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कैथल में आशा वर्कर्स ने किया सरकार के खिलाफ प्रदर्शन

आशा वर्कर्स ने अपनी मांगों को लेकर कैथल में बुधवार को सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. इस दौरान आशा वर्कर्स ने कहा कि अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी तो वे ऐसे ही लगातार प्रदर्शन करते रहेंगे.

Asha workers protest against government in Kaithal
कैथल में आशा वर्कर्स ने किया सरकार के खिलाफ प्रदर्शन
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Published : Sep 9, 2020, 3:39 PM IST

कैथल: जिले में आशा वर्कर्स पिछले एक महीने से अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर बैठी हुई हैं. एक महीना बीतने के बाद भी सरकार उनकी बात मानने के लिए तैयार नहीं है. जिसके चलते बुधवार को आशा वर्कर्स ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर प्रदर्शन किया. आशा वर्कर्स का कहना है कि जब तक सरकार उनकी बात नहीं मानती वो ऐसे ही धरने पर बैठी रहेंगी.

आशा वर्कर सीमा ने कहा कि पूरे हरियाणा में आशा वर्कर धरने पर बैठी हुई हैं और कैथल जिले में भी हम लघु सचिवालय में बैठकर प्रदर्शन कर रहे हैं. हमारी जो मांगें 2018 में सरकार ने मान ली थी, उनको लागू नहीं किया गया. उन मांगों के लिए ही हम प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसको लेकर सरकार के साथ कई बार उनकी बात भी हुई, लेकिन परिणाम कुछ नहीं निकला.

कैथल में आशा वर्कर्स ने किया सरकार के खिलाफ प्रदर्शन

क्या हैं आशा वर्कर्स की मांगें?

  • जनता को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए सरकारी स्वास्थ्य के ढांचे को मजबूत किया जाए और एनएचएम को स्थाई किया जाए.
  • आठ एक्टिविटी का काटा गया 50% तुरंत वापस लागू किया जाए.
  • कोविड-19 में काम कर रही आशाओं को जोखिम भत्ते के तौर पर 4000 रुपये दिए जाएं.
  • गंभीर रूप से बीमार एवं दुर्घटना के शिकार आशाओं को सरकार के पैनल पर अस्पतालों में इलाज की सुविधाएं दी जाए.
  • आशाओं को स्थाई कर्मचारी बनाया जाए. वहीं जब तक पक्के कर्मचारी नहीं बनाया जाता. तब तक हरियाणा सरकार का न्यूनतम वेतन 24 हजार रु दिया जाए.
  • ईपीएफ की सुविधा दी जाए.
  • आशा वर्कर को हेल्थ वर्कर का दर्जा दिया जाए.
  • 21 जुलाई 2018 को जारी किए गए नोटिफिकेशन के सभी बचे हुए निर्णय को लागू किया जाए.

आशा वर्कर्स ने कहा कि अगर उनकी मांगों को सरकार ने नहीं माना. तो ये हड़ताल इसी तरह से जारी रहेगी. जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी.

ये भी पढ़ें: कंगना के दफ्तर में बीएमसी की कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

कैथल: जिले में आशा वर्कर्स पिछले एक महीने से अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर बैठी हुई हैं. एक महीना बीतने के बाद भी सरकार उनकी बात मानने के लिए तैयार नहीं है. जिसके चलते बुधवार को आशा वर्कर्स ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर प्रदर्शन किया. आशा वर्कर्स का कहना है कि जब तक सरकार उनकी बात नहीं मानती वो ऐसे ही धरने पर बैठी रहेंगी.

आशा वर्कर सीमा ने कहा कि पूरे हरियाणा में आशा वर्कर धरने पर बैठी हुई हैं और कैथल जिले में भी हम लघु सचिवालय में बैठकर प्रदर्शन कर रहे हैं. हमारी जो मांगें 2018 में सरकार ने मान ली थी, उनको लागू नहीं किया गया. उन मांगों के लिए ही हम प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसको लेकर सरकार के साथ कई बार उनकी बात भी हुई, लेकिन परिणाम कुछ नहीं निकला.

कैथल में आशा वर्कर्स ने किया सरकार के खिलाफ प्रदर्शन

क्या हैं आशा वर्कर्स की मांगें?

  • जनता को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए सरकारी स्वास्थ्य के ढांचे को मजबूत किया जाए और एनएचएम को स्थाई किया जाए.
  • आठ एक्टिविटी का काटा गया 50% तुरंत वापस लागू किया जाए.
  • कोविड-19 में काम कर रही आशाओं को जोखिम भत्ते के तौर पर 4000 रुपये दिए जाएं.
  • गंभीर रूप से बीमार एवं दुर्घटना के शिकार आशाओं को सरकार के पैनल पर अस्पतालों में इलाज की सुविधाएं दी जाए.
  • आशाओं को स्थाई कर्मचारी बनाया जाए. वहीं जब तक पक्के कर्मचारी नहीं बनाया जाता. तब तक हरियाणा सरकार का न्यूनतम वेतन 24 हजार रु दिया जाए.
  • ईपीएफ की सुविधा दी जाए.
  • आशा वर्कर को हेल्थ वर्कर का दर्जा दिया जाए.
  • 21 जुलाई 2018 को जारी किए गए नोटिफिकेशन के सभी बचे हुए निर्णय को लागू किया जाए.

आशा वर्कर्स ने कहा कि अगर उनकी मांगों को सरकार ने नहीं माना. तो ये हड़ताल इसी तरह से जारी रहेगी. जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी.

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