हिसारः हरियाणा की धरती पर जन्मे खयाल गायन के मशहूर कलाकार पंडित जसराज के निधन पर संगीत और कला जगत में शोक की लहर है. उनके निधन पर राजनीति से लेकर कला जगत तक जुड़े तमाम लोगों ने शोक व्यक्त किया है.
वहीं पंडित जसराज पर रिसर्च करने वाली एसोसिएट प्रोफेसर मुदिता वर्मा को भी उनकी मृत्यु की खबर से गहरा दुख पहुंचा है. उन्होंने कहा कि विश्वास ही नहीं हो रहा कि पंडित जसराज अब हमारे बीच नहीं रहे.
हिसार के गवर्नमेंट कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर रहीं मुदिता वर्मा ने बताया कि उन्होंने साल 2004 में पंडित जसराज के ऊपर ही अपना रिसर्च वर्क किया था. वो उनसे कई बार मिली थी. संगीत और उनके व्यक्तित्व को करीब से जाना. कई विषयों पर बातचीत हुई. मुदिता वर्मा का कहना है कि पंडित जसराज का व्यक्तित्व जितना महान था, उतने ही वो स्वभाव से सरल थे.
यहां हुई थी मुलाकात
मुदीता वर्मा ने बताया कि पंडित जसराज के निधन की खबर से मन को गहरा आघात पहुंचा है. उन्होंने बताया कि मेरी पंडित जी से पहली मुलाकात करनाल में आयोजित हुए स्पीक मैके के कार्यक्रम में हुई थी. वहीं मैंने पंडित जसराज का इंटरव्यू लिया था. उस इंटरव्यू के बाद समझ में आया कि पंडितजी शास्त्रीय गायकी के क्षेत्र में समुंद्र की भांति थे और उस समुंद्र में गोते लगाकर कुछ ज्ञान मैं भी अर्जित करना चाहती थी.
रिसर्च के लिए चुना पंडित जसराज को
यही वजह थी कि मैंने रिसर्च सब्जेक्ट के लिए पंडित जसराज को चुना. इसके बाद अपना रिसर्च वर्क पूरा करने के बाद जब पंडित जसराज पीली मंदौरी में 2005 में एक पार्क के शिलान्यास के लिए पहुंचे तो उनसे मिली और अपने रिसर्च वर्क की एक कॉपी पंडित को भेंट की थी. उस कॉपी को हाथ में लेकर पंडित जसराज ने बड़े प्यार से मेरे के सिर पर हाथ फेरा था. इसके बाद कई दफा मेरी पंडितजी से फोन पर बात होती थी.
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कौन थे पंडित जसराज?
बता दें कि पंडित जसराज का सोमवार को 90 वर्ष की उम्र में अमेरिका में निधन हो गया था. वो तीनों पद्म पुरस्कारों-पद्मश्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित शास्त्रीय गायक थे. आठ दशकों तक भारतीय शास्त्रीय संगीत जगत में छाए रहे पंडित जसराज मेवाती घराना से ताल्लुक रखते थे. उन्होंने महज 14 साल की उम्र में शास्त्रीय संगीत का प्रशिक्षण लिया था. ठुमरी और खयाल गायन को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा.