कैथल: जिले में आशा वर्कर्स पिछले एक महीने से अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर बैठी हुई हैं. एक महीना बीतने के बाद भी सरकार उनकी बात मानने के लिए तैयार नहीं है. जिसके चलते बुधवार को आशा वर्कर्स ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर प्रदर्शन किया. आशा वर्कर्स का कहना है कि जब तक सरकार उनकी बात नहीं मानती वो ऐसे ही धरने पर बैठी रहेंगी.
आशा वर्कर सीमा ने कहा कि पूरे हरियाणा में आशा वर्कर धरने पर बैठी हुई हैं और कैथल जिले में भी हम लघु सचिवालय में बैठकर प्रदर्शन कर रहे हैं. हमारी जो मांगें 2018 में सरकार ने मान ली थी, उनको लागू नहीं किया गया. उन मांगों के लिए ही हम प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसको लेकर सरकार के साथ कई बार उनकी बात भी हुई, लेकिन परिणाम कुछ नहीं निकला.
क्या हैं आशा वर्कर्स की मांगें?
- जनता को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए सरकारी स्वास्थ्य के ढांचे को मजबूत किया जाए और एनएचएम को स्थाई किया जाए.
- आठ एक्टिविटी का काटा गया 50% तुरंत वापस लागू किया जाए.
- कोविड-19 में काम कर रही आशाओं को जोखिम भत्ते के तौर पर 4000 रुपये दिए जाएं.
- गंभीर रूप से बीमार एवं दुर्घटना के शिकार आशाओं को सरकार के पैनल पर अस्पतालों में इलाज की सुविधाएं दी जाए.
- आशाओं को स्थाई कर्मचारी बनाया जाए. वहीं जब तक पक्के कर्मचारी नहीं बनाया जाता. तब तक हरियाणा सरकार का न्यूनतम वेतन 24 हजार रु दिया जाए.
- ईपीएफ की सुविधा दी जाए.
- आशा वर्कर को हेल्थ वर्कर का दर्जा दिया जाए.
- 21 जुलाई 2018 को जारी किए गए नोटिफिकेशन के सभी बचे हुए निर्णय को लागू किया जाए.
आशा वर्कर्स ने कहा कि अगर उनकी मांगों को सरकार ने नहीं माना. तो ये हड़ताल इसी तरह से जारी रहेगी. जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी.
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