 बसे कंडम हो चुकी हैं.
16 लाख आबादी पर केवल 84 बसें- नियम के अनुसार एनसीआर क्षेत्र में 10 साल पुरानी हो चुकी बसों का संचालन नहीं किया जा सकता है. ऐसे में 10 साल बाद बसों को दिल्ली और अन्य एनसीआर क्षेत्र से बाहर कर दिया जाता है. व्यवस्था बनाने के लिए रोडवेज की ओर से लंबी दूरी की बसों को दिल्ली-चंडीगढ़ मार्ग पर चलाना मजबूरी होगी. अभी भी कई बसों को ऐसे ही चलाया जा रहा है. करनाल डिपो की क्षमता और जिले की साढ़े 16 लाख आबादी के हिसाब से 350 बसों की जरूरत है. 2015 के मानक के अनुसार डिपो में 250 बसें तो जरूर होनी चाहिए लेकिन 84 बसों के सहारे ही डिपो चल रहा है.
हरियाणा में बसों की कमी का असर: पंजाब के होशियारपुर, हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला, बैजनाथ, जम्मू व जयपुर के अतिरिक्त करनाल से कांगड़ा, ज्वाला जी, चामुंडा देवी और नैना देवी के लिए सीधी बस सेवा काफी समय से बंद है. हिमाचल प्रदेश के भरठी और धर्मशाला मार्ग पर चलने वाली बस ही कई देवियों के स्थानों की यात्रा कराती हैं. बसों की कमी के कारण इस मार्ग की बस सेवा को अगस्त 2022 में बंद कर दिया गया था. ये बसें कांगड़ा जिला और शाहतलाई भी जाती थी. कांगड़ा जिले में देवी मां के कई स्थान हैं.
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मार्च तक नई बसें मिलने का दावा: करनाल रोडवेज डिपो को अभी तक 5 नई बसें ही मिली हैं जबकि 6 बसें और कंडम हो गई हैं. कुछ मार्गों पर बस सेवा प्रभावित हुई है. दिल्ली-चंडीगढ़ मार्ग पर ही कई बसों का फेरा बढ़ाया गया है. अब 84 बसें ही बेड़े में रह गई हैं. उम्मीद है 10 नई बसें इसी महीने मिल जाएगी.
अगर आंकड़ों की बात करें तो 2018 में करनाल रोडवेज के बेड़े में 175 बसें थी. 2018 के बाद एक भी बस बेड़े में शामिल नहीं की गई. इसके चलते बसों की संख्या लगातार कम होती जा रही है. करनाल रोडवेज डिपो के जीएम कुलदीप सिंह ने दावा किया कि मार्च तक डिपो में करीब 100 नई बसें आ जाएगी, जिससे परिवहन व्यवस्था बेहतर हो सकेंगी.