हिसार: बुधवार को हिसार के सरपंचों ने देवेंद्र बबली के खिलाफ प्रदर्शन (sarpanch protest in hisar) किया. सरपंचों ने पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली से माफी मांगने की अपील की. उन्होंने कहा कि अगर हिम्मत है तो मंत्री राइट टू रिकॉल करके दिखाए. समैण गांव के सरपंच रणबीर ने बताया कि पूरे हरियाणा के सरपंचों से मीटिंग कर जल्द ही टोहाना में सरपंचों को इकट्ठा कर ई टेंडरिंग प्रणाली के खिलाफ एक बड़े आंदोलन का बिगुल बजाया जाएगा. इसके लिए जल्द ही कमेटी का भी गठन किया जाएगा.
सरपंच ने कहा कि मंत्री अपने दलाल सेट करने में लगे हुए हैं, इसलिए सरपंचों की पावर कम करके बीच में ठेकेदार की पॉलिसी लाई जा रही है. फतेहाबाद में नाढ़ौड़ी गांव के सरपंच नरेंद्र को चेतावनी देने के मामले पर हिसार से सरपंचों ने कहा कि नाढ़ौड़ी गांव के सरपंच को बेइज्जत करना ठीक नहीं था. इसलिए वो इसका विरोध कर रहे हैं. सरपंचों ने कहा कि नरेंद्र जनता के द्वारा चुने गए प्रतिनिधि हैं. उनका इस प्रकार से अपमान नहीं किया जाना चाहिए. सरपंच नरेंद्र ने कहा कि गांव वासी उनके साथ हैं और वो इस मामले में ग्रामीणों को साथ लेकर सीएम से भी मिलने जाएंगे.
ये है पूरा मामला: पूरा मामला 3 जनवरी यानी मंगलवार का है. यहां नाढोड़ी गांव में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. गांव नाढ़ोड़ी में पंचायत मंत्री का कार्यक्रम पूर्व सरपंच के घर रखवा दिया गया, जो कि मौजूदा सरपंच के विरोधी खेमा भी है. ऐसे में गांव से मात्र एक वोट से चुनाव जीतने वाले सरपंच नरेंद्र इस कार्यक्रम में नहीं पहुंचे थे. जिससे मंत्री नाराज दिखे. पंचायत मंत्री के कार्यक्रम में नहीं पहुंचने पर देवेंद्र बबली ने कहा कि वो कोई गलतफहमी ना पालें, जनता ने मात्र एक वोट से उनको जिताया है और गांव के विकास के लिए चुना है.
पंचायत मंत्री ने कहा कि यदि गांव के कार्यों में कोई गड़बड़ी हो रही है, तो सरपंच को पावर है कि वो उसे रोक सकता है. बबली ने कहा कि पंचायत मंत्री आए तो सरपंच (devendra babli warning to sarpanch) को नैतिकता के आधार पर यहां होना चाहिए था. सरपंच द्वेष भावना से सरपंची ना करें. सरकार के पास बहुत से अधिकार हैं. ग्रामीणों के कहने पर सरपंच चुनाव दोबारा भी करवाए जा सकते हैं. अब हरियाणा के सरपंच पंचायत मंत्री के इसी बयान का विरोध कर रहे हैं.
हरियाणा में ई टेंडरिंग क्या है? पंचायतों में होने वाले कामों में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार ने ई-टेंडर प्रक्रिया बनाई है. इसके तहत 2 लाख रुपए से अधिक के कामों के लिए ई-टेंडरिंग जारी की जाएगी. फिर अधिकारी ठेकेदार के द्वारा गांव का विकास कार्य करवाएंगे. इसमें सरपंच सरकार को विकास कार्यों के बारे में ब्योरा देगा. जिसके बाद सरकार ठेकेदार से ई टेंडरिंग के जरिए विकास कार्य करवाएगी. सरकार का दावा है कि इस प्रक्रिया से भ्रष्टाचार के मामलों में कमी आएगी.
सरपंच क्यों कर रहे ई टेंडरिंग का विरोध? सरपंचों का कहना है कि सरकार की ये स्कीम (e tendering scheme) सरपंचों के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि ई टेंडरिंग से गांव का अच्छे से विकास नहीं हो पाएगा. सरपंचों ने कहा कि अगर सरपंचों को विकास कार्यों के लिए पैसा सीधे तौर पर नहीं दिया जाएगा, तो ठेकेदार और अधिकारी मनमर्जी से गांव में कार्य करवाएंगे. लिहाजा सरपंचों का गांव के विकास में कोई भी हाथ नहीं रह जाएगा. जिसका जन प्रतिनिधि विरोध कर रहे हैं.
क्या है राइट टू रिकॉल हरियाणा? राइट टू रिकॉल हरियाणा के तहत ग्रामीणों के पास ये अधिकार आ गया है कि अगर सरपंच गांव में विकास कार्य नहीं करवा रहा, तो उसे बीच कार्यकाल में ही पद से हटाया जा सकता है. सरपंच को हटाने के लिए गांव के 33 प्रतिशत मतदाता, 'अविश्वास' लिखित में शिकायत संबंधित अधिकारी को देंगे. ये प्रस्ताव खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी तथा सीईओ के पास जाएगा.
इसके बाद ग्राम सभा की बैठक बुलाकर 2 घंटे के लिए चर्चा करवाई जाएगी. इस बैठक के तुरंत बाद गुप्त मतदान करवाया जाएगा. अगर 67 प्रतिशत ग्रामीणों ने सरपंच के खिलाफ मतदान किया तो, सरपंच पदमुक्त हो जाएगा. सरपंच चुने जाने के एक साल बाद ही इस नियम के तहत अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकेगा. अगर अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सरपंच के विरोध में निर्धारित दो तिहाई मत नहीं डलते हैं तो, आने वाले एक साल तक दोबारा अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा. इस तरह 'राइट टू रिकॉल' एक साल में सिर्फ एक बार ही लाया जा सकेगा.