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लेट हो गए हैं तो धान की इन किस्मों को लगाएं किसान, 115 दिन में पककर होगी तैयार

मानसून के लेट आने के कारण हरियाणा में कई किसान धान की फसल लगाने में लेट हो गए हैं. ऐसे किसानों के लिए कृषि विशेषज्ञ डॉ. एसएस पूनिया ने खास सलाह दी है.

haryana farmers planting late monsoon
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Published : Jul 14, 2021, 8:32 PM IST

हिसार: हर साल किसानों को मानसून के सीजन में बारिश का बड़ा इंतजार रहता क्योंकि बारिश के आधार पर ही अधिकतर किसान धान की बिजाई करते हैं. धान की फसल में बेहद अधिक पानी की खपत होती है. मानसून इस बार लगभग 10 दिन से ज्यादा लेट है. ऐसे में किसानों को भी फसलें लगाने में देरी हो गई है. अभी तक हरियाणा के ज्यादा धान लगाने वाले क्षेत्र यमुनानगर, करनाल, कैथल, कुरुक्षेत्र में ज्यादातर किसान धान की फसल लगा चुके हैं.

वहीं जिन किसानों ने फसल नहीं लगाई उन्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है. ऐसे किसानों के लिए कृषि विशेषज्ञों की राय है कि अब रोपाई विधि के जरिये जल्दी यानी 110-115 दिन में पकने वाली किस्मों को लगाने में ही भलाई है जिससे अगली गेंहू फसल की बिजाई भी लेट नहीं होगी. जिन किसानों ने इन किस्मों की पनीरी लगा रखी है वह पौधों की रोपाई या स्थानांतरण 30 जुलाई तक कर सकते हैं.

लेट हो गए हैं तो धान की इन किस्मों को लगाएं किसान, 115 दिन में पककर होगी तैयार

कृषि विशेषज्ञ डॉ. एसएस पूनिया ने बताया कि अब सीधी बिजाई के लिए तो समय बीत चुका है तो किसानों को पनीरी के जरिए ही पौधे ट्रांसप्लांट करने होंगे. जिन किसानों ने अभी तक धान की रोपाई या बिजाई नहीं की है उन किसानों के लिए अब जल्दी पकने वाली किस्में ही लगाना बेहतर है. जैसे कम समय में पकने वाली बासमती धान की किस्में पूसा 1121, पूसा 1509, पूसा 1617, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की पीआर-126 किस्म, स्विफ्ट गोल्ड, जिनकी पौध की रोपाई इस समय किसान कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें- मछली पालन में सिर्फ 500 रुपये निवेश किए और हरियाणा का ये किसान बन गया लखपति, जानें कैसे

इन किस्मों को लगाने के बाद किसान गेहूं की बिजाई समय पर आसानी से कर सकते हैं क्योंकि ये जल्दी पककर तैयार हो जाती हैं. हरियाणा की बासमती धान देश में अव्वल दर्जे की है, इसका अच्छा दाम भी मिलता है. इनकी फसल के बाद आलू, सूरजमुखी, उड़द, मक्का आदि की फसल आसानी से बोई जा सकती है.

उन्होंने बताया कि पहले से ही गीली जमीन में बिजाई के बाद 21 दिनों तक पानी की जरूरत नहीं पड़ती है. उसके 25 दिन के बाद खरपतवार हो जाती है जिसके लिए नॉमिनी गोल्ड का स्प्रे करना जरूरी है. मोटी पत्ती वाले खरपतवार है तो नॉमिनी गोल्ड के साथ हेलमिक्स या टू फॉर डी का स्प्रे करें. अगर 21 दिन से पहले बारिश होती है तो घास उग जाती है उसके लिए 90 ग्राम कौंसिल एक्टिव बायर का छिड़काव करें. 30 दिन से पहले किसानों को खरपतवार नाशी का छिड़काव जरूर करना है.

