फतेहाबाद: पूर्व सरकारी कर्मचारी न्यू पेंशन स्कीम से खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. ऐसा ही एक उदाहरण टोहाना के गांव मादूवाना के जगबीर का है. जगबीर का कहना है कि उसने 34 साल सरकार की सेवा की है लेकिन अब उसे मात्र 1118 रुपये पेंशन मिल रही है जोकि बुढ़ापा पेंशन से भी कम है.
जगबीर का कहना है कि उसने 24 साल एमआईटी में और 10 साल शिक्षा विभाग में बतौर सरकारी कर्मचारी अपनी सेवाएं दी. अब जब वो सरकार की तरफ से बेहतर पेंशन की उम्मीद थी, जिसके सहारे वो अपना जीवन यापन कर सके. इसमें उसे खुद के साथ दी जा रही पेंशन 1118 रुपये मजाक लगती है.
आर्थिक तंगी के शिकार जगबीर ने बुढ़ापा पेंशन के लिए कोशिश भी की, लेकिन उसकी भी रिकवरी ले ली गई. क्योंकि सरकारी कर्मचारी उसका भी हकदार नहीं है. वहीं उनका सवाल है वो पूरी उम्र देकर भी सही पेंशन के हकदार नहीं तो पांच साल विधायक और सांसद रहने वाले व्यक्ति को पेंशन क्यों ?
कर्मचारियों के साथ मजाक
वर्ष 2006 में प्रदेश में पुरानी पेंशन स्कीम को रदद करके नई पेंशन स्कीम लागू की गई थी. जिसका कर्मचारी संगठन लगातार विरोध कर रहे हैं. जिसका कारण वो बताते हैं कि ये कर्मचारियों के साथ भद्दा मजाक है. इसके तहत मिलने वाली पेंशन सरकार द्वारा घोषित बुढ़ापा पेंशन से कम बनती है, जो उपहास के साथ कर्मचारी की बेचारगी को दर्शाती है.
2006 की नई पेंशन स्कीम
इस बारे में कर्मचारी नेता ऋषि नैन का कहना है कि हरियाणा के सरकारी कर्मचारी की 1982 की पेंशन स्कीम को बंद करके वर्ष 2006 से नई पेंशन स्कीम में डाल दिया गया है. जिसके तहत दस प्रतिशत कर्मचारी का और 10 प्रतिशत सरकार का ये पैसा शेयर मार्केट में डाल दिया जाता है. जिसके बारे में कर्मचारी की कोई सहमति भी नहीं ली जाती. जिसका कर्मचारी के पास कोई रिकॉर्ड नहीं होता.
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कर्मचारियों के साथ पुर्णतय धोखा है. न्यू पेंशन स्कीम में कोई गारंटी भी नहीं है कि आपको इतनी फिक्स पेंमण्ट मिलेगी. शेंयर मार्केट का लगा पैसा एक जुआ है. इस स्कीम को सही करवानें के लिए हमारा लगातार संघर्ष जारी है.