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हिसार: विशेष अदालत ने भाटला गांव के अनुसूचित पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहायता के दिए आदेश

हिसार की अनुसूचित जाति और जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत स्थापित विशेष अदालत ने हिसार के जिला उपायुक्त को 2017 में दर्ज सामाजिक बहिष्कार के केस में तुरंत आर्थिक सहायता प्रदान करने के आदेश दिए हैं.

special court orders financial assistance to scheduled families of bhatla village of hisar
विशेष अदालत ने हिसार के भाटला गांव के अनुसूचित पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहायता के दिए आदेश
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Published : Jan 9, 2020, 3:34 PM IST

हिसार: विशेष अदालत ने हिसार के जिला उपायुक्त को भाटला गांव के अनुसूचित पीड़ित परिवारों को अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत जुलाई 2017 में दर्ज सामाजिक बहिष्कार के केस में तुरंत आर्थिक सहायता प्रदान करने के आदेश दिए हैं.

शिकायतकर्ता ने याचिका दायर कर मुआवजा मांगा था
पीड़ितों के वकील रजत कलसन ने बताया कि भाटला गांव के सामाजिक बहिष्कार मामले के शिकायतकर्ता अजय ने विशेष अदालत के समक्ष एक याचिका दायर कर पूरे गांव के करीब 425 परिवारों को एससी-एसटी एक्ट के तहत मुआवजा देने की मांग की थी.

विशेष अदालत ने हिसार के भाटला गांव के अनुसूचित पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहायता के दिए आदेश

याचिकाकर्ता ने अदालत से गुहार लगाई थी कि 2 जुलाई 2017 को भाईचारा कमेटी द्वारा मुनादी करवाकर गांव में उनका सामाजिक बहिष्कार किया गया था. कलसन ने बताया कि शिकायत कर्ता ने अपने याचिका में कहा था कि इस समाजिक बहिष्कार के कारण पूरे गांव का अनुसूचित समाज प्रभावित हुआ था. सामाजिक बहिष्कार के चलते पिछले 2 सालों से उन्हें रोजगार नहीं मिल रहा और रोजमर्रा के सामान के लिए भी दूसरे गांवों व शहरों में जाना पड़ता है.

इसे भी पढ़ें: फतेहाबादः इंस्पेक्टर का आरोप, शराब ठेकेदार ने मुझे कहे जातिसूचक शब्द और दी जान से मारने की धमकी

याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि सामाजिक बहिष्कार का जो मुकदमा दर्ज हुआ था. उसमें पूरे भाटला गांव के अनुसूचित समाज को शिकायतकर्ता बनाया गया था. जिस पर करीब 27 लोगों के हस्ताक्षर व अंगूठे के निशान थे. परंतु प्रशासन ने केवल 8 अनुसूचित पीड़ितों को मुआवजा देकर इतिश्री कर ली थी. शिकायतकर्ता ने विशेष अदालत के समक्ष याचिका दायर कर करीब 425 परिवारों को मुआवजा देने की मांग की थी.

हिसार: विशेष अदालत ने हिसार के जिला उपायुक्त को भाटला गांव के अनुसूचित पीड़ित परिवारों को अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत जुलाई 2017 में दर्ज सामाजिक बहिष्कार के केस में तुरंत आर्थिक सहायता प्रदान करने के आदेश दिए हैं.

शिकायतकर्ता ने याचिका दायर कर मुआवजा मांगा था
पीड़ितों के वकील रजत कलसन ने बताया कि भाटला गांव के सामाजिक बहिष्कार मामले के शिकायतकर्ता अजय ने विशेष अदालत के समक्ष एक याचिका दायर कर पूरे गांव के करीब 425 परिवारों को एससी-एसटी एक्ट के तहत मुआवजा देने की मांग की थी.

विशेष अदालत ने हिसार के भाटला गांव के अनुसूचित पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहायता के दिए आदेश

याचिकाकर्ता ने अदालत से गुहार लगाई थी कि 2 जुलाई 2017 को भाईचारा कमेटी द्वारा मुनादी करवाकर गांव में उनका सामाजिक बहिष्कार किया गया था. कलसन ने बताया कि शिकायत कर्ता ने अपने याचिका में कहा था कि इस समाजिक बहिष्कार के कारण पूरे गांव का अनुसूचित समाज प्रभावित हुआ था. सामाजिक बहिष्कार के चलते पिछले 2 सालों से उन्हें रोजगार नहीं मिल रहा और रोजमर्रा के सामान के लिए भी दूसरे गांवों व शहरों में जाना पड़ता है.

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याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि सामाजिक बहिष्कार का जो मुकदमा दर्ज हुआ था. उसमें पूरे भाटला गांव के अनुसूचित समाज को शिकायतकर्ता बनाया गया था. जिस पर करीब 27 लोगों के हस्ताक्षर व अंगूठे के निशान थे. परंतु प्रशासन ने केवल 8 अनुसूचित पीड़ितों को मुआवजा देकर इतिश्री कर ली थी. शिकायतकर्ता ने विशेष अदालत के समक्ष याचिका दायर कर करीब 425 परिवारों को मुआवजा देने की मांग की थी.

Intro:एंकर :हिसार की अनुसूचित जाति व जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत स्थापित विशेष अदालत ने हिसार के जिला उपायुक्त को भाटला गांव के अनुसूचित पीड़ित परिवारों को अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत जुलाई 2017 में दर्ज सामाजिक बहिष्कार के केस में तुरंत आर्थिक सहायता प्रदान करने के आदेश दिए हैं।

वीओ - पीड़ितों के वकील रजत कलसन ने बताया कि भाटला गांव के सामाजिक बहिष्कार मामले के शिकायतकर्ता अजय ने विशेष अदालत के समक्ष एक याचिका दायर कर पूरे गांव के करीब 425 परिवारों को एससी-एसटी एक्ट के तहत मुआवजा देने की मांग की थी। याचिकाकर्ता ने अदालत से गुहार लगाई थी कि 2 जुलाई 2017 को भाईचारा कमेटी द्वारा मुनादी करवाकर गांव में उनका सामाजिक बहिष्कार किया गया था, जिससे पूरे गांव का अनुसूचित समाज प्रभावित हुआ था। सामाजिक बहिष्कार के चलते पिछले 2 सालों से उन्हें रोजगार नहीं मिल रहा तथा रोजमर्रा के सामान के लिए भी दूसरे गांवों व शहरों में जाना पड़ता है।
Body:याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि सामाजिक बहिष्कार का जो मुकदमा दर्ज हुआ था, उसमें पूरे भाटला गांव के अनुसूचित समाज को शिकायतकर्ता बनाया गया था, जिस पर करीब 27 लोगों के हस्ताक्षर व अंगूठे थे। परंतु प्रशासन ने केवल 8 अनुसूचित पीड़ितों को मुआवजा देकर इतिश्री कर ली थी। शिकायतकर्ता ने विशेष अदालत के समक्ष याचिका दायर कर करीब 425 परिवारों को मुआवजा देने की मांग की थी


बाइट - रजत कलसन, वकील
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