हिसार: माता-पिता अपने बेटा और बेटी में कोई फर्क ना समझें बल्कि बल्कि उन्हें आगे बढऩे के सम्मान अवसर प्रदान करें. लड़का और लड़की से उन्हें समान अपेक्षाएं रखते हुए बच्चों को एक-दूसरे का सम्मान करना भी सिखाएं. ये संदेश चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के गृह विज्ञान महाविद्यालय की छात्राओं ने एक नुक्कड़ नाटक के माध्यम से दिया. कार्यक्रम का आयोजन जिले के गांव बुड़ाक में महाविद्यालय की ओर से ‘महिला सशक्तिकरण एवं लिंग संवेदीकरण’ लिंग भेद मिटाने की ओर एक कदम विषय के तहत किया गया.
डॉ. पूनम मलिक ने बताया कि सरकार ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने को अपनी प्राथमिकता बनाया है. साथ ही उनकी तस्करी, घरेलू हिंसा तथा यौन शोषण रोकने के लिए विशेष उपाय किए हैं. बालिकाओं का संरक्षण और सशक्तीकरण करने वाले अभियान ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की शुरुआत की गई, जिसे राष्ट्रीय स्तर पर संचालित किया जा रहा है.
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कार्यक्रम में डॉ. पूनम राठी ने ग्रामीणों से रूबरू होते हुए लडका-लड़की में भेदभाव न करने व उन्हें आगे बढऩे के लिए समान अवसर प्रदान करने के बारे में भी जागरूक किया गया. उन्होंने कहा कि महिलाएं एक हिंसा मुक्त परिवेश में सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें, इसके लिए उन्हें सहयोग देने के साथ-साथ उनका आर्थिक सशक्तीकरण भी जरूरी है. उन्होंने महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य व उनको प्रभावित करने वाले कारकों पर भी प्रकाश डाला.
इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि लिंग संवेदीकरण के लिए जो नीतियां बनाई जाती हैं उनको जमीनी स्तर पर शोध करके ही लागू करना चाहिए. इसके लिए महिलाओं व पुरूषों के साथ-साथ सभी आयुवर्ग के लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए. कार्यक्रम के दौरान ग्रामीणों को मास्क का वितरण भी किया गया. डॉ. निगम ने सभी प्रतिभागियों व ग्रामीणों का धन्यवाद किया.
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