जींद: पिछड़ेपन से जूझ रहे जींद की सड़कें भी बदहाली के आंसू बहा रही हैं. एनएचएआई भी यहां के नेशनल हाईवे की ओर ध्यान नहीं दे रहा हैं. एनएच-71ए बद से बदत्तर हाल में है. इस हाईवे पर बने गड्ढ़े मौत का दावत देते हैं. इन गड्ढ़ों में कई चालक हादसों का शिकार भी हो चुके हैं. बता दें कि 7 साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस रोहतक-जींद नेशनल हाईवे 71 ए को फोरलेन बनाने का ऐलान किया था, फोरलेन तो दूर गड्ढों से मुक्त भी नहीं हो पाया है. इस हाईवे पर इतने गड्ढे हैं कि यहां आए दिन हादसे हो रहे हैं.
पिछले 10 दिनों में गड्ढ़ों में संतुलन बिगड़ने से एक बाइक सवार और एक गाड़ी चालक की मौत भी हो चुकी है. इस सड़क पर 40 की स्पीड से भी वाहन चलाना जोखिमभरा है. हाईवे के साथ लगने वाले दर्जनों के गांव के ग्रामीणों का कहना है कि रोजाना बाइक सवार फिसल रहे हैं.
ग्रामीण सोनू ने बताया कि ने बताया कि सोनू ने बताया कि ने बताया कि कई साल पहले हुड्डा सरकार के समय इसे फोरलेन बनाने का काम शुरू हुआ था, लेकिन बीच में ही बंद हो गया, जिसके बाद इस सड़क की हालत बेहद खस्ता हो गई. शिकायत करने के बाद विभाग नया रोड बनाने की बजाए गड्ढों पर पैच वर्क कर के चले जाते हैं. थोड़े समय के बाद फिर वहीं गड्ढे बन जाते है.
इस सड़क पर पिछले एक हफ्ते में हुए हादसे
- 5 जून- पौली गांव में सड़क में गड्ढों के कारण मोटरसाइकिल अनियंत्रित होकर गिर गई. इस हादसे में मोटरसाइकिल सवार किसान की मौत हो गई, जबकि उसका भतीजा घायल हो गया.
- 4 जून- गांव बिरौली के पास गुरुवार सुबह जींद-रोहतक राष्ट्रीय राजमार्ग पर अज्ञात वाहन ने बाइक को टक्कर मार दी. जिसमें बाइक सवार दो बैंक कर्मियों की मौत हो गई. वहीं, हादसे को देखकर महिला ट्राली से गिरकर घायल हो गई.
- 31 मई- आईटीबीपी का जवान राजेन्द्र टैक्सी के जरिए रोहतक से जींद आ रहा था. गांव किनाना के निकट सामने से आ रहे ट्रक ने टैक्सी को टक्कर मार दी. जिसमें जवान राजेंद्र की मौत हो गयी.
क्यों लटका है विकास कार्य ?
नेशनल हाईवे नंबर-71 की जींद-रोहतक के बीच फोरलेन बनाने की योजना 7 साल पुरानी है. 3 जून 2012 को प्रदेश के तत्कालीन सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने जींद रैली में इस हाईवे की फोरलेन बनाने की बड़ी योजना की घोषणा की थी. इसके बाद वीआईएल कम्पनी को हाईवे की फोरलेन का काम अलॉट किया गया था. वीआईएल कम्पनी ने फोरलेनिंग का काम शुरू भी कर दिया था, लेकिन बाद में कम्पनी के निर्माण कार्य की गति बेहद धीमी हो गई थी और कम्पनी ने काम बीच में बंद कर दिया. इसे लेकर एनएचएआई ने वीआईएल कम्पनी को कई बार नोटिस दिए और अंत में कम्पनी का टेंडर रद्द कर दिया था. कम्पनी ने इसे दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
मामला कोर्ट में होने से लटका निमार्ण
दिल्ली हाईकोर्ट में मामला चलने के चलते नैशनल हाईवे की फोरलेनिंग का काम अधर में लटक गया था. हाईकोर्ट से मामले का निपटारा होने के बाद एनएचएआई ने 2019 में जींद-रोहतक के बीच नेशनल हाईवे की फोरलेनिंग की योजना को लेकर नए सिरे से टेंडर आमंत्रित करने की प्रक्रिया शुरू की थी. शुरूआती दौर में किसी कम्पनी ने इस योजना में दिलचस्पी नहीं दिखाई. दूसरी बार टेंडर फ्लोट किए गए तो जिन 2 कम्पनियों ने अपनी बिड जमा करवाई, जो एनएचएआई की शर्तों पर खरी नहीं उतरीं. उसके बाद तीसरी बार 6 कम्पनियों ने बिड जमा करवाई जिसे दिसंबर 2019 में खोला गया. अब फरवरी 2020 में एसएनडीपी कंपनी टेंडर अलॉट किया गया, लेकिन अभी तक ना निर्माण कार्य शुरू हुआ ना इस रोड़ की हालत बदली.
470 करोड़ की लागत बनेगा फोरलेन
जींद-रोहतक के बीच नेशनल हाईवे की फोरलेन को लेकर 2012 में जो अनुमानित लागत थी, वह 283.31 करोड़ थी. अब 7 साल बाद यह बढ़कर 470.63 करोड़ हो गई है. योजना की अनुमानित लागत इतनी ज्यादा बढ़ जाने के कारण ही अब सड़क निर्माण का काम करने वाली एसएनडीपी कंस्ट्रक्शन कंपनी को यह काम दिया गया है, लेकिन लॉकडाउन के कारण काम अभी तक भी नहीं शुरू हो पाया है. इसको लेकर जींद-रोहतक फोरलेनिग के प्रोजेक्ट डायरेक्टर वीके शर्मा ने बताया कि निर्माण के लिए एजेंसी को मशीनें लानी हैं और प्लांट भी लगाना है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से मशीनें नहीं आ पाई. स्थिति सामान्य होने के बाद एजेंसी काम शुरू करेगी.
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