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हिसार के मंगाली गांव के हर घर में है रोजगार, मणकों की माला बनाकर महिलाएं घर बैठे कर रही अच्छी कमाई

हरियाणा के हिसार में स्थित मंगाली गांव (Mangali village of Hisar)आत्मनिर्भर भारत का एक साक्षात उदाहरण है. मंगाली गांव के हर घर में व्यक्ति रोजगार में लगा हुआ है. बच्चे, बूढ़े सहित घर की महिलाएं भी मणकों से माला बनाकर महीने की अच्छी आमद कर रही है. जो कि अन्य गांवों के लिए स्वरोजगार की दिशा में एक अच्छा उदाहरण बनकर उबर रहा है.

making garlands of beads Hisar
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Published : Feb 25, 2022, 9:12 PM IST

हिसार: हालिया समय में रोजगार को लेकर हर जगह मारामारी है. रोजगार पाने के लिए लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर भटक रहे है, लेकिन हरियाणा के हिसार में एक ऐसा भी गांव हैं, जहां हर घर में रोजगार है. हिसार में स्थित मंगाली गांव (Mangali village of Hisar) में लोगों को काम के लिए घर से बाहर नहीं जाना पड़ता है और ग्रामीणों को घर बैठे रोजगार मिल रहा है. दरअसल गांव के हर घर में लकड़ी के मणके बनाए जाते हैं. हर घर में महिलाएं इन मणकों से माला बनाती हैं और फिर इन मालाओं को दिल्ली, आगरा, वाराणसी, हरिद्वार जैसे धार्मिक स्थानों पर सप्लाई करते है.

इसी तरह से पूरे गांव के लोगों को रोजगार मिलता (employment in Mangali) है और इसके साथ-साथ महिलाएं भी घर के काम निपटा कर खाली समय में अच्छी खासी आमद कर लेती हैं. मणके बनाने के काम को करने के किसी ज्यादा बड़ी मशीनरी की जरूरत नहीं होती है. लकड़ी को चीरने के लिए एक छोटी आरा मशीन होती है और मोती काटने के लिए ड्रिल मशीन होती है. जिसमें एक ही मशीन पर 4 से 5 लोग बैठ कर काम कर सकते हैं. दिन भर मेहनत करके कोई भी व्यक्ति इस काम से लगभग 15 से 20 हजार रुपये हर महीने कमा सकता है.

हिसार के मंगाली गांव के हर घर में है रोजगार, मणकों की माला बनाकर महिलाएं घर बैठे कर रही अच्छी कमाई

90 के दशक से मोती बनाने का काम कर रहे संपत सिंह ने बताया कि पहले उनके पिताजी यह काम करते थे और उसके बाद अब उन्होंने अपने घर में यह मशीन लगाई है. जिसमें सब परिवार के लोग मिलकर मोती बनाने का काम कर रहे हैं. संपत ने बताया कि यह हमारे लिए एक अच्छा रोजगार है. हमें काम के लिए से कभी बाहर नहीं जाना पड़ता और गांव की गांव में ही ठीक ठाक रोजगार मिल जाता है. संपत ने बताया कि मैंने अपने पिता से यह काम सिखा था और अब मैं अपने बच्चों को भी यह काम सिखा रहा हूं. बच्चे पढ़ लिख रहे हैं और उसके बाद अगर कोई और अच्छी नौकरी नहीं मिली तो इस काम को अपनाकर बेरोजगारी से दूर रह सकते है.

making garlands of beads Hisar
माला तैयार करती गांव की महिला

ये भी पढ़ें- उत्तर भारत का सबसे बड़ा स्ट्रॉबेरी हब बना हरियाणा का ये गांव, हर साल होती है करोड़ों में कमाई

वहीं संपत सिंह के घर काम करने आए एक बच्चे कपिल ने बताया कि वो स्कूल से आने के बाद कुछ घंटे यहां मोती बनाने का काम करता है और इसके साथ पढ़ाई भी करता है. कपिल का कहना है कि अगर पढ़ाई लिखाई में अच्छी नौकरी मिल गई तो ठीक है, नहीं तो रोजगार के लिए यह काम तो आता ही है. जिससे वो रोजाना 150 से 200 रूपये कमा लेता है. वहीं ग्रामीण महिला सुलोचना ने बताया कि घर में उनका बेटा मोती-मणके बनाने का काम करता है और घर के काम के बाद खाली समय में वो और उनकी बहू इन मणियों की पॉलिश करके उनकी माला बनाते है.

making garlands of beads Hisar
माला तैयारी करती गांव की महिला

सुलोचना ने बताया कि इसके साथ-साथ आस पड़ोस की 10 से 12 महिलाओं को भी यह काम करने के लिए दे देते है. जिससे गांव की महिलाएं भी घर बैठे ही रोजाना 150 से 200 रुपये का काम कर लेती है. इससे उन्हें किसी पर निर्भर भी नहीं रहना पड़ता है और अपना खर्चा खुद कमा लेती (women employment in Hisar) है. वहीं ग्रामीण महिला सुनीता ने बताया कि वो मणियों से माला बनाने का काम करती है और इसके साथ इनकी रंगाई-रगड़ाई का काम भी करती है. सुनीता ने बताया कि घर के काम के साथ पशुपालन और यह काम बिलकुल आसानी से किया जा सकता है और इससे रोजाना 200 से 250 रुपये की कमाई भी हो जाती है.

