हिसार: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के सदलपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित पांच दिवसीय प्रशिक्षण के दौरान वैज्ञानिकों ने किसानों को मशरूम की खेती करने की ट्रेनिंग दी. जिसमें उन्होंने बताया कि किसान खेती के साथ-साथ कम लागत से मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं और अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं. इसके लिए उन्हें मशरूम उत्पादन से संबंधित तकनीकी ज्ञान हासिल करना अनिवार्य है.
किसानों ने वैज्ञानिकों से लिया प्रशिक्षण
पांच दिवसीय खुम्ब उत्पादन तकनीक विषय पर आयोजित प्रशिक्षण में आसपास के विभिन्न गांवों के किसानों ने हिस्सा लिया. कृषि विज्ञान केंद्र सदलपुर के को-ऑर्डिनेटर डॉ. नरेंद्र कुमार ने प्रतिभागियों को बताया कि मशरूम की खेती फसल अवशेषों पर की जाती है. जिससे उनका दोबारा चक्र होकर उच्च कोटि के पोषक तत्वों और औषधीय गुणों से भरपूर मशरूम प्राप्त होता है.
उन्होंने बताया कि भारत में श्वेत बटन मशरूम (खुम्ब) की एगेरिकस बाईसपोरस प्रजाति की खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है. उत्पादन की दृष्टि से श्वेत बटन मशरूम का विश्व में प्रथम स्थान है. देश के मैदानी और पहाड़ी भागों में श्वेत बटन मशरूम को शरद ऋतु में उगाया जाता है, क्योंकि इस ऋतु में तापमान कम और हवा में नमी अधिक होती है.
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इंजीनियर अजीत सांगवान ने श्वेत बटन मशरूम के उत्पादन के लिए उचित तापमान, जगह और अन्य आवश्यक तत्वों की जानकारी दी. अन्य वैज्ञानिकों ने मशरूम से होने वाले लाभ और मशरूम के पोषक व औषधीय गुणों के बारे में जानकारी दी.
उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों को मशरूम की खाद तैयार करने की विधि के बारे में भी विस्तार से बताया. इसके अलावा खुम्ब में होने वाले कीड़े-मकोड़ो व बिमारियों का प्रबंधन, मशरूम का मूल्य संवर्धन व मार्केटिंग इत्यादि के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई.