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हिसार की 60 बेटियों को दिया जाएगा हरियाणवी परिधान बनाने का प्रशिक्षण - हरियाणवी परिधान ट्रेनिंग हिसार

हिसार की 60 बेटियों की ओर से तैयार हरियाणवी परिधानों को सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के विद्यार्थियों को देने की योजना है. इन परिधानों की डिमांड सबसे ज्यादा गुरुग्राम और फरीदाबाद में देखने को मिल रही है.

60 girls of hisar will get training of making haryanvi apparel
हिसार की 60 बेटियों को दिया जाएगा हरियाणवी परिधान बनाने का प्रशिक्षण
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Published : Oct 22, 2020, 1:27 PM IST

हिसार: राह ग्रुप फाउंडेशन के महिला सशक्तिकरण अभियान के तहत तलवंडी राणा गांव की 60 बेटियों को आत्मनिर्भर बनाया जाएगा, जिसके तहत इन बेटियों को उनके घर पर ही हुनरमंद बनाने के लिए न सिर्फ व्यापक स्तर पर उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है, बल्कि गांव की बेटियों को भविष्य में उनके घर पर ही रोजगार के अवसर पर उपलब्ध करवाने का खाका तैयार किया गया है. इन बेटियों की ओर से तैयार हरियाणवी परिधानों को सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के विद्यार्थियों को देने की योजना है.

'कपड़ा नया, लुक पुराना'

तलवंडी राणा गांव में हरियाणवीं ड्रेस तैयार करना सीखा रही राज बाला ग्रोवर के अनुसार यहां लड़कियों को पुराने लुक में हलके दामन तैयार करना सिखाया जा रहा है, जिससे इनका रख-रखाव आसानी से हो सके. साथ ही इसे स्त्री भी किया जा सके, जबकि पुराने परिधानों में ये सुविधा नहीं होती थी. वैसे कपड़ा भले ही आधुनिक हो, लेकिन लुक के मामले में पुराना दामन अधिकांश लोगों की पहली पसंद है. पहले जहां पहले 56 कली के दामन होते थे, अब यही दामन 56, 52, 46, 42 और 36 कली के बन रहे हैं.

ये भी पढ़िए: रोहतक: नाले से मिला दिल्ली निवासी राजेश का शव, पहले मिल चुकी है पत्नी की लाश

गुरुग्राम में भारी डिमांड

राह क्लब हिसार की महिला उपाध्यक्ष सुनीता वर्मा के मुताबिक हरियाणवी परिधानों के प्रति बढ़ते रुझान के चलते गुरुग्राम और फरीदाबाद में इनकी बहुत डिमांड है. आधुनिक शहरों में परंपरागत हरियाणवी परिधानों के दर्जियों की संख्या कम होने के कारण वहां इन परिधानों के दाम आसमान छू रहें हैं. ऐसे में यहां की बेटियों को बाहर दामन और दूसरे हरियाणवी परिधान बेचने में राह संस्था की ओर से मदद की जाएगी.

हिसार: राह ग्रुप फाउंडेशन के महिला सशक्तिकरण अभियान के तहत तलवंडी राणा गांव की 60 बेटियों को आत्मनिर्भर बनाया जाएगा, जिसके तहत इन बेटियों को उनके घर पर ही हुनरमंद बनाने के लिए न सिर्फ व्यापक स्तर पर उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है, बल्कि गांव की बेटियों को भविष्य में उनके घर पर ही रोजगार के अवसर पर उपलब्ध करवाने का खाका तैयार किया गया है. इन बेटियों की ओर से तैयार हरियाणवी परिधानों को सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के विद्यार्थियों को देने की योजना है.

'कपड़ा नया, लुक पुराना'

तलवंडी राणा गांव में हरियाणवीं ड्रेस तैयार करना सीखा रही राज बाला ग्रोवर के अनुसार यहां लड़कियों को पुराने लुक में हलके दामन तैयार करना सिखाया जा रहा है, जिससे इनका रख-रखाव आसानी से हो सके. साथ ही इसे स्त्री भी किया जा सके, जबकि पुराने परिधानों में ये सुविधा नहीं होती थी. वैसे कपड़ा भले ही आधुनिक हो, लेकिन लुक के मामले में पुराना दामन अधिकांश लोगों की पहली पसंद है. पहले जहां पहले 56 कली के दामन होते थे, अब यही दामन 56, 52, 46, 42 और 36 कली के बन रहे हैं.

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गुरुग्राम में भारी डिमांड

राह क्लब हिसार की महिला उपाध्यक्ष सुनीता वर्मा के मुताबिक हरियाणवी परिधानों के प्रति बढ़ते रुझान के चलते गुरुग्राम और फरीदाबाद में इनकी बहुत डिमांड है. आधुनिक शहरों में परंपरागत हरियाणवी परिधानों के दर्जियों की संख्या कम होने के कारण वहां इन परिधानों के दाम आसमान छू रहें हैं. ऐसे में यहां की बेटियों को बाहर दामन और दूसरे हरियाणवी परिधान बेचने में राह संस्था की ओर से मदद की जाएगी.

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