कैथलः कुलवंत बाजीगर ने हरियाणा का चक्रव्यूह में अपनी रणनीति का खुलासा करते हुए कहा कि आगामी चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दे हावी रहेंगे. जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाये जाने का मुद्दा चुनाव में लगातार गूंजेगा.
चुनाव की तैयारी में हैं कुलवंत बाजीगर
हरियाणा का चक्रव्यूह में कुलवंत बाजीगर ने बताया कि वो चुनाव के लिए तैयार हैं. जनता के लिए पिछले पांच साल में जो उन्होंने काम किए हैं उन्हें लेकर वो जनता के पास जाएंगे. कुलवंत बाजीगर को उम्मीद है कि बीजेपी इस बार भी उन्हें टिकट देगी.
राष्ट्रीय मुद्दों पर लड़ा जाएगा चुनाव!
कुलवंत बाजीगर से जब पूछा गया कि बीजेपी सरकार ने ऐसा कौन-सा काम किया है जो दूसरी सरकार नहीं कर पाई तो वो तुरंत जम्मू-कश्मीर पर चले गए और बोले कि कांग्रेस ने जिस मुद्दे को 70 साल देश के लिए नासूर बना रखा था उसे नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने खत्म कर दिया. उन्होंने कहा कि जनता चाहती थी कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटे लेकिन कांग्रेस ने हमेशा ये दिखाया कि अगर ऐसा होगा तो चारों तरफ आग लग जाएगी लेकिन हमारी सरकार ने वो करके दिखाया. उन्होंने आगे कहा कि असली आजादी तो अब मिली है.
'प्रदेश जानता है हरियाणा को किसने जलाया'
जाट आरक्षण आंदोलन में हुई हिंसा को लेकर सवाल पर कुलवंत बाजीगर ने कहा कि पूरा प्रदेश जानता है हरियाणा को किसने जलाया. किसकी रिकॉर्डिंग सामने आई. विपक्ष का ये आरोप तभी निराधार हो जाता है जब जनता लोकसभा चुनाव में उन्हें नकार देती है. उन्होंने कहा कि सभी विपक्षियों की जमानत जब्त करके जनता ने बता दिया कि हरियाणा किसने जलाया है.
गुहला विधानसभा का राजनीतिक इतिहास
गुहला सीट 1977 में अस्तित्व में आई और तभी से ये अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है. ये विधानसभा पंजाब के पटियाला से लगती है इसलिए यहां नशे का कारोबार बड़ी परेशानियों में से एक रहा है. 2014 में कुलवंत बाजीगर ने दिल्लूराम बाजीगर को हराया था जो 1982 से लगातार चुनाव लड़ते आ रहे थे. लगातार 8 चुनावों में दिल्लूराम बाजीगर या तो जीते या दूसरे नंबर पर रहे. बीजेपी को गुहला में 2009 में मात्र 1.38 फीसदी वोट मिले थे लेकिन 2014 में जीत मिली. जो बीजेपी की इस सीट पर पहली जीत थी.
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कुलवंत बाजीगर के राजनीतिक सफर पर एक नजर
2014 में कुलवंत बाजीगर का दूसरा विधानसभा चुनाव था. उन्होंने पहला चुनाव 2009 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़ा था तब उन्होंने जन चेतना मंच बनाकर गुहला बचाओ का नारा दिया था और 19 फीसदी वोट लेकर सबको चौंका दिया था. कुलवंत बाजीगर दिल्लूराम बाजीगर के दूर के रिश्तेदार भी हैं और उन्होंने लंबे वक्त तक दिल्लूराम बाजीगर की राजनीति को देखा भी था. दिल्लूराम बाजीगर पहले कांग्रेस में गए फिर हजकां ज्वाइन की और 2014 से ठीक पहले भाजपा में शामिल हो गए. कुलवंत बाजीगर कुछ दिन शरद पंवार की पार्टी एनसीपी से भी जुड़े रहे हैं.