हिसार: भूख एक ऐसी जरूरत है जिसका एकमात्र समाधान खाना है. दुनिया भर के सैकड़ों देशों के लिए भुखमरी बड़ी समस्या है. और बेहद चौकाने वाला सच ये है कि भारत जैसे कृषि प्रधान देश में भी बड़ी संख्या में लोग भूख से मर रहे हैं. ऐसा नहीं है कि देश में अनाज का टोटा है या हम खाद्यान उत्पादन में पिछड़े हुए हैं. ऐसा सिर्फ इसलिए हो रहा है क्योंकि देश में फूड मैनेजमेंट लचर है. ईटीवी भारत 'ऑपरेशन गोदाम' के इस कड़ी में हम पहुंचे हैं हिसार जिले के उकलाना वेयर हाउस में जहां हमने गोदामों में स्टोर किए गए खाद्यानों के हालात को जानने की कोशिश की.
हजारों मीट्रिक टन गेहूं बर्बाद हो रहा है!
4,485 मीट्रिक टन अनाज खुले में राम भरोसे है. अब आनाज बाहर भीगता है. तो कसूरवार कौन है. क्या बारिश की गलती है ?. आखिर वजह क्या है? क्या देश में जगह की कमी हो गई है? क्या हमारी व्यवस्था इतनी नाकाम है कि इस बेशकीमती आनाज को सुरक्षित हम नहीं रख सकते, लेकिन वजह बस इतनी है कि आज भी हम अपने खाद्यानों की देख रेख को लेकर गंभीर नहीं है. ईटीवी भारत की टीम ने जब गोदाम और बाहर ढ़क कर रखे गए गेहूं का जायजा लिया तो चोंकाने वाले तथ्य सामने आए.
अंकुरित होने लगा है गेहूं
एक तरफ देश में अनाज के लिए मारा-मारी हो रही है. वहीं सरकारी गोदामों में अनाज खुले में भीगता है. अंकुरित होता है और सड़ता रहता है. हिसार जिले के सिर्फ उकलाना कस्बे के वेयर हाउस की सिर्फ की जगह हम बात करें तो गोदाम की क्षमता 23 हजार 820 मीट्रिक टन है. वहीं स्टॉक में 17 हजार 670 मीट्रक टन गेहूं और 6 हजार 150 मीट्रिक टन सरसों है. वहीं खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के गोदामों में 16,000 मीट्रिक टन की क्षमता है, जो पूरी तरह से भरा हुआ है. करीब 2 हजार मीट्रिक टन अनाज बाहर तिरपाल से ढ़का हुआ है.
सैंकड़ो क्विंटल गेहूं हर साल खराब होता है. देश में खाद्यान को लेकर सरकारें और कुछ लापरवाह अधिकारी की अनदेखी की वजह से लाखों मीट्रिक टन अनाज बारिश के भेंट चढ़ जाता है. साथ ही हर साल अरबों रुपयों का राजस्व भी बह जाता है. और इतने बड़े गुनाह का कसूरवार किसी को भी नहीं ठहराया जाता है. यही वजह है कि अब ईटीवी भारत ने बीड़ा उठाया है. हमारी कोशिश है कि देश को खाद्यानों को सुरक्षित रखा जाए. ताकी देश को भुखमरी के दलदल में जाने से रोका जा सके.