हिसार: खेदड़ गांव में बने राजीव गांधी थर्मल पावर प्लांट की राख को लेकर रार छिड़ी हुई (Rajiv Gandhi Thermal Power Plant) है. थर्मल प्लांट में कोयला जलने के बाद बनी राख के उठान को लेकर थर्मल प्रबंधन और ग्रामीणों में तनातनी चल रही है. थर्मल प्रबंधन राख बेचने के लिए टेंडर निकाला है लेकिन ग्रामीण टेंडर के विरोध कर रहे हैं और राख उन्हें वापस देने की मांग कर रहे हैं. इसके ग्रामीणों ने ऐश प्लांट के गेट को ताला लगाकर 1 महीने से भी ज्यादा समय से धरना दे रहे है.
गौर करने वाली बात यह है कि जब साल 2010 में खेदड़ थर्मल प्लांट शुरू हुआ था तब प्लांट से निकलने वाली कोयले की राख उनके लिए बड़ी समस्या थी. थर्मल प्लांट से बातचीत के बाद गांववालों ने उस राख को उठाना शुरू किया. धीरे-धीरे उस राख से होने वाले मुनाफे से एक गौशाला का निर्माण कर उसे चलाने लगे लेकिन आज वर्तमान समय में जब वह राख सीमेंट बनाने के काम आने लगी है तो उसके दाम बढ़ गए.
दाम बढ़े तो खेदड़ थर्मल प्लांट उससे मुनाफा कमाने के लिए कंपनियों को बेचने का निर्णय लिया है लेकिन ग्रामीण विरोध कर रहे हैं और कह रहे हैं कि जब फालतू थी तो हम उठा रहे थे और आज मुनाफा आया तो खुद बेचने लगे. राख बेचने के मुनाफे से बनाई गई उस गौशाला में करीब 1000 गाय हैं. गौशाला ने राख हटाने के लिए लाखों रुपए की मशीनें भी खरीदी हैं. अब थर्मल पावर प्लांट द्वारा उस राख उठाने का टेंडर किया जा रहा है.
गांव वालों का कहना है कि अगर ऐसा किया गया तो गांव की गौशाला बेसहारा हो जाएगी और एक हजार गाय भूखी मर जाएगी. इसको लेकर के प्रशासन के साथ टकराव की स्थिति बनी हुई है और थर्मल पावर प्लांट के गेट के सामने धरना जारी रहा. 2 दिन पहले भी धरना पर लोगों में रोष हो गया था और ग्रामीणों ने गेट के अंदर जाने की कोशिश की तो पुलिस ने वाटर कैनन और आंसू गैस के गोले दागकर प्रदर्शनकारियों को खदेड़ा था. इसी मामले में थर्मल प्रशासन की तरफ से शिकायत पर पुलिस ने करीब डेढ़ सौ प्रदर्शनकारियों पर मुकदमा भी दर्ज किया है. थर्मल के अधिकारियों ने प्लांट में तोड़फोड़ होने का भी अंदेशा जताया है.
इसी मसले को लेकर खेदड़ राजीव गांधी थर्मल पावर प्लांट के इंजीनियर प्रवीण कुमार ने थाना बरवाला में दी शिकायत में कहा कि प्लांट मे बड़ी मात्रा में बिजली के उत्पादन के लिए कोयले के जलने से राख उत्पन्न होती है. इसमें 80 प्रतिशत राख सूखी फ्लाई ऐश होती है. बाकी 20 प्रतिशत राख नीचे की है. सूखी फ्लाई ऐश सीमेंट की ईंटें बनाने वालों को बेची जा रही है. आरंभ में खेदड़ के ग्रामीणों को इस राख की सप्लाई मुफ्त में दी जा रही थी लेकिन 22 फरवरी को पावर मंत्रालय ने फ्लाई ऐश की बिक्री के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं. अब इसे बोली लगाकर बेचा जाना है.
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