कैथल: मुख्यमंत्री मनोहर लाल का गोद लिया क्योड़क गांव आज बदहाली पर आंसू बहा रहा है. मनोहर लाल के दूसरे कार्यक्राल का एक साल पूरा होने को है. लेकिन ना गांव की गलियां पक्की हुई है. ना ही सीवरेज व्यवस्था दुरूस्त, ना सफाई की कोई व्यवस्था हुई और ना ही पानी निकासी का कोई समाधान. जिसकी वजह से गांव के लोगों में खासा रोष है.
लोग परेशान, कब होगा समाधान?
साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने थे. तब उन्होंने देश के सभी सांसदों और विधायकों से एक-एक गांव को गोद लेने की अपील की थी. जिसका मकसद था कि गांव को रोल मॉडल के रूप में तैयार करना. पीएम की अपील के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कैथल के क्योड़क गांव को गोद लिया. करीब 6 साल बीतने के बाद भी गांव की हालत में कोई सुधार नहीं आया है.
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने ये गांव जब गोद लिया था तो यहां 3 बड़े प्रोजेक्ट लगाने की घोषणा की.
- जिसमें पशु चिकिस्तालय और कॉलेज बनाना
- कुट तीर्थ का जीर्णोद्धार करना
- गांव में सीवरेज के लिए पाइपलाइन बिछाना
नरकीय जीवन जीने को मजबूर लोग
हैरानी की बात तो ये है कि 6 साल बाद भी गांव का कोई भी प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो पाया है. आजादी के बाद से ही ये गांव भारतीय जनता पार्टी का पसंदीदा रहा है. बीजेपी के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी से लेकर कई बड़े नेता इस गांव में आते-जाते रहे हैं. लगभग 25 से 30 हजार की आबादी के इस गांव में करीब 10 हजार 300 वोट हैं. ग्रामीणों के मुताबिक गांव की 80 प्रतिशत तक वोट बीजेपी को ही गई थी. इसके बाद भी वो नरकीय जीवन जीने को मजबूर हैं.
बदहाली पर आंसू बहा रहा है क्योड़क गांव
राजनीति के जानकारों का दावा है कि 50 फीसदी गुर्जर समुदाय की आबादी वाला ये गांव कैथल विधानसभा की राजनीति को प्रभावित करता है. यही कारण है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कैथल से विधायक ना होने के बावजूद क्योड़क गांव को गोद लिया. लेकिन इस गांव की आपने हालत भी देखी और तस्वीरें भी. जगह-जगह गंदगी के ढेर, जलभराव की समस्या, कच्ची गलियां इस गांव की पहचान बन चुकी हैं.
ग्रामीणों का कहना है कि इस गांव से भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का काफी लगाव रहा है और जिसकी वजह से गांव के लोगों ने 80% वोट भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को दिए. लेकिन भारतीय जनता पार्टी के नेता, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री मनोहर लाल उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरे. जिसकी वजह से वो काफी निराश हैं.
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सबसे बड़ी बात ये है कि ये गांव राष्ट्रीय राजमार्ग-152 पर स्थित है, लेकिन दुर्भाग्य की बात ये है कि राष्ट्रीय राजमार्ग के फ्लाईओवर के बिल्कुल नीचे ही गांव का मुख्य बस अड्डा गंदे तालाब से कम नहीं है. ग्रामीणों के मुताबिक सरपंच से लेकर अधिकारियों तक और मंत्रियों तक उन्होंने ये समस्या बताई. लेकिन आश्वासन के सिवाय उन्हें और कुछ नहीं मिला.