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बुढ़ापा पेंशन से भी कम है इस पूर्व सरकारी कर्मचारी की पेंशन, सरकार से नाराज

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Published : Jan 20, 2020, 11:43 AM IST

Updated : Jan 20, 2020, 12:14 PM IST

टोहाना के पूर्व सरकारी कर्मचारी जगबीर सिंह ने सरकार और प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. जगबीर का कहना है कि उसे सरकार की तरफ से बेहतर पेंशन की उम्मीद थी, जिसके सहारे वो अपना जीवन यापन कर सके. इसमे उसे खुद के साथ दी जा रही पेंशन 1118 रुपये मजाक लगती है.

tohana former government employees worried about pension
tohana former government employees worried about pension

फतेहाबाद: पूर्व सरकारी कर्मचारी न्यू पेंशन स्कीम से खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. ऐसा ही एक उदाहरण टोहाना के गांव मादूवाना के जगबीर का है. जगबीर का कहना है कि उसने 34 साल सरकार की सेवा की है लेकिन अब उसे मात्र 1118 रुपये पेंशन मिल रही है जोकि बुढ़ापा पेंशन से भी कम है.

जगबीर का कहना है कि उसने 24 साल एमआईटी में और 10 साल शिक्षा विभाग में बतौर सरकारी कर्मचारी अपनी सेवाएं दी. अब जब वो सरकार की तरफ से बेहतर पेंशन की उम्मीद थी, जिसके सहारे वो अपना जीवन यापन कर सके. इसमें उसे खुद के साथ दी जा रही पेंशन 1118 रुपये मजाक लगती है.

आर्थिक तंगी के शिकार जगबीर ने बुढ़ापा पेंशन के लिए कोशिश भी की, लेकिन उसकी भी रिकवरी ले ली गई. क्योंकि सरकारी कर्मचारी उसका भी हकदार नहीं है. वहीं उनका सवाल है वो पूरी उम्र देकर भी सही पेंशन के हकदार नहीं तो पांच साल विधायक और सांसद रहने वाले व्यक्ति को पेंशन क्यों ?

बुढ़ापा पेंशन से भी कम पूर्व सरकारी कर्मचारी की पेंशन, देखें वीडियो.

कर्मचारियों के साथ मजाक

वर्ष 2006 में प्रदेश में पुरानी पेंशन स्कीम को रदद करके नई पेंशन स्कीम लागू की गई थी. जिसका कर्मचारी संगठन लगातार विरोध कर रहे हैं. जिसका कारण वो बताते हैं कि ये कर्मचारियों के साथ भद्दा मजाक है. इसके तहत मिलने वाली पेंशन सरकार द्वारा घोषित बुढ़ापा पेंशन से कम बनती है, जो उपहास के साथ कर्मचारी की बेचारगी को दर्शाती है.

2006 की नई पेंशन स्कीम

इस बारे में कर्मचारी नेता ऋषि नैन का कहना है कि हरियाणा के सरकारी कर्मचारी की 1982 की पेंशन स्कीम को बंद करके वर्ष 2006 से नई पेंशन स्कीम में डाल दिया गया है. जिसके तहत दस प्रतिशत कर्मचारी का और 10 प्रतिशत सरकार का ये पैसा शेयर मार्केट में डाल दिया जाता है. जिसके बारे में कर्मचारी की कोई सहमति भी नहीं ली जाती. जिसका कर्मचारी के पास कोई रिकॉर्ड नहीं होता.

ये भी पढे़ं:- विनेश फोगाट ने जीती रोम रैंकिंग कुश्ती चैंपियनशिप, 2020 के पहले गोल्ड पर किया कब्जा

कर्मचारियों के साथ पुर्णतय धोखा है. न्यू पेंशन स्कीम में कोई गारंटी भी नहीं है कि आपको इतनी फिक्स पेंमण्ट मिलेगी. शेंयर मार्केट का लगा पैसा एक जुआ है. इस स्कीम को सही करवानें के लिए हमारा लगातार संघर्ष जारी है.

फतेहाबाद: पूर्व सरकारी कर्मचारी न्यू पेंशन स्कीम से खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. ऐसा ही एक उदाहरण टोहाना के गांव मादूवाना के जगबीर का है. जगबीर का कहना है कि उसने 34 साल सरकार की सेवा की है लेकिन अब उसे मात्र 1118 रुपये पेंशन मिल रही है जोकि बुढ़ापा पेंशन से भी कम है.

जगबीर का कहना है कि उसने 24 साल एमआईटी में और 10 साल शिक्षा विभाग में बतौर सरकारी कर्मचारी अपनी सेवाएं दी. अब जब वो सरकार की तरफ से बेहतर पेंशन की उम्मीद थी, जिसके सहारे वो अपना जीवन यापन कर सके. इसमें उसे खुद के साथ दी जा रही पेंशन 1118 रुपये मजाक लगती है.

आर्थिक तंगी के शिकार जगबीर ने बुढ़ापा पेंशन के लिए कोशिश भी की, लेकिन उसकी भी रिकवरी ले ली गई. क्योंकि सरकारी कर्मचारी उसका भी हकदार नहीं है. वहीं उनका सवाल है वो पूरी उम्र देकर भी सही पेंशन के हकदार नहीं तो पांच साल विधायक और सांसद रहने वाले व्यक्ति को पेंशन क्यों ?

बुढ़ापा पेंशन से भी कम पूर्व सरकारी कर्मचारी की पेंशन, देखें वीडियो.

