फतेहाबाद: पंजाब में नशे के बढ़ते जाल पर बनी फिल्म 'उड़ता पंजाब' का हरियाणा में भी असर देखने को मिल रहा है. नशे को रोकने के लिए पुलिस जितने दावे कर रही है उतना ही अधिक नशा फतेहाबाद जिले में बिक रहा है. जिसके बाद लोगों ने प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
शख्स को खा गई नशे की लत
वहीं 3 महीने की जिस बच्ची को गोद में लेकर संत गोपालदास पहुंचे, उसके पिता को नशे की लत ने खा लिया. उन्होंने कहा कि ये सोच कर भी डर लगता है कि आखिर इस बच्ची का भविष्य क्या होगा.
डीसी साहब ने लोगों से की बदसलूकी
दूसरी तरफ 3 महीने की बच्ची को गोद में देखकर डीसी साहब सकपका गए और जब लोगों ने नशे के खिलाफ कार्रवाई की मांग की तो उन्होंने कहा कि 3 महीने की बच्ची को लाकर यहां ड्रामा मत किजिए.
नशे को लेकर हालात चिंताजनक
बहरहाल जो भी हो क्षेत्र में नशे को लेकर हालात चिंताजनक बनते जा रहे हैं. प्रशासन और पुलिस नशे पर रोकथाम को लेकर जितने दावे कर रहा हो,लेकिन स्थिति उतनी ही खराब होती जा रही है.
एक नजर आंकड़ों पर
- साल 2017 में हेरोइन, स्मैक, अफीम आदि का सेवन करने वाले 339 केस उपचार के लिए आए
- 2018 में जून तक इसकी संख्या 469 पार कर चुकी है
- 2012 में ऐसा नशा करने वालों की संख्या 190, 2013 में 163 हो गई
2013 के बाद लगातार बढ़े आंकड़े
- 2014 में 209, 2015 में 326 और 2016 में 397 और 2017 में 339 केस सामने आए
- विभाग की मानें तो स्नेक बाइट, म्याऊं म्याऊं और छिपकली का नशा करने वाले केस भी सामने आए हैं
- जोकि मेट्रो सिटी की रेव पार्टी में ही देखने को मिलते हैं
केमिकल से तैयार होती है म्याऊं-म्याऊं
- इन दिनों नैचुरल नशीली ड्रग्स के बजाय लैबोरेट्री में तैयार होने वाली सिंथेटिक ड्रग्स का इस्तेमाल ज्यादा हो रहा है.
- कोकेन, अफीम, इससे बनाई जाने वाली हेरोइन और चरस प्राकृतिक तौर पर पैदा होती हैं.
- इन्हें पौधों से हासिल किया जाता है
- दूसरी ओर, म्याऊं-म्याऊं लैबोरेट्री में केमिकल से तैयार होती है.
- 10-10 ग्राम के पाउच बनाता है और मिडिल क्लास और स्लम एरिया में बेचता है.