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'रिवर्स गियर' में ऑटो सेक्टर: डाउनफॉल की वजह से मारुति ने 600 कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजा

इन दिनों ऑटो सेक्टर में आई मंदी ने सभी कार कंपनियों की हवा निकल दी है. डाउनफॉल की वजह से मारुति ने 600 कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया है.

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Published : Aug 23, 2019, 3:53 PM IST

'रिवर्स गेयर' में ऑटो सेक्टर: डाउनफॉल की वजह से मारुति ने 600 कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजा

गुरुग्राम: देश में ऑटोमोबाइल सेक्टर बीते कुछ वक्त से मंदी की मार झेल रहा है. मंदी का असर कितना भयावह है कि इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले तीन महीनों में ही ऑटो सेक्टर में 20 से 25 प्रतिशत के करीब बिक्री में कमी आई है. दिल्ली से सटे गुरुग्राम में भी इस मंदी ने दस्तक दे दी है. खेड़की दौला स्थित मारुति ने 600 कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया है.

छुट्टी पर भेजे गए 600 कर्मचारी
कंपनी की ओर से ये दलील दी जा रही है कि फिलहाल मार्केट में मंदी का दौर है. पहले हर रोज करीब 6000 गाडियाँ बनाई जाती थी, लेकिन मंदी के चलते अब सिर्फ 4500 गाडियां ही रोज बनाई जा रही है. ये ही नहीं जो गाड़ियां बनाई भी जा रही हैं उनकी भी उतनी खरीद नहीं हो रही है. घाटे की वजह से कर्मचारीयों को छुट्टी पर भेजा गया है. मंदी का दौर ठीक होते ही सभी को काम पर वापस बुलाया लिया जाएगा.

'रिवर्स गेयर' में ऑटो सेक्टर!

मंदी के लिए जिम्मेदार जीएसटी-नोटबंदी!
ऑटोमोबाइल सेक्टर में आई मंदी पर ऑटोमोबाइल एक्सपर्ट का कहना है कि इस मंदी के लिए साफ तौर पर नोटबंदी और जीएसटी जिम्मेदार है. 1200 cc इंजन की गाड़ी से नीचे 28 प्रतिशत और 1200 cc इंजन की गाड़ी से ऊपर 40 प्रतिशत जीएसटी लगा रहा है. जिस वजह से गाड़ियों की बिक्री कम हो गई है. इसके साथ ही पहले गाड़ियों पर लोन आसानी से मिल जाता था, लेकिन अब सरकार ने इस पर भी ज्यादा कागजी कार्रवाई कर दी है. जिस वजह से डाउनफॉल बढ़ गया है.

ट्रांसपोर्ट सेक्टर को भी हो रहा घाटा
इसके साथ-साथ ट्रांसपोर्ट में भी घाटा हुआ है. पहले जो बड़े ट्रॉले-गाड़ियां दूसरे या तीसरे प्लांट से निकला करते थे. अब महीना बीत जाने पर भी प्लांट में ही खड़े रहते हैं. जिससे कंपनियों को हर महीने लाखों का नुकसान हो रहा है. खड़े-खड़े ट्रॉलों की बैटरी खराब हो गई है.

बढ़ती मंदी भारत की अर्थव्यवस्था पर भी बड़ा खतरा
इन दिनों ऑटो सेक्टर में आई मंदी ने सभी कार कंपनियों की हवा निकल दी है. अगर जल्द ही इसपर ध्यान नहीं दिया गया तो इसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है. क्योंकि ऑटो इंडस्ट्री का देश की GDP में 7 फीसदी का योगदान है और इंडस्ट्रियल GDP में ऑटो कंपनियों का 26 फीसदी का योगदान है. ऑटो सेक्टर में आई ये मंदी कई परिवारों की रोजी रोटी छीन सकती है तो साथ ही भारत की अर्थव्यवस्था का भी खेल खराब कर सकती है.

