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हरियाणा की इन 6 अनाज मंडियों में नहीं होगी गेहूं की सरकारी खरीद, अडानी गोदाम भेजने का आदेश

गेहूं की फसल कुरुक्षेत्र और कैथल की मंडियों में भेजने के बजाय सीधे सोलूमाजरा स्थित अदानी एग्रो साइलो में भेजने के सरकारी आदेशों के विरोध में किसानों ने कैथल में प्रदर्शन (Farmers protest in Kaithal) किया. किसानों ने कहा अगर ये आदेश वापस नहीं लिए गए तो फिर से आंदोलन होगा.

Farmers protest in Kaithal
Farmers protest in Kaithal
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Published : Mar 21, 2022, 8:43 PM IST

Updated : Mar 22, 2022, 12:44 PM IST

कैथल: 8 मार्च को कुरुक्षेत्र के डिविजनल मैनेजर ने एफसीआई, डीएफएससी और हैफेड अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक में कुरुक्षेत्र और कैथल दोनों जिलों के अधिकारी मौजूद थे. इस बैठक में फैसला लिया गया कि आगामी फसल खरीद 2022-23 के लिए एजेंसी गेहूं को कुरुक्षेत्र और कैथल की मंडियों में खुले में ना डाले. गेहूं की फसल को सीधा सोलूमाजरा स्थित अडानी एग्रो साइलो (wheat crop in Adani warehouse) में भेजें.

फैसला किया गया कि इस बार मंडियों में बारदाना भी नहीं भेजा जाएगा. इस फैसले का पत्र 15 मार्च को जारी किया गया. इसके बाद कांग्रेस से राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने ट्वीट कर ये मुद्दा उठाया और हरियाणा सरकार पर मंडियों को बंद करने का आरोप लगाया. वहीं कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कहा है कि खुले में अनाज पड़ा रहने से खराब हो जाता था. ऐसे में अनाज को सुरक्षित रखने के लिए अडानी गोदाम में स्टॉक करवाने के निर्देश दिए हैं. इससे किसानों को फायदा होगा.

अडानी गोदाम में गेहूं की फसल रखने के फैसले से खफा किसान, बोले- फिर शुरू होगा आंदोलन

प्रशासन के इस फैसले के खिलाफ कैथल में किसानों ने प्रदर्शन (Farmers protest in Kaithal) किया. किसानों का कहना है कि सरकार ने पिछले साल 3 मंडियों को ताला लगाया गया था. इस बार 6 मंडियों को ताला लगा दिया गया है. किसानों के मुताबिक कैथल में ढांड, कोल, पिहोवा, पूंडरी, सोलू माजरा और गुमथला गडू मंडियां बंद होने से सैंकड़ों मजदूर बेरोजगार हो जाएंगे. किसानों ने कहा कि अदानी गोदाम (Adani warehouse in Kaithal) में गेहूं की स्टोरेज के पूरे इंतजाम नहीं है.

ये भी पढ़ें- अनाज मंडियों को लेकर सियासत तल्ख, कृषि मंत्री बोले- इससे किसानों को होगा फायदा

पिछली बार भी जब गेहूं गोदामों में गया तो 3 से 4 दिन किसान को गेट के बाहर 7 से 8 किलोमीटर की लाइन में खड़ा रहना पड़ा. गेहूं खरीद के सरकारी नियम पर खरा नहीं उतरने का हवाला देकर 30 प्रतिशत किसानों को वापस भेज दिया जाता है. जिससे किसानों का समय तो खराब होता ही है साथ में उनकी फसल पर भी बर्बाद होने का खतरा मंडराने लगता है.

