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मजदूर की मजबूरी! रात 1 बजे राजीव चौक पर सोते नजर आए प्रवासी

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Published : May 14, 2020, 10:34 AM IST

सरकार की ओर से ट्रेन के जरिए प्रवासी मजदूरों को उनके गृह जिले छोड़ा जा रहा है, लेकिन अब भी ऐसे कई मजदूर हैं जो इस महामारी के दौर में भी सड़क पर सोने को मजबूर हैं.

migrant laborers sleeping at rajiv chowk
रात 1 बजे राजीव चौक पर सोते नजर आए प्रवासी

गुरुग्राम: साइबर सिटी गुरुग्राम से प्रवासी मजदूरों का पलायन जारी है. रात के 1 बजे गुरुग्राम के मुख्य चौराहे राजीव चौक पर प्रवासी मजदूरों का जमावड़ा देखने को मिला. आधी रात को प्रवासी मजदूर राजीव चौक पर ही सोते दिखाई दिए. इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे.

दरअसल,13 मई को गुरुग्राम से स्पेशल श्रमिक एक्सप्रेस की दो ट्रेन रवाना की गई थी. एक मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ के लिए तो दूसरी बिहार के मधुबनी के लिए. मानेसर के साथ लगते कई गांव में रह रहे प्रवासी मजदूरों को भी जिला प्रशासन की ओर से कहा गया था कि जो अपने घर जाना चाहते हैं वो ट्रेन से जा सकते हैं. इसके लिए प्रवासी मजदूरों की ओर से रजिस्ट्रेशन भी कराए गए थे.

मजदूर की मजबूरी!

रजिस्ट्रेशन के बाद इन सभी के फोन पर ओटीपी भी आया, जिसके बाद सभी घर जाने की चाह लिए गुरुग्राम के ताऊ देवी लाल स्टेडियम पहुंचे, लेकिन वहां उन्हें जाने की कोई व्यवस्था नहीं मिली. जिसके बाद सभी लोग कंधों पर बैग लिए 20 से 30 किलोमीटर चलने के बाद स्टेशन पहुंचे, लेकिन तबतक स्टेशन से ट्रेन निकल चुकी थी.

ये भी पढ़िए: आर्थिक पैकेज होगा हरियाणा के 1,00,000 MSMEs के लिए संजीवनी!

ऐसे में जिला प्रशासन की ओर से ना तो इनकी रहने की व्यवस्था की गई और ना ही सोने की. मजदूरों ने बताया कि स्टेडियम पर पुलिस ने उन्हें खदेड़ा भी. जिसके बाद वो अब राजीव चौक पहुंचे हैं. प्रवासी मजदूरों ने बताया कि उनके पास जाने के लिए कोई जगह नहीं है, क्योंकि मकान मालिक उन्हें बिना किराये के घर में घुसने नहीं दे रहा है. ऐसे में ना चाहते हुए सड़क पर सोने को मजबूर हैं.

गुरुग्राम: साइबर सिटी गुरुग्राम से प्रवासी मजदूरों का पलायन जारी है. रात के 1 बजे गुरुग्राम के मुख्य चौराहे राजीव चौक पर प्रवासी मजदूरों का जमावड़ा देखने को मिला. आधी रात को प्रवासी मजदूर राजीव चौक पर ही सोते दिखाई दिए. इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे.

दरअसल,13 मई को गुरुग्राम से स्पेशल श्रमिक एक्सप्रेस की दो ट्रेन रवाना की गई थी. एक मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ के लिए तो दूसरी बिहार के मधुबनी के लिए. मानेसर के साथ लगते कई गांव में रह रहे प्रवासी मजदूरों को भी जिला प्रशासन की ओर से कहा गया था कि जो अपने घर जाना चाहते हैं वो ट्रेन से जा सकते हैं. इसके लिए प्रवासी मजदूरों की ओर से रजिस्ट्रेशन भी कराए गए थे.

मजदूर की मजबूरी!

रजिस्ट्रेशन के बाद इन सभी के फोन पर ओटीपी भी आया, जिसके बाद सभी घर जाने की चाह लिए गुरुग्राम के ताऊ देवी लाल स्टेडियम पहुंचे, लेकिन वहां उन्हें जाने की कोई व्यवस्था नहीं मिली. जिसके बाद सभी लोग कंधों पर बैग लिए 20 से 30 किलोमीटर चलने के बाद स्टेशन पहुंचे, लेकिन तबतक स्टेशन से ट्रेन निकल चुकी थी.

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ऐसे में जिला प्रशासन की ओर से ना तो इनकी रहने की व्यवस्था की गई और ना ही सोने की. मजदूरों ने बताया कि स्टेडियम पर पुलिस ने उन्हें खदेड़ा भी. जिसके बाद वो अब राजीव चौक पहुंचे हैं. प्रवासी मजदूरों ने बताया कि उनके पास जाने के लिए कोई जगह नहीं है, क्योंकि मकान मालिक उन्हें बिना किराये के घर में घुसने नहीं दे रहा है. ऐसे में ना चाहते हुए सड़क पर सोने को मजबूर हैं.

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