हिसार: किसानों की कृषि लागत कम करने के लिए और किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सरकार कृषि में आधुनिक तकनीकों का बढ़ावा दे रही है. किसानों को आधुनिक खेती की तरफ बढ़वा देने के लिए हिसार में आयोजित राष्ट्रीय स्तरीय कृषि एक्सपो (Agriculture Expo in Hisar) में ड्रोन का जलवा देखने को मिल रहा है. कृषि एक्सपो में देश की बड़ी बड़ी कंपनियों ने अपने ड्रोन लॉन्च किए. वहीं किसानों भी ड्रोन से खेती की तमाम जानकारी लेते हुए ड्रोन स्टॉल पर दिखाई दे रहे है.
किटनाशक और खाद के छिड़काव के साथ-साथ फसलों की बुआई के लिए एग्री ड्रोन का इस्तेमाल किया जाता है। ड्रोन टेक्नोलॉजी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के शामिल होने से फसल की मॉनिटरिंग और न्यूट्रियंट मैनेजमेंट भी किया जाता है. फसल कितनी होगी इसका भी सटीक अंदाजा लगाया जा सकता है. ड्रोन में खाद और पानी मिलकर सिर्फ 5 से 10 मिनट में एक एकड़ फसल पर स्प्रे कर सकता है.
वहीं ड्रोन की तुलना में ट्रैक्टर या हाथ से स्प्रे करने पर एक एकड़ में करीब 65 लीटर औसत पानी व दवाई मिश्रण की खपत होती है. ड्रोन यदि ऑटोमेटिक मोड पर सेट करें , तो जितना रकबा उसमें जीपीएस के जरिये फीड किया जाएगा, उतने रकबे में स्प्रे करके वापस लौट आएगा इससे किसान का समय, जल एवं धन की भी बचत होती है. वहीं इस ड्रोन की कीमत लगभग 4.5 लाख से 5 लाख रुपये तक है. केंद्र सरकार इस आधुनिक तकनीक को प्रमोट करने के लिए सब्सिडी दे रही है.
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जिसके बाद ड्रोन किसान को करीब ढाई लाख रुपए मैं मिल जाता है. अगर कोई फार्मर प्रोड्यूस ऑर्गेनाइजेशन यानी किसान समूह इसे खरीदना है तो उसे 75 परसेंट तक का अनुदान केंद्र सरकार की तरफ से दिया जाता है, इसके अलावा कोई कस्टम हायरिंग सेंटर या फिर किसान निजी तौर पर इसे खरीदना है तो उसे सरकार की तरफ से 40% तक का अनुदान दिया जा रहा है.
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ड्रोन कंपनी के इंजीनियर ने बताया कि किसानों का इस नई तकनीक की ओर रुझान बढ़ रहा है और जब से बजट में ड्रोन पर सब्सिडी देने की घोषणा देने की बात से इसकी मांग लगातार बाद रही है. यह टेक्नोलॉजी किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगी और इसमें किसानों का समय भी बचेगा और पेस्टिसाइड पर होने वाला खर्च भी कम होगा. इसके साथ ही किसानों को मैनुअल सप्रे के दौरान होने वाले स्वस्थ नुकसान जैसे एलर्जी सांस लेने में दिक्कत भी नहीं होंगे, यह तकनीक परंपरागत ट्रैक्टर स्प्रे व मैनुअल सपरे से 25% अधिक प्रभावी है.
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