हिसार: केंद्र में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट निर्मला सीतारमण की तरफ से पेश किया गया. बजट से देश के प्रत्येक वर्ग को काफी उम्मीदें दिखाई दे रही थी. बजट को लेकर कुछ वर्ग संतुष्ट हैं वहीं कुछ इस बजट को लेकर निराश हैं, क्योंकि बजट में उन्हें कुछ खासा लाभ नहीं मिला. ऐसा ही एक वर्ग किसान वर्ग है जिसकी उम्मीदों पर बजट खरा नहीं उतरा.
'बजट में किसानों की हुई अनदेखी'
किसानों का कहना है कि बजट में किसानों की अनदेखी की गई है. वहीं इससे पहले मोदी सरकार ने जो बजट पेश किया था वह काफी लोकलुभावन होने के कारण किसानों को इससे फायदा पहुंचा.
'डीजल के दाम बढ़ेंगे, तो फसल की लागत बढ़ेगी'
किसानों का कहना है कि पेट्रोल के साथ-साथ डीजल पर सेस बढ़ाए जाने से इसकी मार किसानों पर पड़ेगी. उन्होंने कहा कि खेती-बाड़ी का अधिकतर काम डीजल से होता है और डीजल के दाम बढ़ने से फसल की लागत में बढ़ोतरी होगी.
'खाद-बीज जैसे उत्पाद होंगे महंगे'
किसानों का कहना है कि पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से किसानों के लिए खाद बीज जैसे आवश्यक उत्पाद भी महंगे होंगे, जिसकी मार भी उन्हें झेलनी पड़ेगी. वहीं किसानों ने कहा कि सरकार ने फसलों के सरकारी रेट तो निर्धारित कर दिए हैं, लेकिन अधिकतर किसानों की फसल निर्धारित दामों पर नहीं बिक रही है, जिससे एक बार फिर फसल पर लागत बढ़ी है और आमदनी कम हुई है.