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आर-पार की लड़ाई के मूड में आशा वर्कर्स, करनाल में निकाली जाएगी महारैली - झज्जर आशा वर्कर्स विरोध प्रदर्शन

झज्जर में आशा वर्कर्स का विरोध प्रदर्शन पिछले कई दिनों से जारी है. मांगें ना माने जाने की वजह से आशा वर्कर्स आर पार की लड़ाई के मूड में आ गई हैं.

asha workers protest in jhajjar
asha workers protest in jhajjar
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Published : Sep 21, 2020, 10:39 PM IST

झज्जर: जिले में आशा वर्करों का विरोध प्रदर्शन जारी है. मांगें ना माने जाने की वजह से अब आशा वर्करों ने आर-पार की लड़ाई का मन बना लिया है. प्रदर्शन कर रही आशा वर्करों ने बताया कि वे 29 सितंबर को महारैली कर सरकार को जगाएंगी. ये महारैली करनाल में निकाली जाएगी, जिसमें प्रदेश की सभी आशा वर्कर बढ़ चढ़कर हिस्सा लेंगी.

आशा वर्करों ने बताया कि साल 2018 से उनकी मांगें लंबित पड़ी हैं, लेकिन सरकार उन मांगों को मानने की बजाय केवल झूठे आश्वासन ही दे रही है. आशा वर्कर का ये भी कहना है कि पूर्व मंत्री कृष्ण बेदी ने ये आश्वासन दिया था कि मुख्यमंत्री के कोरोना नेगेटिव आते ही उनकी मांगों पर ध्यान आकर्षित कराया जाएगा और उन मांगों को पूरा कराया जाएगा, लेकिन अभी तक उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया.

आशा वर्करों का कहना कि 2018 से उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जा रहा है. उनकी मांग सिर्फ ये है कि उन्हें एक स्मार्टफोन दिया जाए, उनके रहने की स्थाई व्यवस्था की जाए. इसके साथ ही साथ रिकॉर्ड मेंटेन रखने के लिए एक अलमारी की व्यवस्था की जाए. ये छोटी-छोटी मांगें भी सरकार पूरी नहीं कर रही है, जिससे उनके अंदर काफी गुस्सा है. उनका प्रदर्शन लगातार जारी रहेगा और 29 सितंबर को करनाल में हल्ला बोल किया जाएगा.

ये भी पढ़ें- अगर सरकार ने कृषि बिल वापस नहीं लिए तो करूंगा अनशन- बलराज कुंडू

झज्जर: जिले में आशा वर्करों का विरोध प्रदर्शन जारी है. मांगें ना माने जाने की वजह से अब आशा वर्करों ने आर-पार की लड़ाई का मन बना लिया है. प्रदर्शन कर रही आशा वर्करों ने बताया कि वे 29 सितंबर को महारैली कर सरकार को जगाएंगी. ये महारैली करनाल में निकाली जाएगी, जिसमें प्रदेश की सभी आशा वर्कर बढ़ चढ़कर हिस्सा लेंगी.

आशा वर्करों ने बताया कि साल 2018 से उनकी मांगें लंबित पड़ी हैं, लेकिन सरकार उन मांगों को मानने की बजाय केवल झूठे आश्वासन ही दे रही है. आशा वर्कर का ये भी कहना है कि पूर्व मंत्री कृष्ण बेदी ने ये आश्वासन दिया था कि मुख्यमंत्री के कोरोना नेगेटिव आते ही उनकी मांगों पर ध्यान आकर्षित कराया जाएगा और उन मांगों को पूरा कराया जाएगा, लेकिन अभी तक उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया.

आशा वर्करों का कहना कि 2018 से उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जा रहा है. उनकी मांग सिर्फ ये है कि उन्हें एक स्मार्टफोन दिया जाए, उनके रहने की स्थाई व्यवस्था की जाए. इसके साथ ही साथ रिकॉर्ड मेंटेन रखने के लिए एक अलमारी की व्यवस्था की जाए. ये छोटी-छोटी मांगें भी सरकार पूरी नहीं कर रही है, जिससे उनके अंदर काफी गुस्सा है. उनका प्रदर्शन लगातार जारी रहेगा और 29 सितंबर को करनाल में हल्ला बोल किया जाएगा.

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