इसके अलावा गेहूं के ट्रांसपोर्ट पर जो खर्च आता है उसकी बर्बादी अलग. किसानों के मुताबिक अगर जिले की सभी 6 मंडियां बंद कर गई तो अदानी गोदाम में अफरा-तफरी मच जाएगी. किसानों को गेहूं बेचने के लिए 8 से 10 दिन लंबी लाइनों में लगना पड़ेगा. अगर गेहूं रिजेक्ट हो जाता है तो किसान पर तीहरी मार पड़ेगी. किसानों के मुताबिक अडानी का गोदाम 30 से 40 किलोमीटर दूर है. दूसरा हर किसान के पास गेहूं की ट्रॉली अपनी नहीं होती. ज्यादातर किसान किराए की ट्रॉली में गेहूं मंडी लेकर आता है.

Farmers protest in Kaithal
प्रशासन की तरफ से जारी किया गया पत्र

अगर उसे 4 से 5 या 10 दिन लाइन में इंतजार करना पड़ा तो ट्रॉली का किराया ही इतना हो जाएगा कि उसकी सारी मेहनत बेकार हो जाएगी. पुरानी व्यवस्था के तहत किसान मंडी में गेहूं लेकर आता है, तो उसे कुछ देर के बाद मंडी में उतार देता है. अगर मंडी में गेहूं के उतारने की जगह नहीं होती तो आढ़ती अपनी जिम्मेदारी पर गेहूं को खाली जगह में उतरवा देता है. जिसके बाद किसान गेहूं को मजदूरों से साफ करवा कर नियम अनुसार बोली करवा कर बेच देता था.

ये भी पढ़ें- क्या हरियाणा में बंद होगी अनाज मंडियां? दीपेंद्र हुड्डा ने ट्वीट कर बोले- सरकार की मंडी विरोधी मानसिकता

अब अडानी गोदाम में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है. पूरे जिले का किसान जब एक ही जगह आएगा तो 4 से 5 दिन और 10 दिन की लंबी लाइन लग सकती है, क्योंकि जिले में 6 अनाज मंडी होने के बाद भी, किसानों को लाइन लगानी पड़ती थी. अब तो कई दिनों की लाइन लगना तय है. ऐसे में अगर अधिकारियों ने गेहूं को खरीदने से इंकार कर दिया तो किसानों पर तिहरी मार पड़ेगी. एक तो उनका समय खराब होगा, दूसरा फसल के ट्रांसपोर्ट का खर्च डबल हो जाएगा. जिससे आर्थिक नुकसान होगा, तीसरा उनकी फसल भी खराब होने का खतरा बना रहेगा. किसानों ने कहा कि अगर सरकार ने उनकी बात नहीं मानी तो वो अडानी गोदाम के सामने धरना देंगे.

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कैथल: 8 मार्च को कुरुक्षेत्र के डिविजनल मैनेजर ने एफसीआई, डीएफएससी और हैफेड अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक में कुरुक्षेत्र और कैथल दोनों जिलों के अधिकारी मौजूद थे. इस बैठक में फैसला लिया गया कि आगामी फसल खरीद 2022-23 के लिए एजेंसी गेहूं को कुरुक्षेत्र और कैथल की मंडियों में खुले में ना डाले. गेहूं की फसल को सीधा सोलूमाजरा स्थित अडानी एग्रो साइलो (wheat crop in Adani warehouse) में भेजें.

फैसला किया गया कि इस बार मंडियों में बारदाना भी नहीं भेजा जाएगा. इस फैसले का पत्र 15 मार्च को जारी किया गया. इसके बाद कांग्रेस से राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने ट्वीट कर ये मुद्दा उठाया और हरियाणा सरकार पर मंडियों को बंद करने का आरोप लगाया. वहीं कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कहा है कि खुले में अनाज पड़ा रहने से खराब हो जाता था. ऐसे में अनाज को सुरक्षित रखने के लिए अडानी गोदाम में स्टॉक करवाने के निर्देश दिए हैं. इससे किसानों को फायदा होगा.

