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जींद: टिकरी बॉर्डर पर जान गंवाने वाले किसान का पैतृक गांव में हुआ अंतिम संस्कार - jind farmer funeral

जींद के एक और किसान की किसान आंदोलन में टिकरी बॉर्डर पर मौत हो गई. मृतक किसान का अंतिम संस्कार हजारों किसानों की मौजूदगी में हुआ. किसानों ने कहा कि वो इस कुर्बानी को जाया नहीं जाने देंगे.

jind farmer funeral
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Published : Feb 5, 2021, 8:18 PM IST

जींद: जिले के एक और किसान की टिकरी बॉर्डर पर दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई. आज मृतक किसान रणधीर का पैतृक गांव छापड़ा (जींद) में हजारों किसानों की मौजूदगी में अंतिम संस्कार किया गया. किसानों ने दो किलोमीटर से ज्यादा लंबे काफिले के साथ हाथों में तिरंगा लेकर बाइक रैली निकालकर मृतक किसान को अंतिम विदाई दी.

टिकरी बॉर्डर पर जान गंवाने वाले किसान का पैतृक गांव में हुआ अंतिम संस्कार.

भारतीय किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष आजाद सिंह पालवा ने बताया की छापड़ा गांव से रणधीर काफिले के साथ 28 जनवरी को दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर गया था और कल रात दिल का दौरा पड़ने से उसकी मौत हो गई.

ये भी पढे़ं- सिंघु बॉर्डर पर एक और किसान ने तोड़ा दम, अब तक 16 किसानों की हुई मौत

आजाद सिंह पालवा ने कहा कि किसान आंदोलन में जींद जिले के पांच किसान जान गंवा चुके हैं. हरियाणा से करीब 70 और देश भर से करीब 170 किसान अपनी जान गंवा चुके हैं. पालवा ने कहा कि जब तक कृषि कानून रद्द नहीं होते तब तक कोई भी कुर्बानी देने को तैयार हैं.

आज जब किसान की अंतिम यात्रा निकाली जा रही थी तो अंतिम यात्रा को देखने के लिए घरों से लोग निकलकर सामने आए. मुखाग्नि से पहले पार्थिव शरीर से भारतीय किसान यूनियन का झंडा उतारकर बड़े बेटे को दिया गया. अंतिम यात्रा में काले कानून वापस लो, इंकलाब जिंदाबाद, किसान अमर रहे आदि नारे लगते रहे.

ये भी पढे़ं- टीवी पर राकेश टिकैत के आंसू देख सिरसा के किसान की हार्ट अटैक से मौत

जींद: जिले के एक और किसान की टिकरी बॉर्डर पर दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई. आज मृतक किसान रणधीर का पैतृक गांव छापड़ा (जींद) में हजारों किसानों की मौजूदगी में अंतिम संस्कार किया गया. किसानों ने दो किलोमीटर से ज्यादा लंबे काफिले के साथ हाथों में तिरंगा लेकर बाइक रैली निकालकर मृतक किसान को अंतिम विदाई दी.

टिकरी बॉर्डर पर जान गंवाने वाले किसान का पैतृक गांव में हुआ अंतिम संस्कार.

भारतीय किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष आजाद सिंह पालवा ने बताया की छापड़ा गांव से रणधीर काफिले के साथ 28 जनवरी को दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर गया था और कल रात दिल का दौरा पड़ने से उसकी मौत हो गई.

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आजाद सिंह पालवा ने कहा कि किसान आंदोलन में जींद जिले के पांच किसान जान गंवा चुके हैं. हरियाणा से करीब 70 और देश भर से करीब 170 किसान अपनी जान गंवा चुके हैं. पालवा ने कहा कि जब तक कृषि कानून रद्द नहीं होते तब तक कोई भी कुर्बानी देने को तैयार हैं.

आज जब किसान की अंतिम यात्रा निकाली जा रही थी तो अंतिम यात्रा को देखने के लिए घरों से लोग निकलकर सामने आए. मुखाग्नि से पहले पार्थिव शरीर से भारतीय किसान यूनियन का झंडा उतारकर बड़े बेटे को दिया गया. अंतिम यात्रा में काले कानून वापस लो, इंकलाब जिंदाबाद, किसान अमर रहे आदि नारे लगते रहे.

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