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गुरुग्राम: आरटीआई में हुआ करोड़ों के भ्रष्टाचार का भंडाफोड़, बिना सड़क बनाए पूरा बजट खा गए अधिकारी

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Published : Oct 12, 2020, 10:17 PM IST

आरटीआई एक्टिविस्ट ने आरोप लगाया है कि बिना रास्ता बनाए ही कागजों पर रास्ता बना कर काम को पूरा दिखा दिया. नातोल पुस्तिका में भी किए हुए काम की नपाई तुलाई कर दी.

rti exposes crores of corruption and officials defalcation budget without building roads
गुरुग्राम: आरटीआई में हुआ करोड़ों के भ्रष्टाचार का भंडाफोड

गुरुग्राम: साइबर सिटी गुरुग्राम जिले की हेलीमंडी नगरपालिका में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है. हेलीमंडी नगरपालिका को दो रास्ते बनाने थे, लेकिन जमीनी स्तर पर रास्ते तो बने नहीं और कागजों में रास्ते बनाकर नगरपालिका से फंड ले लिया गया. जिस मामले में आरटीआई एक्टिविस्ट रमेश यादव की तरफ से यह मामला उठाया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. अब गुरुग्राम कोर्ट के माध्यम से नगरपालिका के इंजीनियर हेंमत कुमार, नगरपालिका सेकेट्री सुशील कुमार, नगरपालिका चेयरमैन सुरेश कुमार, सब इंस्पेक्टर रविन्द्र कुमार और दो ठेकेदारों पर एफआईआर दर्ज की गई है.

'बिना काम किये पूरे पैसे डकार गए भ्रष्ट अधिकारी'

आमतौर पर देखा जाता है कि सरकारी अधिकारी और कर्मचारी जब कोई काम करते हैं तो उस काम के लिये निर्धारित राशि में से कुछ पैसे ठेकेदारों से मिलीभगत करके भ्रष्ट कमाई के तौर पर ले लेते हैं. लेकिन यहां नगरपालिका हेलीमंडी में एक ऐसा कारनामा कर दिया जिसमें काम हुआ ही नहीं और पेमेंट पूरी ले ली गई.

आरटीआई कार्यकर्ता रमेश यादव ने दी मामले की जानकारी, देखिए वीडियो

कागजों में बन गई सड़क

नगरपालिका हेलीमंडी की तरफ से वार्ड नंबर 2 में चरण पाल के मकान से एमएलए स्कूल के ग्राउंड तक रास्ता बनाने का काम निर्धारित हुआ था और दूसरा काम माता मंदिर से लक्ष्मी नारायण के घर तक का रास्ता बनाना था, लेकिन हेलीमंडी नगरपालिका इंजीनियर हेमंत कुमार, चेयरमैन सुरेश कुमार और सेकेट्री सुशील कुमार ने ठेकेदारों के साथ मिलीभगत कर जमीन पर बिना रास्ता बनाए ही कागजों पर रास्ता बना कर काम को पूरा दिखा दिया. नातोल पुस्तिका में भी किए हुए काम की नपाई तुलाई कर दी व ठेकेदार को कागजी रास्ता बनने के एवज में 9 लाख 90 हजार का भुगतान जय दुर्गे ट्रेडर्स और राजन कंस्ट्रक्शन कंपनी को कर दिया.

चार्जशीट में विभागीय कार्रवाई की सिफारिश

भ्रष्टाचार के इस पूरे मामले की शिकायत रमेश यादव द्वारा एसडीएम उपमंडल अधिकारी पटौदी को दी गई. जिन्होंने जांच दौरान मौके पर पाया कि काम तो हुआ ही नहीं है और अपनी रिपोर्ट अतिरिक्त उपायुक्त महोदय गुरुग्राम को 10 दिसंबर 2019 को भेज दी. अतिरिक्त उपायुक्त गुरुग्राम ने मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट 27 दिसंबर 2019 को उपायुक्त गुरुग्राम को भेज दी. जिसमें अतिरिक्त उपायुक्त ने केवल नगरपालिका इंजीनियर हेमंत कुमार को दोषी माना और नियम 8 के तहत चार्जशीट कर विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की.

पुलिस पर भी गंभीर आरोप

मामला भ्रष्टाचार का होने के कारण और सभी दोषियों पर उचित कार्रवाई ना होने पर अधिकार मंच के आरटीआई कार्यकर्ता रमेश यादव ने आरटीआई के माध्यम से दस्तावेज प्राप्त कर चौकी इंचार्ज हेलीमंडी को एक शिकायत 9 मार्च 2020 को दी. रमेश यादव का आरोप है कि वहां पर भी दोषियों ने अपनी भ्रष्ट कमाई का इस्तेमाल कर पुलिस के साथ सांठगांठ कर शिकायत को दबा दिया.

