जींद: कोरोना जहां एक तरफ पूरी मानवता के लिए खतरा बन गया और पूरी दुनिया के देशों की अर्थव्यवस्थाएं चरमरा गईं हैं तो वहीं दूसरी तरफ प्रकृति के लिए लॉकडाउन मानो वरदान साबित हुआ है. प्रदूषण कम हुआ तो वातावरण शुद्ध हो गया. जिसका फायदा अब किसानों को भी मिल रहा है.
लॉकडाउन से किसान हुए खुश
जीदं में किसानो ने बताया कि लॉकडाउन की वजह सब कुछ बंद हो गया था. लॉकडाउन के दौरान इडंस्ट्री से लेकर परिवहन सभी सेवाए बंद थी. इससे पर्यावरण पर तो अच्छा असर पड़ा ही साथ ही साथ शुद्ध पर्यावरण का अच्छा असर किसानों की फसलों पर पड़ा. किसानों का कहना है कि साफ पर्यारवण की वजह से पिछली बार की तुलना में उनके खेतों में इस बार अच्छी पैदावार हो रही है.
पर्यावरण शुद्ध होने से फसलें चमकी
बता दें कि हवा में धूल और धूएं के कण ना होने की वजह से किसानो की फसलें चमकने लगी है. कृषि वैज्ञानिक यशपाल मलिक ने बताया कि पौधे अपना भोजन सूर्य के प्रकाश में बनाते हैं अगर उनके बीच धूल के कण या धुंआ आता है तो प्रकाश संश्लेषण या भोजन बनाने की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है, जो फसलों के लिए काफी घातक हो सकती है. प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया सही से ना होने पर पौधों का फिजिकल, केमिकल और मॉलीक्यूलर स्तर प्रभावित होता है.
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मानसून भी राहत लेकर आया
उन्होंने बताया कि इस बार मानसून बरसात भी सामान्य से 10 फीसदी ज्यादा बरसा है. जब जब किसानों को बारिश के पानी की जरूरत पड़ी तब तब किसानों किसानों की फसलों को बारिश का पानी मिला. सही समय व पर्याप्त मात्रा में पानी मिलने और शुद्ध पर्यावरण की वजह से इस बार हरियाणा में धान की फसल की पैदावार ज्यादा होगी. इसको लेकर किसान काफी खुश है.