कैथल: दिल्ली और हरियाणा समेत उत्तर भारत में प्रदूषण से लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है. लेकिन इसके लिए हरियाणा में पराली जलाने वाले किसान जिम्मेदार नहीं हैं. किसानों को बेवजह ही प्रदूषण के नाम पर बलि का बकरा बनाया जा रहा है.
हरियाणा में पराली जलाने के मामले
हरियाणा में पराली जलाने के मामलों में वैसे तो अब कमी आ रही है. लेकिन इस 25 सितम्बर से 4 नवंबर के आंकड़ों की बात करें तो हरियाणा के सिर्फ 6 जिलों में पराली जलाने के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं. इनमें अंबाला, फतेहाबाद, जींद, कैथल, करनाल और कुरुक्षेत्र शामिल हैं. एयर क्वालिटी इंडेक्स की बात करें तो इन शहरों का एक्यूआई दिल्ली के शहरों से बेहतर है.
प्रदूषण के लिए पराली जिम्मेदार नहीं!
जानकारों के मुताबिक दिल्ली और हरियाणा समेत उत्तर भारत के प्रदूषण के लिए हरियाणा में पराली जलाना जिम्मेदार नहीं हैं. कुल प्रदूषण में सिर्फ 8-10 फीसदी प्रदूषण ही पराली जलाने की वजह से होता है. जबकि 90 से 92 फीसदी प्रदूषण अन्य कारणों की वजह से दिल्ली और आसपास के लोगों की परेशानियों को बढ़ा रहा है.
पराली पर फोड़ा जा रहा ठीकरा
खास बात ये है कि केजरीवाल सरकार दिल्ली में बढ़े प्रदूषण के लिए हरियाणा और पंजाब में जलने वाली पराली को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. जबकि किसानों का कहना है कि हरियाणा के जिन जिलों में सबसे ज्यादा पराली जलाई जा रही है कि वहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स दिल्ली से शहरों से बेहतर है. यानि प्रदूषण के लिए पराली नहीं बल्कि गाड़ियों और चिमनियों से निकलने वाला धुआं जिम्मेदार है.
वैसे भी जिस पराली को प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह बताया जा रहा है. वो पिछले कई सालों से हरियाणा में ऐसे ही जलाई जा रही है. फिर दिल्ली में बढ़े प्रदूषण पर इसका असर कैसे माना जा सकता है. बढ़े प्रदूषण को लेकर किसान भी चिंतित हैं, लिहाजा वो भी अब सरकार की जागरुकता कैंप के बाद पराली के बेहतर निस्तारण पर जोर दे रहे हैं.
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