कैथल: इतिहास के पन्नों में आज भी कुछ ऐसे किस्से और कहानियां मौजूद हैं जिनसे लोग अनजान हैं. किस्सा हरियाणे का के इस एपिसोड में बात करेंगे कैथल जिले बने रजिया सुल्तान के मकबरे की. जो आज बदहाली के आंसू रो रहा है. ये मकबरा रजिया सुल्तान के लिए याद किया जाता है. ये मकबरा इतिहासकारों के लिए आकर्षण का केंद्र है.
इतिहास में मिले उल्लेखों के मुताबिक, रजिया बेगम के पति और उस वक्त बठिंडा के गवर्नर अल्तुनिया ने सेना का गठन करके दिल्ली की पर आक्रमण के लिए कूच किया था. दुर्भाग्य से उसे हार का सामना करना पड़ा.
खंडहर हुआ रजिया सुल्तान का मकबरा
जिसके बाद मजबूरन उन्हें दिल्ली छोड़कर भागना पड़ा. अगले दिन वो हरियाणा के कैथल में पहुंचे. जहां रजिया सुल्तान और उनके पति अल्तुनिया को उसकी ही सेना ने बगावत कर इसी स्थान पर मौत के घाट उतार दिया. परंपरा के अनुसार रजिया को इसी स्थान पर दफना दिया गया था. इतिहासकारों की मानें तो उस समय रजिया सुल्तान का ये बहुत सही मकबरा बनाया गया था और बहुत ही शानदार उसकी कब्र बनाई गई थी. लोग वहां पर अक्सर उनको श्रद्धांजली देने आते थे. लेकिन वक्त बदलने के साथ धीरे-धीरे उनकी यादें धुंधली होती गई. मकबरा भी खंडहर में तब्दील हो गया.
इतिहासकार प्रोफेसर कमलेश ने बताया कि यहीं से पांच इंटें उठा कर उनकी कब्र से दिल्ली ले जाई गई और वहां भी एक शाही कब्र बनाई गई और 5 इंटें उठाकर यहीं से राजस्थान और पाकिस्तान में भी लेकर जाई गई थी. जहां पर उनकी कब्र बनाई गई थी, लेकिन रजिया की मौत का सही स्थान इतिहासकारों के अनुसार कैथल में ही बताया जाता है.
रजिया को उनके पिता इल्तुतमिश की मौत के बाद दिल्ली का सुल्तान बनाया गया. इल्तुतमिश पहले ऐसे शासक थे जिन्होंने अपने बाद किसी महिला को उत्तराधिकारी नियुक्त किया. इतिहासकारों के अनुसार पहले उसके बड़े बेटे को उत्तराधिकारी के रूप में तैयार किया गया, लेकिन वो राजा बनने के काबिल नहीं था. जिसके बाद रजिया को दिल्ली का सुल्तान घोषित किया गया. लेकिन मुस्लिम वर्ग को इल्तुतमिश का किसी महिला को सुल्तान बनाना नामंजूर था.
रजिया सुल्तान रीति-रिवाजों के विपरीत पुरुषों की तरह सैनिकों का कोट और पगड़ी पहनती थी. युद्ध में बिना नकाब पहने शामिल हुई रजिया ने पर्दा प्रथा का त्याग किया. जिसके बाद वो पुरुषों की तरह चोगा यानी कुर्ता और टोपी पहनकर दरबार में खुले मुंह जाने लगी. रजिया अपनी राजनीतिक समझदारी और नीतियों से सेना तथा जन साधारण का ध्यान रखी थीं. एक समय वो दिल्ली की सबसे शक्तिशाली शासक बन गई थीं.