जींद: नौकरी बहाली की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे पीटीआई शिक्षकों के समर्थन में आज जींद की नई अनाज मंडी में जनसभा होगी, जिसमें प्रदेशभर से कर्मचारी संगठन और खाप प्रतिनिधियों के प्रतिनिधि पहुंचेंगे. जनसभा में हजारों की संख्या में लोग पहुंच सकते हैं. ज्यादा भीड़ के अंदेशे के चलते प्रशासन ने फिलहाल जनसभा की मंजूरी नहीं दी है.
वहीं शुक्रवार को जनसभा की मंजूरी को लेकर पीटीआई शिक्षकों के प्रतिनिधि की जिला प्रशासन के साथ मीटिंग हुई थी. जिसमें पीटीआई शिक्षकों ने विस्तृत जनसभा के लिए मंजूरी मांगी थी. विस्तृत यानि जनसभा में कितने भी लोग आ सकते हैं, उनकी कोई संख्या निर्धारित नहीं है. मंजूरी के पत्र में विस्तृत शब्द को लेकर प्रशासन असमंजस की स्थिति में है और इसी कारण जनसभा के लिए मंजूरी नहीं दी गई है.
दरअसल, सरकार की गाइडलाइन के अनुसार कोरोना काल में एक जगह 50 से ज्यादा लोग एकत्रित नहीं हो सकते हैं. अगर जनसभा में भीड़ ज्यादा होती है तो प्रशासन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. अधिकारियों के साथ मीटिंग के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में हरियाणा शारीरिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष धर्मेंद्र पहलवान और उप प्रधान वजीर गांगोली ने बताया कि प्रशासन ने अनुमति नहीं दी है, लेकिन उनकी जनसभा जरूर होगी. जिसमें प्रदेशभर से कर्मचारी संगठन, खाप प्रतिनिधि समर्थन देने के लिए आएंगे. वहीं पंचायती तौर पर निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान और बलराज कुंडू भी आएंगे.
उन्होंने कहा कि जनसभा में कितने लोग आएंगे, इसपर कुछ कहा नहीं जा सकता है, लेकिन जनसभा के दौरान सभी नियमों का पालन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि सभी 1983 पीटीआई निर्दोष हैं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट की आड़ में राजनीतिक द्वेष के चलते नौकरी से निकाल दिया गया.
क्या है पूरा मामला?
हरियाणा स्टाफ सेलेक्शन कमीशन ने अप्रैल 2010 में 1983 पीटीआई को प्रदेशभर में भर्ती किया था. इस दौरान नियुक्तियों में असफल रहे अभ्यर्थियों में संजीव कुमार, जिले राम और एक अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नियुक्ति में गड़बड़ी का आरोप लगा चुनौती दी थी. याचिका में कहा गया था कि ऐसे उम्मीदवारों को भी नियुक्ति दी गई थी, जिनके शैक्षणिक दस्तावेज फर्जी हैं.
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हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने याचिका पर सुनवाई कर पीटीआई की भर्ती को रद्द कर दिया था. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला बरकरार रखा था. वहीं सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानते हुए हरियाणा सरकार ने इसी साल 1983 पीटीआई शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया है. जिसके बाद से प्रदेशभर में पीटीआई शिक्षकों की बहाली को लेकर प्रदर्शन जारी है.