गुरुग्राम: देश में ऑटोमोबाइल सेक्टर बीते कुछ वक्त से मंदी की मार झेल रहा है. मंदी का असर कितना भयावह है कि इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले तीन महीनों में ही ऑटो सेक्टर में 20 से 25 प्रतिशत के करीब बिक्री में कमी आई है. दिल्ली से सटे गुरुग्राम में भी इस मंदी ने दस्तक दे दी है. खेड़की दौला स्थित मारुति ने 600 कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया है.

छुट्टी पर भेजे गए 600 कर्मचारी
कंपनी की ओर से ये दलील दी जा रही है कि फिलहाल मार्केट में मंदी का दौर है. पहले हर रोज करीब 6000 गाडियाँ बनाई जाती थी, लेकिन मंदी के चलते अब सिर्फ 4500 गाडियां ही रोज बनाई जा रही है. ये ही नहीं जो गाड़ियां बनाई भी जा रही हैं उनकी भी उतनी खरीद नहीं हो रही है. घाटे की वजह से कर्मचारीयों को छुट्टी पर भेजा गया है. मंदी का दौर ठीक होते ही सभी को काम पर वापस बुलाया लिया जाएगा.

'रिवर्स गेयर' में ऑटो सेक्टर!

मंदी के लिए जिम्मेदार जीएसटी-नोटबंदी!
ऑटोमोबाइल सेक्टर में आई मंदी पर ऑटोमोबाइल एक्सपर्ट का कहना है कि इस मंदी के लिए साफ तौर पर नोटबंदी और जीएसटी जिम्मेदार है. 1200 cc इंजन की गाड़ी से नीचे 28 प्रतिशत और 1200 cc इंजन की गाड़ी से ऊपर 40 प्रतिशत जीएसटी लगा रहा है. जिस वजह से गाड़ियों की बिक्री कम हो गई है. इसके साथ ही पहले गाड़ियों पर लोन आसानी से मिल जाता था, लेकिन अब सरकार ने इस पर भी ज्यादा कागजी कार्रवाई कर दी है. जिस वजह से डाउनफॉल बढ़ गया है.

ट्रांसपोर्ट सेक्टर को भी हो रहा घाटा
इसके साथ-साथ ट्रांसपोर्ट में भी घाटा हुआ है. पहले जो बड़े ट्रॉले-गाड़ियां दूसरे या तीसरे प्लांट से निकला करते थे. अब महीना बीत जाने पर भी प्लांट में ही खड़े रहते हैं. जिससे कंपनियों को हर महीने लाखों का नुकसान हो रहा है. खड़े-खड़े ट्रॉलों की बैटरी खराब हो गई है.

बढ़ती मंदी भारत की अर्थव्यवस्था पर भी बड़ा खतरा
इन दिनों ऑटो सेक्टर में आई मंदी ने सभी कार कंपनियों की हवा निकल दी है. अगर जल्द ही इसपर ध्यान नहीं दिया गया तो इसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है. क्योंकि ऑटो इंडस्ट्री का देश की GDP में 7 फीसदी का योगदान है और इंडस्ट्रियल GDP में ऑटो कंपनियों का 26 फीसदी का योगदान है. ऑटो सेक्टर में आई ये मंदी कई परिवारों की रोजी रोटी छीन सकती है तो साथ ही भारत की अर्थव्यवस्था का भी खेल खराब कर सकती है.

Intro:गुरुग्राम की मारुति कंपनी से निकाले गए कर्मचारी
मंदी के चलते की गई कंपनी में छटनी
गुरुग्राम के मारुति प्लांट से करीब 600 कर्मचारी निकाले
मंदी के चलते कंपनी में भी काम हुआ कम
कंपनी में काम कम होने के चलते बड़े लोडिंग ट्राले भी महीने से खड़े हैं
ट्राले के ड्राईवर भी परेशान
निकाले गए कर्मचारी भी हुए परेशान
निकाले गए कर्मचारी अपने अपने घर को गए


दिल्ली से सटे साइबर सिटी गुरुग्राम की मारुति कंपनी से करीब 600 कर्मचारीयों को निकाल दिया है । ये सब ऑटो मोबाइल कंपनी में आई मंदी के चलते हुआ है..... कंपनी में मंदी के चलते प्रोडक्शन भी कम हो रहा है और इसके चलते महीने से लोडिंग वाले बड़े ट्राले भी खड़े हैं, जिससे उनके ड्राईवर भी परेशान हैं......



