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अब हिसार में आंतरिक परिवाद समिति का गठन करना होगा जरूरी, नहीं तो होगी कार्रवाई - Hisar DC Sexual Harassment Act

हिसार में उपायुक्त ने महिला यौन उत्पीड़न अधिनियम की समीक्षा की है. इसमें आंतरिक परिवाद समिति का गठन ना करने पर कार्रवाई होगी.

hisar DC reviewed Women Sexual Harassment Act
hisar DC reviewed Women Sexual Harassment Act
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Published : Sep 30, 2020, 9:09 AM IST

हिसार: जिला उपायुक्त ने महिला यौन उत्पीड़न अधिनियम की समीक्षा की. जिला उपायुक्त डॉ. प्रियंका सोनी ने कार्यस्थल पर महिला यौन उत्पीड़न की घटनाओं पर रोक लगाने की दिशा में निर्देश जारी किए हैं. इस निर्देश में कहा गया है कि शासकीय और अशासकीय संस्थाओं को आंतरिक परिवाद समिति का गठन किया जाना जरूरी है.

उन्होंने कहा कि नियमों के मुताबिक कार्यस्थल पर महिला यौन उत्पीड़न की घटनाओं पर अकुंंश लगाने के लिए 10 या इससे अधिक के स्टाफ वाले स्थलों पर, जहां पर कम से कम एक या इससे अधिक महिलाएं काम करती हों वहां आतंरिक परिवाद समिति का गठन किया जाना जरूरी है. इस समिति में एनजीओ और कानूनी परामर्श दाता जैसे सदस्यों का होना जरूरी है.

उन्होंने कहा कि जिन भी कार्यालयों या संस्थाओं में अभी तक आतंरिक परिवाद समिति का गठन नहीं किया गया है, वे अविलंब समिति का गठन करें अन्यथा संबंधित के विरुद्ध कार्यस्थल पर महिला यौन उत्पीड़न (निवारण, निषेध एवं निदान) अधिनियम के प्रावधानों के तहत कानूनी कार्रवाई या जुर्माना किया जा सकता है.

ये भी पढ़ें- कोरोना ने छीना टिकट वेंडरों का रोजगार, खाली करनी पड़ी दुकानें

इस समिति का गठन कार्यस्थल पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीड़न रोकने के उद्देश्य से किया जाता है. इसमें दस या इससे अधिक अफसर व कर्मचारी वाले कार्यस्थलों पर आंतरिक परिवाद समिति का गठन करना अनिवार्य किया गया है.

हिसार: जिला उपायुक्त ने महिला यौन उत्पीड़न अधिनियम की समीक्षा की. जिला उपायुक्त डॉ. प्रियंका सोनी ने कार्यस्थल पर महिला यौन उत्पीड़न की घटनाओं पर रोक लगाने की दिशा में निर्देश जारी किए हैं. इस निर्देश में कहा गया है कि शासकीय और अशासकीय संस्थाओं को आंतरिक परिवाद समिति का गठन किया जाना जरूरी है.

उन्होंने कहा कि नियमों के मुताबिक कार्यस्थल पर महिला यौन उत्पीड़न की घटनाओं पर अकुंंश लगाने के लिए 10 या इससे अधिक के स्टाफ वाले स्थलों पर, जहां पर कम से कम एक या इससे अधिक महिलाएं काम करती हों वहां आतंरिक परिवाद समिति का गठन किया जाना जरूरी है. इस समिति में एनजीओ और कानूनी परामर्श दाता जैसे सदस्यों का होना जरूरी है.

उन्होंने कहा कि जिन भी कार्यालयों या संस्थाओं में अभी तक आतंरिक परिवाद समिति का गठन नहीं किया गया है, वे अविलंब समिति का गठन करें अन्यथा संबंधित के विरुद्ध कार्यस्थल पर महिला यौन उत्पीड़न (निवारण, निषेध एवं निदान) अधिनियम के प्रावधानों के तहत कानूनी कार्रवाई या जुर्माना किया जा सकता है.

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इस समिति का गठन कार्यस्थल पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीड़न रोकने के उद्देश्य से किया जाता है. इसमें दस या इससे अधिक अफसर व कर्मचारी वाले कार्यस्थलों पर आंतरिक परिवाद समिति का गठन करना अनिवार्य किया गया है.

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