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छोटे व्यापारियों के सामने आर्थिक संकट, अनलॉक के बाद भी नहीं सुधरे हालात

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Published : Jun 13, 2021, 11:58 AM IST

कोरोना को एक साल से ज्यादा का समय हो चुका है और हालात अभी भी जस के तस ही हैं. कोरोना के कारण पिछले साल की तरह इस बार भी लॉकडाउन लगाया गया और इसका असर छोटे व्यापारियों पर ज्यादा पड़ा. रेहड़ी और पटरी वाले आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. दो वक्त की दो रोटी का जुगाड़ करना भी इनके लिए मुश्किल हो रहा है.

gurugram small vendors facing financial crisis because of lockdown
gurugram small vendors facing financial crisis because of lockdown

गुरुग्राम: कोरोना काल में लगे लॉकडाउन के कारण तमाम व्यापार चौपट हो गए हैं. इसका बेहद गहरा असर छोटे व्यापारियों और फल-सब्जी विक्रेताओं पर पड़ा है. लॉकडाउन के कारण छोटे व्यापारियों की आर्थिक हालत कमजोर हो गई है. लोग घरों से कम बाहर निकल रहे हैं और सरकारी पाबंदियों के कारण व्यापार मंदा पड़ा हुआ है.

सब्जी विक्रेता प्रेम सिंह कहते हैं कि लॉकडाउन में उन्हें काफी नुकसान हुआ है. लॉकडाउन में घर बैठे रहे और आमदनी बिल्कुल खत्म हो गई थी. अब थोड़ा बहुत काम शुरू हुआ है और सब्जी बेचना शुरू किया है, लेकिन बाजार मंदा है. मार्केट में ग्राहकों की काफी कमी है.

छोटे व्यापारियों के सामने आर्थिक संकट, अनलॉक के बाद भी नहीं सुधरे हालात

छोटे व्यापारियों पर पड़ी लॉकडाउन की मार

बता दें कि कई राज्यों में लॉकडाउन के कारण सब्जियों के दामों में भी उछाल देखने को मिला है. दाम बढ़ने से डिमांड अब पहले जितनी नहीं रही है. मंडियों और बाजारों में ग्राहक कम आ रहे हैं और इसका सीधा असर छोटे व्यापारियों की जीविका पर पड़ रहा है. दिन में जो व्यापारी पहले 5 से 7 हजार रुपये का काम करता था, वो अब अपना खर्चा तक नहीं निकाल पा रहा है.

ये भी पढे़ं- लॉकडाउन में बदहाल हुए कुली! दो वक्त की रोटी का भी नहीं हो रहा जुगाड़

बाजारों में नहीं पहुंच रहे ग्राहक

कोरोना वायरस के कारण लोग अब पहले की तरह घरों से बाहर निकलने में हिचकिचाते हैं. घर का ज्यादातर सामान लोग ऑनलाइन ऑर्डर करके ही मंगा रहे हैं. ग्राहकों के मन में यही रहता है कि घर से बाहर जाना सुरक्षित नहीं है और घर का सामान ऑनलाइन ही मंगाया जाए. यही कारण है कि रेहड़ी और ठेले वालों तक ग्राहकों की पहुंच कम होती जा रही है.

लॉकडाउन की मार से कब उभरेगा व्यापार?

अब अधिकतर राज्यों में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो गई है. लेकिन व्यापार पर इसका कुछ खास असर देखने को नहीं मिल रहा है. छोटे व्यापारी अभी भी खाली बैठे हैं और ग्राहकों का इंतजार कर रहे हैं. इन व्यापारियों ने सरकार से मांग की है कि इन्हें कुछ ना कुछ राहत जरूर दी जाए, नहीं तो इनके लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना भी मुश्किल हो जाएगा.

ये भी पढे़ं- कोरोना की दूसरी लहर ने फिर चौपट किए छोटे उद्योग, घर गए कामगार वापस ही नहीं लौटे

गुरुग्राम: कोरोना काल में लगे लॉकडाउन के कारण तमाम व्यापार चौपट हो गए हैं. इसका बेहद गहरा असर छोटे व्यापारियों और फल-सब्जी विक्रेताओं पर पड़ा है. लॉकडाउन के कारण छोटे व्यापारियों की आर्थिक हालत कमजोर हो गई है. लोग घरों से कम बाहर निकल रहे हैं और सरकारी पाबंदियों के कारण व्यापार मंदा पड़ा हुआ है.

सब्जी विक्रेता प्रेम सिंह कहते हैं कि लॉकडाउन में उन्हें काफी नुकसान हुआ है. लॉकडाउन में घर बैठे रहे और आमदनी बिल्कुल खत्म हो गई थी. अब थोड़ा बहुत काम शुरू हुआ है और सब्जी बेचना शुरू किया है, लेकिन बाजार मंदा है. मार्केट में ग्राहकों की काफी कमी है.

छोटे व्यापारियों के सामने आर्थिक संकट, अनलॉक के बाद भी नहीं सुधरे हालात

छोटे व्यापारियों पर पड़ी लॉकडाउन की मार

बता दें कि कई राज्यों में लॉकडाउन के कारण सब्जियों के दामों में भी उछाल देखने को मिला है. दाम बढ़ने से डिमांड अब पहले जितनी नहीं रही है. मंडियों और बाजारों में ग्राहक कम आ रहे हैं और इसका सीधा असर छोटे व्यापारियों की जीविका पर पड़ रहा है. दिन में जो व्यापारी पहले 5 से 7 हजार रुपये का काम करता था, वो अब अपना खर्चा तक नहीं निकाल पा रहा है.

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बाजारों में नहीं पहुंच रहे ग्राहक

कोरोना वायरस के कारण लोग अब पहले की तरह घरों से बाहर निकलने में हिचकिचाते हैं. घर का ज्यादातर सामान लोग ऑनलाइन ऑर्डर करके ही मंगा रहे हैं. ग्राहकों के मन में यही रहता है कि घर से बाहर जाना सुरक्षित नहीं है और घर का सामान ऑनलाइन ही मंगाया जाए. यही कारण है कि रेहड़ी और ठेले वालों तक ग्राहकों की पहुंच कम होती जा रही है.

लॉकडाउन की मार से कब उभरेगा व्यापार?

अब अधिकतर राज्यों में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो गई है. लेकिन व्यापार पर इसका कुछ खास असर देखने को नहीं मिल रहा है. छोटे व्यापारी अभी भी खाली बैठे हैं और ग्राहकों का इंतजार कर रहे हैं. इन व्यापारियों ने सरकार से मांग की है कि इन्हें कुछ ना कुछ राहत जरूर दी जाए, नहीं तो इनके लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना भी मुश्किल हो जाएगा.

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