कई मामलों में चौकी इंचार्च पर भी गंभीर आरोप

वहीं आरटीआई कार्यकर्ता रमेश यादव ने भ्रष्टाचार के मामले में कार्रवाई ना होने के बाबजूद इस मामले को न्यायालय में याचिका दाखिल की जिस पर सुनवाई करते हुए एडिशनल सेशन जज अश्विनी कुमार ने आज दिनांक 12 अक्टूबर 2020 को हेलीमंडी पुलिस चौकी इंचार्ज सब इंस्पेक्टर रविंद्र कुमार सहित पालिका इंजीनियर हेमंत कुमार, सचिव सुशील कुमार, नगर पालिका प्रधान सुरेश कुमार, ठेकेदार जय दुर्गे ट्रेंड्स और राजन कंस्ट्रक्शन कम्पनी व अन्य सभी दोषियों के विरुद्ध धारा 166A, 406, 409, 420, 467, 468, 120बी और भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 9 और 13 के अंतर्गत एफआईआर दर्ज करने के आदेश पारित किए. वहीं चौकी इंचार्ज रविंद्र कुमार पर दोषियों के साथ मिलीभगत कर दोषियों पर अपराधिक मामला दर्ज नहीं करने की एवज में दोषी माना गया है.

'गृहमंत्री के राज में अधिकारी मलाई खा रहे हैं'

वही इस पूरे मामले में आरटीआई एक्टिविस्ट रमेश यादव ने कहा की यह कोई पहला नया मामला नहीं है. इससे पहले भी काम न होने के बाबजूद ठेकेदारों को पेमेंट कर दी जाती है और अधिकारी मलाई खा लेते है, लेकिन इस बार चौकी इंचार्ज रविन्द्र कुमार भी इस मामले में दोषी पाए गए है.

उन्होंने इस मामले पर एफआईआर दर्ज करने की बजाए दोषियो का साथ दिया. जिसके चलते न्यायालय ने इस मामले में चौकी इंचार्ज को भी दोषी ठहराया और न्यायालय ने एफआईआर दर्ज करने के आदेश दे दिए. ऐसे में रमेश यादव ने यह भी कहा कि हरियाणा के मंत्री अनिल विज के विभाग में कैसे अधिकारी मलाई खा रहे है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है और कार्रवाई करने की बजाए मामले को दबाया जाता है उसके बाद न्यायालय के आदेश पर एफआईआर दर्ज की जाती है.

ये भी पढ़ें:-मिलिए पीएम मोदी से संवाद करने वाले मुमताज अली से

गुरुग्राम: साइबर सिटी गुरुग्राम जिले की हेलीमंडी नगरपालिका में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है. हेलीमंडी नगरपालिका को दो रास्ते बनाने थे, लेकिन जमीनी स्तर पर रास्ते तो बने नहीं और कागजों में रास्ते बनाकर नगरपालिका से फंड ले लिया गया. जिस मामले में आरटीआई एक्टिविस्ट रमेश यादव की तरफ से यह मामला उठाया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. अब गुरुग्राम कोर्ट के माध्यम से नगरपालिका के इंजीनियर हेंमत कुमार, नगरपालिका सेकेट्री सुशील कुमार, नगरपालिका चेयरमैन सुरेश कुमार, सब इंस्पेक्टर रविन्द्र कुमार और दो ठेकेदारों पर एफआईआर दर्ज की गई है.

'बिना काम किये पूरे पैसे डकार गए भ्रष्ट अधिकारी'

आमतौर पर देखा जाता है कि सरकारी अधिकारी और कर्मचारी जब कोई काम करते हैं तो उस काम के लिये निर्धारित राशि में से कुछ पैसे ठेकेदारों से मिलीभगत करके भ्रष्ट कमाई के तौर पर ले लेते हैं. लेकिन यहां नगरपालिका हेलीमंडी में एक ऐसा कारनामा कर दिया जिसमें काम हुआ ही नहीं और पेमेंट पूरी ले ली गई.

