गुरुग्राम: देश में ऑटोमोबाइल सेक्टर बीते कुछ वक्त से मंदी की मार झेल रहा है. मंदी का असर कितना भयावह है कि इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले तीन महीनों में ही ऑटो सेक्टर में 20 से 25 प्रतिशत के करीब बिक्री में कमी आई है. दिल्ली से सटे गुरुग्राम में भी इस मंदी ने दस्तक दे दी है. खेड़की दौला स्थित मारुति ने 600 कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया है.
छुट्टी पर भेजे गए 600 कर्मचारी
कंपनी की ओर से ये दलील दी जा रही है कि फिलहाल मार्केट में मंदी का दौर है. पहले हर रोज करीब 6000 गाडियाँ बनाई जाती थी, लेकिन मंदी के चलते अब सिर्फ 4500 गाडियां ही रोज बनाई जा रही है. ये ही नहीं जो गाड़ियां बनाई भी जा रही हैं उनकी भी उतनी खरीद नहीं हो रही है. घाटे की वजह से कर्मचारीयों को छुट्टी पर भेजा गया है. मंदी का दौर ठीक होते ही सभी को काम पर वापस बुलाया लिया जाएगा.
मंदी के लिए जिम्मेदार जीएसटी-नोटबंदी!
ऑटोमोबाइल सेक्टर में आई मंदी पर ऑटोमोबाइल एक्सपर्ट का कहना है कि इस मंदी के लिए साफ तौर पर नोटबंदी और जीएसटी जिम्मेदार है. 1200 cc इंजन की गाड़ी से नीचे 28 प्रतिशत और 1200 cc इंजन की गाड़ी से ऊपर 40 प्रतिशत जीएसटी लगा रहा है. जिस वजह से गाड़ियों की बिक्री कम हो गई है. इसके साथ ही पहले गाड़ियों पर लोन आसानी से मिल जाता था, लेकिन अब सरकार ने इस पर भी ज्यादा कागजी कार्रवाई कर दी है. जिस वजह से डाउनफॉल बढ़ गया है.
ट्रांसपोर्ट सेक्टर को भी हो रहा घाटा
इसके साथ-साथ ट्रांसपोर्ट में भी घाटा हुआ है. पहले जो बड़े ट्रॉले-गाड़ियां दूसरे या तीसरे प्लांट से निकला करते थे. अब महीना बीत जाने पर भी प्लांट में ही खड़े रहते हैं. जिससे कंपनियों को हर महीने लाखों का नुकसान हो रहा है. खड़े-खड़े ट्रॉलों की बैटरी खराब हो गई है.
बढ़ती मंदी भारत की अर्थव्यवस्था पर भी बड़ा खतरा
इन दिनों ऑटो सेक्टर में आई मंदी ने सभी कार कंपनियों की हवा निकल दी है. अगर जल्द ही इसपर ध्यान नहीं दिया गया तो इसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है. क्योंकि ऑटो इंडस्ट्री का देश की GDP में 7 फीसदी का योगदान है और इंडस्ट्रियल GDP में ऑटो कंपनियों का 26 फीसदी का योगदान है. ऑटो सेक्टर में आई ये मंदी कई परिवारों की रोजी रोटी छीन सकती है तो साथ ही भारत की अर्थव्यवस्था का भी खेल खराब कर सकती है.