कर्मचारियों के साथ मजाक

वर्ष 2006 में प्रदेश में पुरानी पेंशन स्कीम को रदद करके नई पेंशन स्कीम लागू की गई थी. जिसका कर्मचारी संगठन लगातार विरोध कर रहे हैं. जिसका कारण वो बताते हैं कि ये कर्मचारियों के साथ भद्दा मजाक है. इसके तहत मिलने वाली पेंशन सरकार द्वारा घोषित बुढ़ापा पेंशन से कम बनती है, जो उपहास के साथ कर्मचारी की बेचारगी को दर्शाती है.

2006 की नई पेंशन स्कीम

इस बारे में कर्मचारी नेता ऋषि नैन का कहना है कि हरियाणा के सरकारी कर्मचारी की 1982 की पेंशन स्कीम को बंद करके वर्ष 2006 से नई पेंशन स्कीम में डाल दिया गया है. जिसके तहत दस प्रतिशत कर्मचारी का और 10 प्रतिशत सरकार का ये पैसा शेयर मार्केट में डाल दिया जाता है. जिसके बारे में कर्मचारी की कोई सहमति भी नहीं ली जाती. जिसका कर्मचारी के पास कोई रिकॉर्ड नहीं होता.

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कर्मचारियों के साथ पुर्णतय धोखा है. न्यू पेंशन स्कीम में कोई गारंटी भी नहीं है कि आपको इतनी फिक्स पेंमण्ट मिलेगी. शेंयर मार्केट का लगा पैसा एक जुआ है. इस स्कीम को सही करवानें के लिए हमारा लगातार संघर्ष जारी है.

Intro:पूर्व सरकारी कर्मचारी आज न्यू पेशन स्कीम से खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे है ऐसा ही एक उदाहरण जिला फतेहाबाद टोहाना के गांव मादूवाना के जगबीर का है जिसका कहना है कि उसने 34 साल सरकार की सेवा की अब उसे मात्र 1118 रूपए पेंशन मिल रही है जोकि बुढापा पेंशन से भी कम है। आर्थिक तंगी के शिकार जगबीर ने बुढापा पेंशन के लिए कोशिश भी की को उसकी भी रिकवरी ले ली गई क्योकि सरकारी कर्मचारी उसका भी हकदार नहीं है। वही उनका सवाल है वो पुरी उम्र देकर भी सही पेंशन के हकदार नहीं तो पांच साल विधायक व सांसद रहने वाले व्यक्ति को पेंशन क्यो? Body:वर्ष 2006 में प्रदेश में पुरानी पेंशन स्कीम को रदद करके नई पेंशन स्कीम लागु की गई थी जिसका कर्मचारी संगठन लगातार विरोध कर रहे है जिसका कारण वो बताते है कि यह कर्मचारियों के साथ भददा मजाक है क्योकि इससे तहत मिलने वाली पेंशन सरकार द्वारा घोषित बुढापा पेंशन से भी कई बार कम बनती है जो उपहास के साथ कर्मचारी की बेचारगी को दर्शाती है।

ऐसा ही एक मामला जिला फतेहाबाद के टोहाना के गांव मादूवाना के जगबीर का है जिसने 24 साल एमआईटी में व 10 साल शिक्षा विभाग में बतौर सरकारी कर्मचारी अपनी सेवाएं दी। अब जब वो सरकार की तरफ से बेहतर पेंशन की उममीद थी जिसके सहारे वो अपना जीवन यापन कर सके तो इसमें उसे खुद के साथ दी जा रही पेंशन 1118 रूपए मजाक लगती है आर्थिक तंगी के
शिकार जगबीर प्रदेश सरकार द्वारा घोषित बुढापा पेंशन लेने की कोशिश की पर क्योंकि पुर्व सरकारी कर्मचारी बुढापा पेंशन का हकदार नहीं होता इसलिए उसकी रिकवरी भी मांग ली गई। उसका कहना है कि जब पाच साल के विधायक व सासंद पेंशन पुरानी पेंशन के हकदार है तो वो क्यो नहीं?

इस बारे में कर्मचारी नेता ऋषि नैन बताते है कि हरियाणा के सरकारी कर्मचारी की 1982 की पेंशन स्कीम को बन्द करके वर्ष 2006 से नई पेंशन स्कीम में डाल दिया गया है जिसके तहत दस प्रतिशत कर्मचारी का व 10 प्रतिशत सरकार का ये पैसा शेयर मार्किट में डाल दिया जाता है जिसके बारे में कर्मचारी की कोई सहमति भी नहीं ली जाती जिसका कर्मचारी के पास कोई रिकार्ड नहीं होता। यह कर्मचारियों के साथ पुर्णतय धोखा है क्योकि न्यू पेंशन स्कीम में कोई गारंटी भी नहीं है कि आपको इतनी फिक्स पेंमण्ट मिलेगी। शेंयर मार्किट का लगा पैसा एक जुआ है। इस स्कीम को सदद करवानें केलिए हमारा लगातार संघर्ष जारी है क्योकि एक विधायक व सांसद जब पांच साल दस साल रहकर पेंशन ले सकता है तो सरकारी कर्मचारी क्यो नहीं। क्योकि सरकारी कर्मचारी तो बुढापा पेंशन भी नहीं ले पाता।
Conclusion:बाईट - जगबीर ङ्क्षसह पूर्व सरकारी कर्मचारी
बाईट - ऋषि नैन
Last Updated : Jan 20, 2020, 12:14 PM IST
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