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जींदः रानी तालाब मंदिर पर मंडराया खतरा! जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर

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Published : Jul 25, 2019, 4:43 PM IST

रानी तालाब के बीचों-बीच बने मंदिर पर खतरा मंडरा रहा है. हर बार बारिश के बाद रानी तालाब का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच जाता है.

रानी तालाब मंदिर पर मंडराया खतरा

जींद: रानी तालाब के बीचों-बीच बने मंदिर पर खतरा मंडरा रहा है. बारिश के बाद जहां लोगों को गर्मी से राहत मिली, वहीं रानी तालाब का जलस्तर बढ़ गया. सड़कों पर जमा पानी भी तालाब में आ मिला, जिससे मंदिर जाने का रास्ता बाधित हो गया है.

क्लिक कर देखें वीडियो.

श्रद्धालुओं का कहना है कि हर बार बारिश के बाद रानी तालाब का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच जाता है. इससे न सिर्फ तालाब के बीच बने मंदिर की इमारत को क्षति पहुंचती है, बल्कि श्रद्धालुओं का आना भी कम हो जाता है. प्रशासन से शिकायत करने के बावजूद रानी तालाब से पानी की निकासी के लिए कोई प्रबंध नहीं किया गया है.

वहीं सिंचाई विभाग के एसई एमआर गर्ग ने फोन पर बताया कि रानी तालाब में जाने वाले पानी को बंद करवा दिया गया है. उनका कहना है कि जैसे ही उन्हें पानी ओवरफ्लो होने की सूचना मिली, उन्होंने पानी बंद करने के निर्देश दे दिए थे.

जींद: रानी तालाब के बीचों-बीच बने मंदिर पर खतरा मंडरा रहा है. बारिश के बाद जहां लोगों को गर्मी से राहत मिली, वहीं रानी तालाब का जलस्तर बढ़ गया. सड़कों पर जमा पानी भी तालाब में आ मिला, जिससे मंदिर जाने का रास्ता बाधित हो गया है.

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श्रद्धालुओं का कहना है कि हर बार बारिश के बाद रानी तालाब का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच जाता है. इससे न सिर्फ तालाब के बीच बने मंदिर की इमारत को क्षति पहुंचती है, बल्कि श्रद्धालुओं का आना भी कम हो जाता है. प्रशासन से शिकायत करने के बावजूद रानी तालाब से पानी की निकासी के लिए कोई प्रबंध नहीं किया गया है.

वहीं सिंचाई विभाग के एसई एमआर गर्ग ने फोन पर बताया कि रानी तालाब में जाने वाले पानी को बंद करवा दिया गया है. उनका कहना है कि जैसे ही उन्हें पानी ओवरफ्लो होने की सूचना मिली, उन्होंने पानी बंद करने के निर्देश दे दिए थे.

Intro:
जींद : जींद के ऐतिहासिक रानी तालाब के बीच स्थित मंदिर खतरे में हैं। बारिश का पानी रानी तालाब में छोडऩे के कारण उस राह पर जमता जा रहा है, जिससे गुजर कर श्रद्धालु अपने आराध्य के दीदार करते हैं। पानी तालाब की सीढिय़ां पानी में डूब चुकी हैं और वह चलने वाले पथ पर अपनी जगह बना रहा हैं। अगर पानी का ग्राफ यूं ही बढ़ता गया तो वह मंदिर में तो घुसपैठ कर ही लेगा साथ में फर्श के टूटने के साथ-साथ निर्माण को भी खतरा है। यहीं नहीं मंदिर में जो बिजली सप्लाई हो रही है, वह भी किसी दुर्घटना का कारण बन सकती हैं। फिलहाल प्रशासन की नजर जींद की शान की ओर बढ़ रहे खतरे की ओर नहीं गई है, इसलिए पानी का जो स्तर मंदिर की राह पर बना हुआ था, वह अगले दिन को ज्यों का त्यों दिखाई दिया।



Body:रानी तालाब के पानी का स्तर देखकर श्रद्धालुओं ने मंदिर में जाने से तौबा कर ली हंै। मंदिर में जाना वे खुद के लिए खतरा मानते हैं। यूं तो मंदिर के निर्माण को पूरी तरह से मजबूत बताते हुए कुछेक श्रद्धालुओं का कहना है कि लगभग 20 साल पहले भी मानसून के दिनों में तालाब का पानी मंदिर तक पहुंच गया था। उस पानी ने शिवलिंग का एक तरह से अभिषेक किया था। उस समय तो मंदिर का कुछ नहीं बिगड़ा था। किंतु कुछेक श्रद्धालुओं ने कहा कि पानी का स्तर ऊपर उठने से मंदिर के भवन को क्षति पहुंच सकती हैं। फर्श भी क्षतिग्रस्त हो सकता हैं।

बाइट - सन्तोष , श्रद्धालु

श्रद्धालुओं का कहना कि अगर ओवरफ्लो पानी के कारण मंदिर को हानि हुई तो इसके लिए सीधे-सीधे तौर पर प्रशासन ही जिम्मेदार होगा। यह मंदिर जींद की आन-बान और शान माना जाता है। जींद की इस शान को महफूज रखने के लिए प्रशासन को तत्परता से कदम उठाना चाहिए। 

बाइट - विक्रम

सिंचाई विभाग के एसई एमआर गर्ग ने फोन पर बताया रानी तालाब में जाने वाले पानी को बंद करवा दिया गया है। जैसे ही उनको पानी ओवरफ्लो के बारे में मालूम हुआ, वैसे ही उन्होंने पानी बंद करने के निर्देश दे दिये थे। बता दें कि रानी तालाब मंदिर में एक चैनल के मार्फत सिंचाई विभाग पानी छोड़ता हैं। इस चैनल के मार्फत पानी आने के साथ-साथ बारिश के दिनों में चहुंओर बनी सडक़ पर जो पानी जमता है, वह इस तालाब में ही आकर गिरता हैं। ऐसे में सडक़ों का जो पानी रानी तालाब में आ रहा है, उसके कारण भी ओवरफ्लो की समस्या बनी है। बताया जा रहा है कि सिंचाई विभाग के चैनल से जो पानी आ रहा है, वह रिसाव के कारण भी आ रहा हैं। एसई एमआर गर्ग के मुताबिक पाईप छोटी है, इसलिए रिसाव का कोई मतलब नहीं बनता। इसलिए रानी तालाब के पानी स्तर को नीचे ले जाने के लिए सडक़ों से आ रहे पानी को रोकना होगा। 
Conclusion:


अब लोगों को इंतजार है कि प्रशासन इस ऐतिहासिक स्थल की सुध लेगा और कब की समस्या दूर हो पाएगी
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