अडानी गोदाम में गेहूं की फसल रखने के फैसले से खफा किसान, बोले- फिर शुरू होगा आंदोलन

प्रशासन के इस फैसले के खिलाफ कैथल में किसानों ने प्रदर्शन (Farmers protest in Kaithal) किया. किसानों का कहना है कि सरकार ने पिछले साल 3 मंडियों को ताला लगाया गया था. इस बार 6 मंडियों को ताला लगा दिया गया है. किसानों के मुताबिक कैथल में ढांड, कोल, पिहोवा, पूंडरी, सोलू माजरा और गुमथला गडू मंडियां बंद होने से सैंकड़ों मजदूर बेरोजगार हो जाएंगे. किसानों ने कहा कि अदानी गोदाम (Adani warehouse in Kaithal) में गेहूं की स्टोरेज के पूरे इंतजाम नहीं है.

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पिछली बार भी जब गेहूं गोदामों में गया तो 3 से 4 दिन किसान को गेट के बाहर 7 से 8 किलोमीटर की लाइन में खड़ा रहना पड़ा. गेहूं खरीद के सरकारी नियम पर खरा नहीं उतरने का हवाला देकर 30 प्रतिशत किसानों को वापस भेज दिया जाता है. जिससे किसानों का समय तो खराब होता ही है साथ में उनकी फसल पर भी बर्बाद होने का खतरा मंडराने लगता है.

इसके अलावा गेहूं के ट्रांसपोर्ट पर जो खर्च आता है उसकी बर्बादी अलग. किसानों के मुताबिक अगर जिले की सभी 6 मंडियां बंद कर गई तो अदानी गोदाम में अफरा-तफरी मच जाएगी. किसानों को गेहूं बेचने के लिए 8 से 10 दिन लंबी लाइनों में लगना पड़ेगा. अगर गेहूं रिजेक्ट हो जाता है तो किसान पर तीहरी मार पड़ेगी. किसानों के मुताबिक अडानी का गोदाम 30 से 40 किलोमीटर दूर है. दूसरा हर किसान के पास गेहूं की ट्रॉली अपनी नहीं होती. ज्यादातर किसान किराए की ट्रॉली में गेहूं मंडी लेकर आता है.

Farmers protest in Kaithal
प्रशासन की तरफ से जारी किया गया पत्र

अगर उसे 4 से 5 या 10 दिन लाइन में इंतजार करना पड़ा तो ट्रॉली का किराया ही इतना हो जाएगा कि उसकी सारी मेहनत बेकार हो जाएगी. पुरानी व्यवस्था के तहत किसान मंडी में गेहूं लेकर आता है, तो उसे कुछ देर के बाद मंडी में उतार देता है. अगर मंडी में गेहूं के उतारने की जगह नहीं होती तो आढ़ती अपनी जिम्मेदारी पर गेहूं को खाली जगह में उतरवा देता है. जिसके बाद किसान गेहूं को मजदूरों से साफ करवा कर नियम अनुसार बोली करवा कर बेच देता था.

ये भी पढ़ें- क्या हरियाणा में बंद होगी अनाज मंडियां? दीपेंद्र हुड्डा ने ट्वीट कर बोले- सरकार की मंडी विरोधी मानसिकता

अब अडानी गोदाम में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है. पूरे जिले का किसान जब एक ही जगह आएगा तो 4 से 5 दिन और 10 दिन की लंबी लाइन लग सकती है, क्योंकि जिले में 6 अनाज मंडी होने के बाद भी, किसानों को लाइन लगानी पड़ती थी. अब तो कई दिनों की लाइन लगना तय है. ऐसे में अगर अधिकारियों ने गेहूं को खरीदने से इंकार कर दिया तो किसानों पर तिहरी मार पड़ेगी. एक तो उनका समय खराब होगा, दूसरा फसल के ट्रांसपोर्ट का खर्च डबल हो जाएगा. जिससे आर्थिक नुकसान होगा, तीसरा उनकी फसल भी खराब होने का खतरा बना रहेगा. किसानों ने कहा कि अगर सरकार ने उनकी बात नहीं मानी तो वो अडानी गोदाम के सामने धरना देंगे.

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Last Updated : Mar 22, 2022, 12:44 PM IST
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