Body:गुरुग्राम के मारुति प्लांट नें 600 परिवार से उसकी गुजर बसर करने वाली कमाई छीन ली है जी हाँ मारुति कंपनी नें करीब 600 कर्मचारीयों को नौकरी से निकाल दिया है.... जिसकी सूचना भी उनको पहले नहीं दी गई थी , जुलाई महीने में मारुति कंपनी नें मंदी की मार पड़ने की बात कहकर कर्मचारीयों की कंपनी से बाय बाय बोल दिया है... अब इन कर्मचारीयों का बिना वेतन इतने महंगे शहर में रहना भी दूभर हो गया था तो सब अपने अपने घर चले गए....फिलहाल अपने आप को घाटे में चल रही है की बात कर रही है....कंपनी में पहले करीब हर रोज 6000 गाडियाँ बनती थी लेकिन मंदी के चलते करीब 4500 गाडियाँ ही कंपनी बना रही है , और जितनी गाडियाँ कंपनी बना रही है उतनी गाडियाँ भी बाहर मार्केट में नहीं बिक रही है , लिहाजा कंपनी में हजारों की संख्या में गाडियाँ खड़ी है.... इसी लिए कंपनी नें घाटे की बात कहकर 600 कर्मचारीयों को कंपनी से निकाल दिया....

बाइट- कुलदीप जांघु- महासचिव, मारुति उधोग कामगार यूनियन
बाइट- मारुति कंपनी से निकाला गया कर्मचारी

मारुति कंपनी से निकाले गए कर्मचारीयों के बारे में मारुति उधोग कामगार यूनियन के महासचिव कुलदीप जांघु से पूछा गया तो उन्होने बताया की जुलाई महीने में करीब 600 कर्मचारी छुट्टी पर भेजे गए हैं.... ये सब कंपनी की सेल कम होने के चलते हुआ है..... मार्केट डाउन होने के चलते हुआ है लेकिन जब मार्केट अप होती है तो निकाले गए कर्मचारीयों को बुला भी लिया जाता है....मनेसर मारुति प्लांट के बारे में पूछा तो कुलदीप झांघु नें बताया की मनेसार प्लांट में कुछ साल पहले हुए हादसे के बाद टीडबल्यू की संख्या बना दी गई है जिसके चलते सात महीने के लिए ही कर्मचारीयों को ठेके पर रखा जाता है उसके बाद दूसरे कर्मचारीयों की बुलाया जाता है....लेकिन गुरुग्राम प्लांट नें तो 600 परिवार की रोजी रोटी ही छीन ली.... मनेसार प्लाट में जब पप्रोडक्शन अप था तो कर्मचारीयों को हायर किया जाता था लेकिन अब कंपनी में प्रोडक्शन डाउन है तो कर्मचारीयों को हायर करना कम कर दिया है.... लेकिन इनको सिर्फ सात महीने के लिए ही रखा जाता है और उसके बाद उनको वापस भेज दिया जाता है..... ये सभी उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, झारखंड, उड़ीसा की आईटीआई से ही सिलैक्ट करके लाये जाते हैं....


