कैथल: हरियाणा में गेहूं की खरीद सोमवार (20 अप्रैल) से शुरू हो चुकी है लेकिन कैथल में ये खरीद 21 अप्रैल से ही शुरू हुई. क्योंकि पिछले काफी समय से कैथल के सभी कमीशन एजेंट हड़ताल पर गए हुए थे. मंगलवार को प्रशासन और सरकार के साथ मीटिंग होने के बाद कमीशन एजेंटों ने हड़ताल वापस ले ली.
हड़ताल तो खुल गई लेकिन अब किसानों के साथ समस्या शुरू हो गई. सरकार ने गेहूं खरीदने की जो नई प्रणाली बनाई है. किसानों को उसके अनुसार गेहूं बेचने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
किसानों का कहना है कि हमारे पास हम 2 दिन से मंडी में अपनी गेहूं लेकर आए हुए हैं. लेकिन अभी तक उसकी गेहूं की खरीद सरकार ने नहीं की. जो नई गेहूं खरीदने की प्रणाली बनाई गई है. उस प्रणाली के हिसाब से कैथल के किसानों को फोन पर संदेश भेजा जाएगा. जिसमें लिखा होगा कि आप इस दिन और इतने बजे अपने गेहूं लेकर आ सकते हैं. किसानों का कहना है कि हम अनपढ़ किसान हैं. बुजुर्ग हो चुके हैं. ज्यादातर किसानों के पास फोन भी नहीं है. अगर किसी किसान के एसएमएस आता है तो उसको पढ़ने लिखने का इतना ज्ञान नहीं है.
किसानों का कहना है कि सरकार ने जो नई प्रणाली बनाई है ये किसान के हित में नहीं है. सरकार को इस पर विचार करना चाहिए वरना किसान को मरने से कोई नहीं रोक सकता. किसानों का कहना है कि एक किसान एक बार में 20 क्विंटल गेहूं लेकर ही आ सकता है. इस हिसाब से किसान अपनी गेहूं को बेचेगा तो उसको 2 महीने मंडी में ही रहना पड़ेगा. इसलिए गेहूं बेचने में किसानों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. अभी भी ये नहीं पता कि उनका गेहूं कब बिकेगा.
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किसानों ने इकट्ठा होकर नई गेहूं की खरीद प्रणाली का विरोध किया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी लेकिन सरकार की नई-नई प्रणाली से तो ऐसा लगता है कि किसानों की मौजूदा समय में जितनी आय होती है वो भी आधी रह जाएगी.