हिसार: चौधरी चरण सिंह हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में सुक्खी शब्द को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. हॉस्टल में रहने वाले छात्र-छात्राएं वीसी कार्यालय के बाहर लगातार चार दिनों से धरने पर बैठे हैं. छात्रों ने तीसरी रात में भी वीसी कार्यालय के बाहर धरना दिया. छात्रों ने झूठा SC/ST एक्ट का मुकदमा दर्ज होने पर इसकी जानकारी राज्यपाल को भी ईमेल के माध्यम से भेज दी है. धरने के पहले दिन रात को हॉस्टल से खाना देने से इंकार भी कर दिया गया.
क्या है पूरा मामला: हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के छात्रों का धरना रविवार को चौथे दिन में प्रवेश कर गया. बुधवार को विश्वविद्यालय में फ्रेशर पार्टी रखी गई थी, जिसमें विश्वविद्यालय के कुलपति, कॉलेज के डीन, डायरेक्टर सभी मौजूद थे. इस दौरान एक हरियाणवी स्किट की प्रस्तुति के दौरान सुक्खी शब्द का प्रयोग किया गया था. इसे चीफ सिक्योरिटी अफसर सुखबीर सिंह ने अपने ऊपर व्यक्तिगत कटाक्ष के रूप में ले लिया. जिसके बाद हॉस्टल में आकर छात्रों से दुर्व्यवहार किया.
छात्रों का आरोप है कि बुधवार रात को चीफ सिक्योरिटी ऑफिसर फ्रेशर पार्टी के बाद शराब के नशे में 4 से 5 लोगों के साथ हॉस्टल में आ गए और छात्रों के साथ गाली-गलौज करने लगे. सुबह सभी छात्रों ने मिलकर चीफ सिक्योरिटी ऑफिसर से मुलाकात की तो चीफ ने मांगने से इनकार कर दिया. छात्र अब उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग पर अड़े हैं. चीफ के खिलाफ कार्रवाई के लिए छात्र धरने पर बैठ गए.
छात्रों पर SC-ST का मुकदमा दर्ज: छात्रों ने गर्वनर हाउस को भेजी ईमेल में विश्वविद्यालय प्रशासन की मिलीभगत का भी जिक्र किया है. इसके साथ विश्वविद्यालय प्रशासन के कुछ पुराने विवादों का जिक्र भी ईमेल में किया है. वहीं, छात्रों ने विश्वविद्यालय की जांच कमेटी के सामने पेश होने से इनकार भी कर दिया है. छात्रों की मांग है कि जब तक एससी-एसटी एक्ट का झूठा मुकदमा छात्रों से नहीं हटाया जाता, तब तक वे किसी भी मीटिंग में शामिल नहीं होंगे.
2022 में यूनिवर्सिटी कैलेंडर पर छिड़ा था विवाद: हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में पिछले साल फरवरी 2022 में जारी किए गए बयान पर भी विवाद रहा था. यूनिवर्सिटी कैलेंडर विवाद के कारण सुर्खियों में रही. पिछले साल विश्वविद्यालय ने नए कैलेंडर में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की फोटो नहीं लगाई गई थी. इसी बात को लेकर विवाद हुआ और किसानों ने यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन किया. इसके बाद विश्वविद्यालय ने प्रिंटिंग की गलती बताकर फोटो लगाया.