आरटीआई कार्यकर्ता रमेश यादव ने दी मामले की जानकारी, देखिए वीडियो

कागजों में बन गई सड़क

नगरपालिका हेलीमंडी की तरफ से वार्ड नंबर 2 में चरण पाल के मकान से एमएलए स्कूल के ग्राउंड तक रास्ता बनाने का काम निर्धारित हुआ था और दूसरा काम माता मंदिर से लक्ष्मी नारायण के घर तक का रास्ता बनाना था, लेकिन हेलीमंडी नगरपालिका इंजीनियर हेमंत कुमार, चेयरमैन सुरेश कुमार और सेकेट्री सुशील कुमार ने ठेकेदारों के साथ मिलीभगत कर जमीन पर बिना रास्ता बनाए ही कागजों पर रास्ता बना कर काम को पूरा दिखा दिया. नातोल पुस्तिका में भी किए हुए काम की नपाई तुलाई कर दी व ठेकेदार को कागजी रास्ता बनने के एवज में 9 लाख 90 हजार का भुगतान जय दुर्गे ट्रेडर्स और राजन कंस्ट्रक्शन कंपनी को कर दिया.

चार्जशीट में विभागीय कार्रवाई की सिफारिश

भ्रष्टाचार के इस पूरे मामले की शिकायत रमेश यादव द्वारा एसडीएम उपमंडल अधिकारी पटौदी को दी गई. जिन्होंने जांच दौरान मौके पर पाया कि काम तो हुआ ही नहीं है और अपनी रिपोर्ट अतिरिक्त उपायुक्त महोदय गुरुग्राम को 10 दिसंबर 2019 को भेज दी. अतिरिक्त उपायुक्त गुरुग्राम ने मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट 27 दिसंबर 2019 को उपायुक्त गुरुग्राम को भेज दी. जिसमें अतिरिक्त उपायुक्त ने केवल नगरपालिका इंजीनियर हेमंत कुमार को दोषी माना और नियम 8 के तहत चार्जशीट कर विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की.

पुलिस पर भी गंभीर आरोप

मामला भ्रष्टाचार का होने के कारण और सभी दोषियों पर उचित कार्रवाई ना होने पर अधिकार मंच के आरटीआई कार्यकर्ता रमेश यादव ने आरटीआई के माध्यम से दस्तावेज प्राप्त कर चौकी इंचार्ज हेलीमंडी को एक शिकायत 9 मार्च 2020 को दी. रमेश यादव का आरोप है कि वहां पर भी दोषियों ने अपनी भ्रष्ट कमाई का इस्तेमाल कर पुलिस के साथ सांठगांठ कर शिकायत को दबा दिया.

कई मामलों में चौकी इंचार्च पर भी गंभीर आरोप

वहीं आरटीआई कार्यकर्ता रमेश यादव ने भ्रष्टाचार के मामले में कार्रवाई ना होने के बाबजूद इस मामले को न्यायालय में याचिका दाखिल की जिस पर सुनवाई करते हुए एडिशनल सेशन जज अश्विनी कुमार ने आज दिनांक 12 अक्टूबर 2020 को हेलीमंडी पुलिस चौकी इंचार्ज सब इंस्पेक्टर रविंद्र कुमार सहित पालिका इंजीनियर हेमंत कुमार, सचिव सुशील कुमार, नगर पालिका प्रधान सुरेश कुमार, ठेकेदार जय दुर्गे ट्रेंड्स और राजन कंस्ट्रक्शन कम्पनी व अन्य सभी दोषियों के विरुद्ध धारा 166A, 406, 409, 420, 467, 468, 120बी और भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 9 और 13 के अंतर्गत एफआईआर दर्ज करने के आदेश पारित किए. वहीं चौकी इंचार्ज रविंद्र कुमार पर दोषियों के साथ मिलीभगत कर दोषियों पर अपराधिक मामला दर्ज नहीं करने की एवज में दोषी माना गया है.

'गृहमंत्री के राज में अधिकारी मलाई खा रहे हैं'

वही इस पूरे मामले में आरटीआई एक्टिविस्ट रमेश यादव ने कहा की यह कोई पहला नया मामला नहीं है. इससे पहले भी काम न होने के बाबजूद ठेकेदारों को पेमेंट कर दी जाती है और अधिकारी मलाई खा लेते है, लेकिन इस बार चौकी इंचार्ज रविन्द्र कुमार भी इस मामले में दोषी पाए गए है.

उन्होंने इस मामले पर एफआईआर दर्ज करने की बजाए दोषियो का साथ दिया. जिसके चलते न्यायालय ने इस मामले में चौकी इंचार्ज को भी दोषी ठहराया और न्यायालय ने एफआईआर दर्ज करने के आदेश दे दिए. ऐसे में रमेश यादव ने यह भी कहा कि हरियाणा के मंत्री अनिल विज के विभाग में कैसे अधिकारी मलाई खा रहे है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है और कार्रवाई करने की बजाए मामले को दबाया जाता है उसके बाद न्यायालय के आदेश पर एफआईआर दर्ज की जाती है.

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