कैथल: सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा. शनिवार को राजपूत समाज के लोगों ने इस विवाद को लेकर बीजेपी सांसद नायब सैनी का विरोध किया. जिसके चलते सांसद ने कोलेखां गांव पहुंचने का रूट बदल दिया. पहले सांसद को कलायत होते हुए शिलान्यास कार्यक्रम में कोलेखां गांव पहुंचना था, लेकिन राजपूत समाज के विरोध के चलते उन्होंने रूट बदला. वो सजूमा गांव से होते हुए कोलेखां गांव पहुंचे.
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बीजेपी सांसद ने बदला रूट: बताया जा रहा है कि सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा के पास धरना दे रहे राजपूत समाज के लोगों को जैसे ही सांसद के आने की भनक लगी. वो काले झंडे लेकर संगम होटल के सामने खड़े हो गए और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करने लगे. खुफिया विभाग ने राजपूत समाज के युवाओं के विरोध प्रदर्शन की सूचना उच्च अधिकारियों को दी. जिसके बाद सांसद नायब सैनी का रूट बदल दिया गया.
प्रदर्शनकारी राजपूत समाज के युवाओं ने कहा कि जब तक उनकी मांगे नहीं मानी जाएगी, तब तक वो बीजेपी के किसी भी मंत्री या सांसद को राजपूत बहुल गांव में घुसने नहीं देंगे. उन्होंने कहा कि या तो बीजेपी सरकार उनकी मांगों को मान ले, नहीं तो साल 2024 के चुनाव में उनको सबक सिखाने का काम किया जाएगा. दरअसल सम्राट पर गुर्जर समाज और राजपूत समाज दोनों अपना हक जता रहे हैं. इसी को लेकर पूरा विवाद है.
क्या है पूरा मामला: बता दें कि 20 जुलाई को कैथल में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण किया गया था. कैथल के ढांड चौक पर लगी मिहिर भोज की प्रतिमा के आगे गुर्जर प्रतिहार सम्राट लिखा हुआ है. गुर्जर समाज के लोगों का दावा है कि मिहिर भोज उनके पूर्वज थे. वहीं दूसरी तरफ राजपूत समाज के लोग मिहिर भोज पर अपना दावा ठोंक रहे हैं. राजपूत नेताओं का कहना है कि मिहिर भोज राजपूत राजा थे. इसलिए उनके नाम के आगे केवल हिंदू लिखा जाए.
इस मामले को लेकर अब राजपूत समाज के लोग प्रदर्शन कर रहे हैं. राजपूत समाज के लोगों की मांग है कि सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा पर अंकित गुर्जर शब्द (samrat mihir bhoj cast) को हटाया जाए. इस मांग को लेकर राजपूत समाज प्रदर्शन कर रहा है. ये मामला पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट भी पहुंचा. हाई कोर्ट के आदेश के बाद गुर्जर शब्द को ढक दिया गया है.