चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा का बजट सत्र सात मार्च से शुरू होने जा रहा है. इस बार बजट में जनता को कई उम्मीदें हैं. मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पर भी सभी की नजरें टिकी हुई हैं, क्योंकि अक्टूबर 2024 में हरियाणा सरकार बनाने के बाद अभी तक मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस विधायक दल के नेता का नाम तय नहीं कर पाई है. हालांकि पार्टी के नए प्रभारी बी के हरिप्रसाद बनने के बाद अब उम्मीद की जा रही है कि शायद अब विधायक दल के नेता के नाम पर अंतिम मोहर लग जाएगी.
नेता विपक्ष के ऐलान का इंतजार: हरियाणा में चुनाव को हुए करीब पांच महीने होने वाले हैं, लेकिन कांग्रेस हाईकमान इतना वक्त गुजरने के बाद भी विधायक दल का नेता तय नहीं कर पाया है, जबकि पार्टी इस मामले में केंद्र से भेजे गए प्रवेक्षकों के जरिए विधायकों की राय भी लेकर चुकी है. विधायकों ने इस मामले में हाईकमान को भी अधिकृत कर दिया था. बावजूद इसके अभी तक इस पर पार्टी फैसला नहीं ले पाई है. हालांकि पहले उम्मीद की जबरही थी कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद विधायक दल के नेता का नाम तय हो सकता है.
बजट सत्र, निकाय चुनाव कब मिलेगा नेता विपक्ष? इस सबके बीच अब सात मार्च से हरियाणा का बजट सत्र भी शुरू होने वाला है. वहीं निकाय चुनाव के लिए नतीजे भी 12 मार्च को आने हैं. वहीं पार्टी ने हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी पद पर दीपक बाबरिया की जगह बीके हरिप्रसाद को नियुक्त किया है. ऐसे में सवाल यही है कि क्या कांग्रेस बजट सत्र से पहले या फिर निकाय चुनाव के नतीजों के बाद विधायक दल के नेता का नाम तय करेगी
क्या कहते हैं राजनीतिक मामलों के जानकर? राजनीतिक मामलों के जानकर और कांग्रेस पार्टी को लंबे वक्त से देख रहे धीरेंद्र अवस्थी ने कहा कि कांग्रेस अभी भी विधानसभा चुनाव में मिली आश्चर्यजनक हार के सदमे में है. हालांकि हाइकमान ने दीपक बाबरिया की जगह नए प्रभारी की नियुक्ति की है. जिसके बाद उम्मीद की जा रही है कि बजट सत्र तक हरियाणा में कांग्रेस विधायक दल के नेता का नाम तय कर ले.
भूपेंद्र हुड्डा को मिलेगी जिम्मेदारी? ये भी हो सकता है कि हरियाणा में हो रहे निकाय चुनाव के बाद ही इस पर कोई फैसला हो. हो सकता है कि ये विधानसभा सत्र भी बिना विरोधी दल के नेता के निकल जाए. हालांकि नेता विरोधी दल एक ऑफिशियल जरूरत होती है. हालांकि पिछले सत्र में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने वरिष्ठ होने के नाते उस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया था. ऐसे में ये भी हो सकता है कि वे फिर से बिना नेता विपक्ष के इस जिम्मेदारी को फिर निभाते हुए दिखें.
इस बात की संभावनाएं अच्छी हैं कि निकाय चुनाव के बाद ही नेता विपक्ष के नाम का कांग्रेस ऐलान करे. उसकी वजह ये भी है कि पार्टी के तमाम विधायक और नेता अभी निकाय चुनाव के लिए अपनी ताकत लगा रहे हैं. जिसकी वजह से संभावनाएं ये भी बन रही हैं कि इस पर फैसला निकाय चुनाव के बाद हो.
एक दशक से बिन संगठन है हरियाणा कांग्रेस: इस सबके बीच एक दशक से बिना संगठन चल रही हरियाणा कांग्रेस को नया प्रभारी मिलने के बाद पार्टी के संगठन जल्द बनने की उम्मीद भी जग गई है. इस पर भी पार्टी चुनाव के बाद कोई फैसला ले सकती है. हालांकि 2014 के बाद बिना संगठन के चल रही हरियाणा कांग्रेस के इस बीच प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष बदलते रहे, लेकिन कोई संगठन नहीं बना पाया. वहीं निकाय चुनाव के लिए पार्टी ने अस्थाई जिला प्रभारी, संयोजक लगाए हैं, लेकिन अब बीके हरिप्रसाद के प्रभारी बनने के बाद उम्मीद स्थाई व्यवस्था की जग गई है.