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पराली जलाने को लेकर गए नोटिस पर सरपंचों का फूटा गुस्सा - कैथल सरपंच पराली नोटिस

कैथल में पराली जलाने के मामले में सरपंचों को गए नोटिस पर सभी लामबंद हो गए. सरपंचों का कहना है कि वो प्रशासन की मदद करने के लिए हैं ना कि उनकी जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए.

sarpanch protest against government notice for stubble burning in kaithal
पराली जलाने को लेकर गए नोटिस पर सरपंचों का फूटा गुस्सा
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Published : Oct 17, 2020, 10:31 PM IST

कैथल: पराली जलाने से न रोकने के आरोप में कैथल जिले के 22 सरपंचों को सरकार की ओर से कारण बताओ नोटिस गया है. इस नोटिस के जरिए सरकार ने पूछा है कि आपके गांव में पराली अवशेष क्यों जलाई गई? इसके विरोध में कैथल जिले के सरपंच लामबंध हुए और जिला सचिवालय पर जाकर प्रदर्शन किया और नगराधीष सुरेश को ज्ञापन सौंपा.

यहां पर मीडिया से बात करते हुए जिला सरपंच एसोसिएशन के प्रधान अमरेंद्र सिंह खारा ने कहा कि अगर गांव में कोई पराली जलाता है तो सरकार उसके खिलाफ कार्रवाई करे. ऐसे सरपंचों को नोटिस भेजना तो गलत है.

पराली जलाने को लेकर गए नोटिस पर सरपंचों का फूटा गुस्सा
पराली जलाने को लेकर गए नोटिस पर सरपंचों का फूटा गुस्सा

उनका कहना है कि सरपंच जनता द्वारा चुना हुआ प्रतिनिधि है और सरपंच का काम है कि सरकारी अधिकारियों की मदद करना. इसके लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. क्योंकि वो कर्मचारी नहीं है. अगर सरपंच गांव में किसी किसान को पराली जलाने से रोकता है, तो इससे गांव में उनका भाईचारा खराब होता है. लड़ाई झगड़ा होने का डर रहता है और अगले चुनाव में उन्हें वोट भी मांगने होते हैं.

ये भी पढ़ें:-Exclusive: हरियाणा के इस गांव में बेटियों के नाम से जाने जाते हैं हर घर

जब किसान की फसल खराब होती है तब सरपंच को गिरदावरी के लिए भी कहा जाए? आप गिरदावरी कर लें. उस समय सरपंचों को कोई नहीं पूछता. परंतु अगर पराली जलाई जाती है तो सरपंचों को नोटिस थमाए जाते हैं. उनकी जिम्मेदारी नहीं है. हम सरकारी अधिकारियों की सहायता करने के लिए हैं. उनकी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए बाध्य नहीं.

कैथल: पराली जलाने से न रोकने के आरोप में कैथल जिले के 22 सरपंचों को सरकार की ओर से कारण बताओ नोटिस गया है. इस नोटिस के जरिए सरकार ने पूछा है कि आपके गांव में पराली अवशेष क्यों जलाई गई? इसके विरोध में कैथल जिले के सरपंच लामबंध हुए और जिला सचिवालय पर जाकर प्रदर्शन किया और नगराधीष सुरेश को ज्ञापन सौंपा.

यहां पर मीडिया से बात करते हुए जिला सरपंच एसोसिएशन के प्रधान अमरेंद्र सिंह खारा ने कहा कि अगर गांव में कोई पराली जलाता है तो सरकार उसके खिलाफ कार्रवाई करे. ऐसे सरपंचों को नोटिस भेजना तो गलत है.

पराली जलाने को लेकर गए नोटिस पर सरपंचों का फूटा गुस्सा
पराली जलाने को लेकर गए नोटिस पर सरपंचों का फूटा गुस्सा

उनका कहना है कि सरपंच जनता द्वारा चुना हुआ प्रतिनिधि है और सरपंच का काम है कि सरकारी अधिकारियों की मदद करना. इसके लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. क्योंकि वो कर्मचारी नहीं है. अगर सरपंच गांव में किसी किसान को पराली जलाने से रोकता है, तो इससे गांव में उनका भाईचारा खराब होता है. लड़ाई झगड़ा होने का डर रहता है और अगले चुनाव में उन्हें वोट भी मांगने होते हैं.

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जब किसान की फसल खराब होती है तब सरपंच को गिरदावरी के लिए भी कहा जाए? आप गिरदावरी कर लें. उस समय सरपंचों को कोई नहीं पूछता. परंतु अगर पराली जलाई जाती है तो सरपंचों को नोटिस थमाए जाते हैं. उनकी जिम्मेदारी नहीं है. हम सरकारी अधिकारियों की सहायता करने के लिए हैं. उनकी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए बाध्य नहीं.

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