कैथल: कोविड-19 की वजह से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. एक तरफ सरकारी मशीनरी करोना से बचाव के बंदोबस्त में ही लगी हुई है तो दूसरी कुछ ऐसे मुद्दे हैं जो इस महामारी की वजह से पीछे छूट गए. इन्हीं मुद्दों को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाने के लिए ईटीवी भारत हरियाणा की टीम पहुंची कैथल की कलायत और पूंडरी विधानसभा में. यहां सिसला और सिरमौर गांव को लोग पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं.
स्थानीय लोगों ने बताया कि गांव का पानी बहुत ही खारा है. रोजमर्रा की चीजों में वो खारे पानी का इस्तेमाल नहीं कर सकते. इसलिए वो पास में बनी नहर के पानी का इस्तेमाल करते हैं. गांव का पानी इतना गंदा और खारा है कि उसके इस्तेमाल से लोग बीमारियों का शिकार हो जाते हैं.
एक नलकूप के सहारे दो गांव के लोग
गांव से कुछ मील दूर छोटी नहर निकली हुई है. पहले यहां 4 नलकूप लगे थे. अब तीन में पानी की स्पलाई ठप हो गई. जिसके बाद दो गांव के हजारों लोग एक ही नलकूप के सहारे जिंदा हैं. गांव की महिलाओं ने बताया कि हमारा सारा समय पानी लेकर आने में ही निकल जाता है, क्योंकि गांव में परिवार बड़े होते हैं तो पीने से लेकर नहाने और कपड़े धोने तक की सारी समस्याओं का सामना पानी के लिए ग्रामीणों को करना पड़ रहा है.
गांव में एक प्लांट भी लगाया गया है जहां पर पानी इकट्ठा किया जाता है और वहां से फिल्टर होकर गांव में सूखे के समय में पानी सप्लाई किया जाता है. जिले कई गांवों में ऐसे प्लांट बनाए गए हैं, फिर भी लोगों को गर्मी के दिनों में पीने के पानी के लिए मीलों की दूरी तय करके ही अपनी प्यास बुझानी पड़ रही है.
पब्लिक हेल्थ के एसई देवीलाल से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि जिले में कोई भी सूखा प्रभावित गांव नहीं है. हर गांव में पीने का पानी पहुंच रहा है. उन्होंने माना कि कुछ गांव में खारा पानी जरूर आता है. लेकिन उसका समाधान उनके पास नहीं.
ये भी पढ़ें- मौसम की मार, मजदूरों का पलायन, अब धान के बीज में मुनाफाखोरी, टूट रही किसानों की उम्मीद
इरिगेशन विभाग के एसई राकेश सूद ने कहा कि जिले में कोई भी ऐसा गांव नहीं है जहां पर सूखा पड़ा हो या पड़ता हो. हर किसान के खेत तक पानी पहुंच रहा है और सरकार ने ऐसी कई योजनाएं चला रखी हैं कि किसान को नहर का पानी भी पहुंचाया जा रहा है. जिले के 14 गांवों में तालाब और जोहड़ को नए तरीके से बनाने का प्रोजेक्ट चल रहा है ताकि वहां पर पानी की स्टोरेज की जाए और पानी की समस्याओं के दिनों में किसानों के खेतों में वहां से पानी पहुंचाया जाए.