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माला तैयार करते ग्रामीण

आत्मनिर्भर भारत बनाने का उदाहरण हिसार के मंगाली गांव पर बिलकुल सटीक बैठता है. यहां गांव की हर महिला को घर में ही रोजगार मिल रहा है और इसी के चलते गांव की हर महिला आत्मनिर्भर है. हालांकि इस गांव में बेरोजगारी दर को लेकर तो अभी तक कोई सर्वे नहीं हुआ है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि यहां रोजगार की कोई कमी नहीं है. आसपास के गांव के लोग भी यहां आकर काम करते हैं उन्हें सही रोजगार मिल रहा है.

ये भी पढ़ें- आधुनिक तरीकों से बदल गया किसानी का तरीका, अब पानी में भी की जा सकती है खेती

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हिसार: हालिया समय में रोजगार को लेकर हर जगह मारामारी है. रोजगार पाने के लिए लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर भटक रहे है, लेकिन हरियाणा के हिसार में एक ऐसा भी गांव हैं, जहां हर घर में रोजगार है. हिसार में स्थित मंगाली गांव (Mangali village of Hisar) में लोगों को काम के लिए घर से बाहर नहीं जाना पड़ता है और ग्रामीणों को घर बैठे रोजगार मिल रहा है. दरअसल गांव के हर घर में लकड़ी के मणके बनाए जाते हैं. हर घर में महिलाएं इन मणकों से माला बनाती हैं और फिर इन मालाओं को दिल्ली, आगरा, वाराणसी, हरिद्वार जैसे धार्मिक स्थानों पर सप्लाई करते है.

इसी तरह से पूरे गांव के लोगों को रोजगार मिलता (employment in Mangali) है और इसके साथ-साथ महिलाएं भी घर के काम निपटा कर खाली समय में अच्छी खासी आमद कर लेती हैं. मणके बनाने के काम को करने के किसी ज्यादा बड़ी मशीनरी की जरूरत नहीं होती है. लकड़ी को चीरने के लिए एक छोटी आरा मशीन होती है और मोती काटने के लिए ड्रिल मशीन होती है. जिसमें एक ही मशीन पर 4 से 5 लोग बैठ कर काम कर सकते हैं. दिन भर मेहनत करके कोई भी व्यक्ति इस काम से लगभग 15 से 20 हजार रुपये हर महीने कमा सकता है.

हिसार के मंगाली गांव के हर घर में है रोजगार, मणकों की माला बनाकर महिलाएं घर बैठे कर रही अच्छी कमाई

90 के दशक से मोती बनाने का काम कर रहे संपत सिंह ने बताया कि पहले उनके पिताजी यह काम करते थे और उसके बाद अब उन्होंने अपने घर में यह मशीन लगाई है. जिसमें सब परिवार के लोग मिलकर मोती बनाने का काम कर रहे हैं. संपत ने बताया कि यह हमारे लिए एक अच्छा रोजगार है. हमें काम के लिए से कभी बाहर नहीं जाना पड़ता और गांव की गांव में ही ठीक ठाक रोजगार मिल जाता है. संपत ने बताया कि मैंने अपने पिता से यह काम सिखा था और अब मैं अपने बच्चों को भी यह काम सिखा रहा हूं. बच्चे पढ़ लिख रहे हैं और उसके बाद अगर कोई और अच्छी नौकरी नहीं मिली तो इस काम को अपनाकर बेरोजगारी से दूर रह सकते है.

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माला तैयार करती गांव की महिला

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वहीं संपत सिंह के घर काम करने आए एक बच्चे कपिल ने बताया कि वो स्कूल से आने के बाद कुछ घंटे यहां मोती बनाने का काम करता है और इसके साथ पढ़ाई भी करता है. कपिल का कहना है कि अगर पढ़ाई लिखाई में अच्छी नौकरी मिल गई तो ठीक है, नहीं तो रोजगार के लिए यह काम तो आता ही है. जिससे वो रोजाना 150 से 200 रूपये कमा लेता है. वहीं ग्रामीण महिला सुलोचना ने बताया कि घर में उनका बेटा मोती-मणके बनाने का काम करता है और घर के काम के बाद खाली समय में वो और उनकी बहू इन मणियों की पॉलिश करके उनकी माला बनाते है.

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माला तैयारी करती गांव की महिला

सुलोचना ने बताया कि इसके साथ-साथ आस पड़ोस की 10 से 12 महिलाओं को भी यह काम करने के लिए दे देते है. जिससे गांव की महिलाएं भी घर बैठे ही रोजाना 150 से 200 रुपये का काम कर लेती है. इससे उन्हें किसी पर निर्भर भी नहीं रहना पड़ता है और अपना खर्चा खुद कमा लेती (women employment in Hisar) है. वहीं ग्रामीण महिला सुनीता ने बताया कि वो मणियों से माला बनाने का काम करती है और इसके साथ इनकी रंगाई-रगड़ाई का काम भी करती है. सुनीता ने बताया कि घर के काम के साथ पशुपालन और यह काम बिलकुल आसानी से किया जा सकता है और इससे रोजाना 200 से 250 रुपये की कमाई भी हो जाती है.

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माला तैयार करते ग्रामीण

आत्मनिर्भर भारत बनाने का उदाहरण हिसार के मंगाली गांव पर बिलकुल सटीक बैठता है. यहां गांव की हर महिला को घर में ही रोजगार मिल रहा है और इसी के चलते गांव की हर महिला आत्मनिर्भर है. हालांकि इस गांव में बेरोजगारी दर को लेकर तो अभी तक कोई सर्वे नहीं हुआ है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि यहां रोजगार की कोई कमी नहीं है. आसपास के गांव के लोग भी यहां आकर काम करते हैं उन्हें सही रोजगार मिल रहा है.

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