गुरुग्राम: हर साल मॉनसून के दौरान गुरुग्राम वासियों को जलभराव की समस्या(water logging problem) का सामना करना पड़ता है. मॉनसून के दौरान होने वाली बारिश में गुरुग्राम की सड़कें नदियों में तब्दील हो जाती हैं. हर साल की तरह इस बार भी बारिश से होने वाले जलभराव को लेकर प्रशासन की तैयारियां नाकाम होती दिखाई दे रही हैं. गुरुग्राम में प्री मानसून बारिश ने ही प्रशासन के दावों की पोल खोल कर रख दी है.
साइबर सिटी में मॉनसून के दौरान जल भराव होने से औद्योगिक क्षेत्र पर भी इसका प्रभाव पड़ता है. जल भराव से सड़कों पर जाम की स्थिति पैदा हो जाती है. बारिश से सड़कों पर घंटों तक लगने वाले जाम से ऑफिस जाने वाले कर्मचारी भी लेट पहुंचते हैं. जिससे औद्योगिक उत्पादन भी प्रभावित होता है.
बारिश से होने वाले जलभराव के बारे में जब नगर निगम के कमिश्नर से पूछा गया तो उन्होंने वही घिसापिटा सा जवाब दिया कि हम जलभराव से निपटने के लिए तमाम इंतजाम कर रहे हैं. इस बार शहर में जल भराव नहीं होगा.
गुरुग्राम में बारिश से होने वाले जलभराव को लेकर जब गुरुग्राम वासियों से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि प्रशासन हर साल इसी तरह के दावे करता है. लेकिन बारिश से होने वाला जलभराव प्रशासन के दावों की जमीनी हकीकत खुद ही बयां कर देता है.
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गुरुग्राम जैसे औद्योगिक क्षेत्र में अगर बारिश से होने वाले जलभराव से निपटना है तो उसके लिए सड़कों को इस तरह से बनाया जाए कि बारिश का पानी सीधे नदी या नहरों में चला जाए. सबसे बेहतर तो ये होगा कि ऐसी जल प्रबंधन प्रणाली विकसित की जाए जिससे बारिश के जल को इकट्ठा कर फिर से प्रयोग में लाया जा सके. इससे भविष्य में आगामी पीड़ी को पेयजल संकट का सामना भी नहीं करना पड़ेगा.
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