वहीं अगर 30 दिन के बाद दूसरे फेज में अगस्त में लेप्टोक्लोव, झाड़ू वाला घास, विरचबुटी आदि घास आ जाते हैं तो उसके लिए 400 एमएल राइज स्टार का छिड़काव करें. जो मकड़े से भी बचाव करेगा. किसानों को कम से कम दो खरपतवार नाशी का छिड़काव करना जरूरी है.

ये भी पढ़ें- महज 2 एकड़ खेत से महीने में लाखों कमा रहा किसान, ऐसे करें स्मार्ट खेती

हिसार: हर साल किसानों को मानसून के सीजन में बारिश का बड़ा इंतजार रहता क्योंकि बारिश के आधार पर ही अधिकतर किसान धान की बिजाई करते हैं. धान की फसल में बेहद अधिक पानी की खपत होती है. मानसून इस बार लगभग 10 दिन से ज्यादा लेट है. ऐसे में किसानों को भी फसलें लगाने में देरी हो गई है. अभी तक हरियाणा के ज्यादा धान लगाने वाले क्षेत्र यमुनानगर, करनाल, कैथल, कुरुक्षेत्र में ज्यादातर किसान धान की फसल लगा चुके हैं.

वहीं जिन किसानों ने फसल नहीं लगाई उन्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है. ऐसे किसानों के लिए कृषि विशेषज्ञों की राय है कि अब रोपाई विधि के जरिये जल्दी यानी 110-115 दिन में पकने वाली किस्मों को लगाने में ही भलाई है जिससे अगली गेंहू फसल की बिजाई भी लेट नहीं होगी. जिन किसानों ने इन किस्मों की पनीरी लगा रखी है वह पौधों की रोपाई या स्थानांतरण 30 जुलाई तक कर सकते हैं.

लेट हो गए हैं तो धान की इन किस्मों को लगाएं किसान, 115 दिन में पककर होगी तैयार

कृषि विशेषज्ञ डॉ. एसएस पूनिया ने बताया कि अब सीधी बिजाई के लिए तो समय बीत चुका है तो किसानों को पनीरी के जरिए ही पौधे ट्रांसप्लांट करने होंगे. जिन किसानों ने अभी तक धान की रोपाई या बिजाई नहीं की है उन किसानों के लिए अब जल्दी पकने वाली किस्में ही लगाना बेहतर है. जैसे कम समय में पकने वाली बासमती धान की किस्में पूसा 1121, पूसा 1509, पूसा 1617, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की पीआर-126 किस्म, स्विफ्ट गोल्ड, जिनकी पौध की रोपाई इस समय किसान कर सकते हैं.

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इन किस्मों को लगाने के बाद किसान गेहूं की बिजाई समय पर आसानी से कर सकते हैं क्योंकि ये जल्दी पककर तैयार हो जाती हैं. हरियाणा की बासमती धान देश में अव्वल दर्जे की है, इसका अच्छा दाम भी मिलता है. इनकी फसल के बाद आलू, सूरजमुखी, उड़द, मक्का आदि की फसल आसानी से बोई जा सकती है.

उन्होंने बताया कि पहले से ही गीली जमीन में बिजाई के बाद 21 दिनों तक पानी की जरूरत नहीं पड़ती है. उसके 25 दिन के बाद खरपतवार हो जाती है जिसके लिए नॉमिनी गोल्ड का स्प्रे करना जरूरी है. मोटी पत्ती वाले खरपतवार है तो नॉमिनी गोल्ड के साथ हेलमिक्स या टू फॉर डी का स्प्रे करें. अगर 21 दिन से पहले बारिश होती है तो घास उग जाती है उसके लिए 90 ग्राम कौंसिल एक्टिव बायर का छिड़काव करें. 30 दिन से पहले किसानों को खरपतवार नाशी का छिड़काव जरूर करना है.

वहीं अगर 30 दिन के बाद दूसरे फेज में अगस्त में लेप्टोक्लोव, झाड़ू वाला घास, विरचबुटी आदि घास आ जाते हैं तो उसके लिए 400 एमएल राइज स्टार का छिड़काव करें. जो मकड़े से भी बचाव करेगा. किसानों को कम से कम दो खरपतवार नाशी का छिड़काव करना जरूरी है.

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