बाइट- कुलदीप जांघु- महासचिव, मारुति उधोग कामगार यूनियन
बाइट- मारुति कंपनी से निकाला गया कर्मचारी

ऑटो मोबाइल इंडस्ट्री में डाउन फाल के चलते इन सभी कर्मचारीयों को कंपनी नें बाहर का रास्ता दिखा दिया.....ये डाउन फाल की सिथिति करीब एक साल से चल रही थी लेकिन 3-4 महीनों से ज्यादा गिरावट आ गई जिसके चलते कर्मचारीयों को निकाला गया.... डाउन फाल का पूरी तरह से तो नहीं बताया जा सकता लेकिन 20 से 25 प्रतिशत का डाउन फाल आया है.... ये सभी वाहनों में गिरावट आई है.... इस सबकी वजह जीएसटी और लोन प्रतिशत में बढ़ोतरी बताई जा रही है.... 1200 cc की गाड़ी से नीचे 28 प्रतिशत है और 1200cc इंजन से बड़ी गाड़ी पर 40 प्रतिशत जीएसटी लगाया हुआ है.... जिसके चलते भी ऑटो मोबाइल इंडस्ट्री में डाउन फाल आया है....इसके साथ साथ पहले गाड़ियों पर लोन आसानी से मिल जया करता था लेकिन अब सरकार नें इस पर भी ज्यादा कागजी कार्यवाही कर दी है....कुछ कारण डाउन फाल का ये भी है.... इस पर कुलदीप जांघु का ये भी कहना है की सरकार को जीएसटी कम करना चाहिए और लोन का सरलयीयकरण करना चाहिए..... जिससे ऑटो मोबाइल इंडस्ट्री में कुछ उछाल आ सके ..... अगर बात पूरी ऑटो मोबाइल इंडस्ट्री की बात की जाये तो जीएसटी लगाए जाने के बाद बेरोजगार हुए कर्मचारीयों की संख्या करीब 50 लाख हो गई है । ये संख्या इसलिए इतनी बन जाती है की रॉ मेटीरियल , बनाने वाले सब लोग इससे जुड़ जाते है तभी संख्या इतनी बड़ी बन जाती है । ये सब पूरी इंडस्ट्री से बेरोजगार हुए लोगों की संख्या बन जाती है । इसके साथ साथ ट्रांसपोर्ट में भी घाटा हुआ है । पहले जो बड़े ट्राले गाड़िया लेकर दूसरे या तीसरे दिन जाते थे वो अब महीना बीत जाने पर भी यही खड़े हैं , जिससे उनका भी लाखों का हर महीन नुकसान हो रहा है । खड़े खड़े ट्रालो की बटरी खराब हो गई गई, हर रोज ड्राईवर हेल्पर का खाने का खर्चा हो रहा है । कुलदीप जांघु का ये भी कहना है की अगर सरकार चाहे तो जीएसटी कम करके इसमे ऑक्सीज़न देने का काम कर सकती है जिससे बेरोजगार हुए कर्मचारीयों को दौबारा नौकरी मिल सकती है ।

बाइट- लोडिंग ट्राले का ड्राईवर Conclusion:मारुति कंपनी से निकाले गए कर्मचारीयों के बारे में ये भी बताया गया है की अभी सिर्फ उनको छुट्टी पर भेजा गया है , कुलदीप जांघु नें बताया की अगर निकाल दिया है तो उसका आई कार्ड जमा करवा लिया जाता है , पीईफ बंद हो जाता है, ईएसआई भी बंद कर दिया जाता है , लेकिन इन कर्मचारीयों की छुट्टी पर भेजा गया है तो इनका ईएसआई भी चालू है , इनका पीईफ भी चालू है , इनका आईकार्ड भी चालू है लेकिन इनको महीने की जो तनख्वा जो मिलती थी वो नहीं मिलेगी..... अब देखना ये होगा की अगर ऑटो इंडस्ट्री में में तेजी आती है तो कंपनी कितने कर्मचारीयों को दौबारा नौकरी पर रखती है , और अगर ऑटो इंडस्ट्री में और मंदी आती है तो कंपनी कितने और कर्मचारीयों को नौकरी से छुट्टी पर भेजेगी ......
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