हिसार: मिर्चपुर गांव में लगभग 10 साल पहले हुई जातीय हिंसा के बाद गांव से विस्थापित हुए परिवारों के पुनर्वास के लिए 7 जुलाई 2018 को सरकार की ओर से योजना बनाई गई. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हिसार के ही ढंडूर गांव में इस योजना की शुरुआत की.
मजबूरी में रह रहे लोग
योजना के लॉन्च होने के डेढ़ साल बाद भी विस्थापित लोग परेशानी के दौर से गुजर रहे हैं. हरियाणा सहित उत्तर भारत में इन दिनों तापमान लगभग शून्य डिग्री के नजदीक पहुंच चुका है लेकिन मिर्चपुर से विस्थापित हुए परिवार 10 साल बाद भी पॉलिथीन की छत वाली झुग्गी में गुजर-बसर करने को मजबूर हैं.
उजड़े 258 परिवार
योजना के तहत ढंढूर गांव में 258 परिवारों के पुनर्वास की तैयारी की गई लेकिन 1 साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी परिवारों को केवल प्लेटों की रजिस्ट्री ही मिल पाई है. योजना के तहत 4 करोड़ 56 लाख की लागत से 8 एकड़ भूमि में शुरुआत की गई. इस बस्ती का नाम दीनदयाल पुरम रखा गया.
कुत्ते को पत्थर मारने से बढ़ा विवाद
गौरतलब है कि 2010 में कुत्ते को पत्थर मारने से शुरू हुए विवाद ने जातीय हिंसा का रूप ले लिया. इस दौरान गांव में 70 साल के दलित बुजुर्ग और उसकी बेटी को जिंदा जला दिया गया था. इसके बाद गांव के दलितों ने पलायन कर लिया और वो तंवर फार्म हाउस में रहने लगे. जब ये प्रकरण हुआ तब मामले पर सियासत भी तेज हो गई. राहुल गांधी ने भी मिर्चपुर गांव का दैरा किया था. इस प्रकरण के बाद जांच चली, केस चला और कोर्ट ने 20 दोषियों को उम्रकैद की सजा भी सुनाई गई थी.
तंबू में रहने को मजबूर लोग
गांव के ही बुजुर्ग गुलाब सिंह का कहना है कि सर्दी में उन्हें फटे हुए तिरपाल की झोपड़ियों में रहना पड़ रहा है. उनके लिए ना तो पीने के पानी की कोई सुविधा है और ना ही बच्चों की पढ़ाई को लेकर कोई व्यवस्था की गई है. वहीं पुनर्वास के लिए भी कोई व्यवस्था अभी तक नहीं की गई है. लगभग 7.5 एकड़ जमीन को समतल कर केवल बांस गाढ़ दिए गए हैं.
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ठंड में परेशान विस्थापित
वहीं लिली नाम की महिला का कहना है कि ठंड में इन झोपड़ियों में रहने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ठंड में पैर मोड़कर सोने को मजबूर हैं. उन्होंने कहा कि सरकार प्लाट देने के नाम पर केवल दिलासा दे रही है. बच्चों को पढ़ने के लिए भी काफी दूर जाना पड़ता है जिससे कुछ बच्चे भी नहीं पढ़ पा रहे हैं. वहीं एक सरिता नाम की महिला का कहना है कि प्लाट के लिए एक-एक किस्त 830 रुपये की भी जमा करवाई जा चुकी है.