गुरुग्राम: सोमवार को नेत्रहीन टी20 क्रिकेट वर्ल्ड कप (blind t20 world cup) की की रंगारंग शुरूआत हुई. भारत के पूर्व स्टार क्रिकेटर युवराज सिंह और हरियाणा के खेल राज्यंत्री संदीप सिंह ने वर्ल्ड कप का उद्घाटन किया. इसमें 7 देश हिस्सा ले रहे हैं. नेत्रहीन क्रिकेट वर्ल्ड कप सीएबीआई यानी क्रिकेट एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड इन इंडिया की एक पहल है. जिसे समर्थनम ट्रस्ट फॉर दा डिसेबल्ड के सहयोग से साल 2012 से आयोजित किया जा रहा है.
इस स्थापना के बाद से, ट्रस्ट 30,000 से अधिक दृष्टिबाधित क्रिकेटरों तक पहुंच चुका है. भारत लगातार तीसरी बार नेत्रहीन टी20 क्रिकेट वर्ल्ड कप की मेजबानी कर रहा है. अभी तक दो टी20 नेत्रहीन क्रिकेट वर्ल्ड कप का सफल आयोजन हुआ है. दोनों ही भारत भारत की टीम वर्ल्ड चैंपियन बनी हैं. इस फॉर्मेट में भारत के अलावा दुनिया का कोई दूसरा देश नेत्रहीन टी20 वर्ल्ड कप नहीं जीत सका है.
नेत्रहीन क्रिकेट की लोप्रियता को बढ़ाने के लिए क्रिकेट एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड इन इंडिया (cricket association for the blind in india) ने भारतीय दिग्गज क्रिकेटर युवराज सिंह को नेत्रहीन टी20 वर्ल्ड कप के लिए ब्रांड एंबेसडर बनाया है. भारतीय टीम के चैंपियन ऑलराउंडर रहे युवराज सिंह ने इसपर खुशी जताई और दुनिया के नेत्रहीन क्रिकेटर्स की जमकर सराहना की. हालांकि वो इस दौरान मीडिया से थोड़ा नाराज दिखाई दिए.
मैं नेत्रहीनों के लिए ब्रांड एंबेसडर के रूप में तीसरे टी20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का हिस्सा बनकर रोमांचित हूं. मैं नेत्रहीन क्रिकेटरों की क्रिकेट के प्रति जुनून और रोजमर्रा की चुनौतियों से लड़ने के उनके हौसले की सराहना करता हूं. हमें इनसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है. जब ये हार नहीं मान रहे तो हम कैसे मान सकते हैं. -युवराज सिंह, पूर्व भारतीय क्रिकेटर
ब्लाइंड क्रिकेट के नियम: एक टीम में कम से कम चार पूरी तरह से नेत्रहीन खिलाड़ी होने चाहिए. अधिकतम चार खिलाड़ी वो होंगे, जिन्हें आंशिक रूप से दिखता हो. इसके अलावा तीन आंशिक रूप से नेत्रहीन खेल सकते हैं.
- अंडरआर्म बॉलिंग होती है, यानी हाथ नीचे करके.
- बॉल के बैटर के पास पहुंचने से पहले पिच पर दो टप्पे होना जरूरी.
- सामान्य से थोड़ी बड़ी बॉल इस्तेमाल होती है.
- बॉल फेंकने से पहले बॉलर को 'रेडी' बोलना पड़ता है. बैटर यदि 'रेडी' होता है, तो वो 'यस' बोलता है.
- जैसे ही बॉल छूटती है, बॉलर चिल्लाता है 'प्ले'. यदि बैटर तैयार नहीं होता, तो अंपायर नो बॉल दे देता है.
- पूरी तरह से नेत्रहीन फील्डर एक बाउंस के बाद भी गेंद पकड़ता है, तो उसे कैच माना जाता है.
- बॉल के अंदर मेटल का घुंघरू जैसा कुछ डाला जाता है. इसकी आवाज सुनकर ही बैटर या फील्डर पहचानता है कि बॉल किस ओर जा रही है.
- मैच में आर्टिफिशल पिच का इस्तेमाल होता है. स्टंप्स का रंग नारंगी या लाल होता है, जिन पर बेल्स नहीं होती. ये आमतौर पर मेटल के होते हैं. स्टंप्स आपस में जुड़े होते हैं, ताकि इनके गिरने पर प्लेयर समझ जाएं कि बैटर आउट हो गया है.
नेत्रहीन को तीन वर्ग में बांटा गया है: इस टी20 वर्ल्ड कप में कुल 3 तरह के खिलाड़ी हिस्सा ले सकते हैं. इन खिलाड़ियों को 3 वर्ग में बांटा गया है.
- बी1- पूरी तरह से नेत्रहीन
- बी2- आंशिक रूप से नेत्रहीन, 2 से 3 मीटर दूर
- बी3 - आंशिक दृष्टि, 3 से 6 मीटर दूर
नेत्रहीन टी20 वर्ल्ड कप 6 दिसंबर से शुरू होकर 17 दिसंबर 2022 तक खेला जाएगा. इस टूर्नामेंट में भाग लेने वाले देश भारत, नेपाल, बांग्लादेश, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान और श्रीलंका है. टूर्नामेंट का पहला मैच डिफेंडिंग चैंपियन भारत और नेपाल के बीच 6 दिसंबर को फरीदाबाद में खेला जाएगा. नेत्रहीन टी20 वर्ल्ड कप के लिए आई अजय कुमार रेड्डी- बी2 टीम के कप्तान हैं और वेंकटेश्वर राव दुन्ना-बी 2 उप कप्तान है.
पाकिस्तान की टीम ने विश्वकप की ओपनिंग सेरेमनी से दूरी बनाई. पाकिस्तान इस विश्वकप में खेलेगा या नहीं, इस पर भी संशय बना हुआ है, लेकिन आयोजनकों का कहना है कि पाकिस्तानी टीम भारत में आ चुकी है और सीधे मैच खेलने पहुंचेगी.